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जनवरी 7 को वन विभाग मुख्यालय में आहूत समीक्षा बैठक में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वन, जन्तुक उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश, अरुण कुमार सक्सेना एवं राज्य मंत्री वन, जन्तुक उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश, केपी मलिक द्वारा वुक्षारोपण 2025 के लक्ष्य की तैयारी, सामाजिक वानिकी योजना से आवंटित बजट के सापेक्ष भौतिक एवं वित्तीय प्रगति, वृक्षारोपण स्थलों का भौतिक सत्यापन, वन भूमि हस्ताजन्तउरण एवं वाइल्डलाइफ की अनापत्ति प्रमाण पत्र, कुकरैल नाइट सफारी की डीपीआर की अद्यतन स्थिति, गोरखपुर में प्रस्तावित विश्वविद्यालय से संबंधित कार्यवाही, विभाग में संचालित एवं अन्य समस्त योजनाओं से आवंटित बजट के सापेक्ष भौतिक व वित्तीय प्रगति, कैम्पा मद से आवंटित बजट के सापेक्ष भौतिक एवं वित्तीय प्रगति, ग्रीन बिल्डिंग की डीपीआर की अद्यतन स्थिति, वर्तमान में मानव वन्य जीव संघर्ष के प्रकरण एवं इस हेतु आवंटित बजट के सापेक्ष अनुग्रह धनराशि, वन क्षेत्रों में प्रवाहित हो रही नदियों की ट्रेनिंग संबंध में प्राप्त रिपोर्ट, ट्री ट्रांसलुकेशन किए जाने के संबंध में, प्रोजेक्टत टाइगर के अन्त र्गत भौतिक एवं वित्तीपय कार्य, विश्व आर्द्रभूमि दिवस (02.02.2025) पार्वतीअरगा, गोंडा एवं अंर्तराष्ट्रीय बर्ड फैस्टीवल, प्रयागराज में आयोजन की तैयारी, ईको टूरिज्म की परियोजनाओं को पर्यटन विभाग को प्रेषित किए जाने की प्रगति, कार्मिक समस्या समाधान समिति की कार्रवाही की समीक्षा एवं मंत्रीगणों ने उक्त बिन्दुओं की समीक्षा, जोनलध्मण्डलीय मुख्य वन संरक्षक द्वारा वृक्षारोपण 2025 के लक्ष्यों के प्राप्ति हेतु तैयारियों का प्रस्तुतिकरण एवं वन क्षेत्रों में प्रवाहित हो रही नदियों के ट्रेनिंग सम्बन्ध में प्राप्त रिपोर्ट, ट्री ट्रान्सलोकेशन किये जाने के सम्बन्ध में एवं भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा प्रकाशित वन सर्वेक्षण रिर्पोट 2023 पर विस्तृत समीक्षा की गयी। मंत्रिगणों ने निर्देशित किया कि उप्र वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के प्राविधानों का कठोरता पूर्वक अनुपालन किया जाये तथा बहुत अधिक संख्या में वृक्षों के पातन अनुमति निर्गत ना की जाए किन्तु ध्यान रखा जाए कि इस हेतु जनसामान्य को किसी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े । मंत्रिगणों ने कुम्भ को ध्यान में रखतें हुए प्रयागराज, वाराणसी एवं अयोध्या की सड़कों में वृक्षारोपण विभाग की उपलब्धियों का साइनबोर्ड के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार का निर्देश दिया। रहमानखेड़ा में भटककर आए बाघ की गतिविधियों का सतत् अनुश्रवण कर बाघ को शीघ्र पकड़ने के निर्देश दिए। मंत्रिगणों ने कहा कि पेड़ लगाओं-पेड़ बचाओं अभियान तथा वनों की सुरक्षा में कोई शिथिलता बर्दाश्तन नहीं की जाएगी। इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के विरूद्ध कठोर कार्यावाही की जाएगी, इस अवसर पर उप्र जैव विविधता बोर्ड द्वारा तैयार किए गए जैव विविधता कैलेण्डर का विमोचन भी किया गया।
जैसलमेर में धरती फाड़कर निकला 60 लाख साल पुराना पानी?
राजस्थान के जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ क्षेत्र में 28 दिसंबर की सुबह करीब 10 बजे खेत में बोरवेल की खुदाई की जा रही थी, तभी अचानक तेज प्रेशर के साथ पानी निकलने लगा। जमीन के भीतर से गैस भी प्रेशर से बाहर निकल रही थी, जिसके चलते पानी की धार 10 फीट तक ऊंची थी। यह नजारा देख आसपास के लोग दहशत में आ गए थे। किसान के खेत में पानी नदी की तरह बहने लगा। लेकिन यह तीन बाद यह रुक गया। पानी के साथ गैस का रिसाव बंद हो गया है। लेकिन इसमें सबसे चैकाने वाली बात ये सामने आई है कि भू-जल विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन से टर्शरी काल की रेत निकली है। ऐसे में संभावना है कि जो पानी निकला है, वो 60 लाख साल पुराना हो सकता है। ऐसे में इसकी स्टडी की जरूरत है और इसके लिए कई कुएं खोदने की आवश्यकता है। दरअसल, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, जोधपुर के साथ स्टेट ग्राउंड वाटर बोर्ड के प्रभारी व वरिष्ठ भुजल वैज्ञानिक डॉ नारायण इनखिया सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और वर्तमान स्थिति का जायजा लिया था। भू-जल विशेषज्ञों ने यहां चैंकाने वाली बात कही है कि पानी के साथ जो रेत बाहर निकला है, वह टर्शरी काल से जुड़ा है और ऐसे में संभावना है कि जमीन से निकला पानी लाखों साल पुराना है। घटना सरस्वती नदी के प्राचीन प्रवाह का संकेत हो सकती है। यहां से निकलने वाला पानी ग्राउंड हाइड्रोलॉजी की भाषा में आर्टेसियन स्थिति के कारण निकल रहा है। पानी को सहेजने वाली भूगर्भीय परत बलुआ पत्थर और मिट्टी की मोटी परत से दबी हुई है। करीब 200 मीटर मोटी इस परत को पार करके जैसे ही मूल जल परत तक पहुंचते हैं, तो दबाव के कारण पानी ऊपर की ओर बहने लगता है। ब्रिटेनिका की खबर के मुताबिक, टर्शरी काल के अंतर्गत आज से 660 लाख से 26 लाख साल पहले का समय आता है। आर्टेसियन स्थिति के बारे में बताएं तो पानी मिट्टी की मोटी परत से दबा होता है और जब जमीन को ड्रिल किया जाता है तो एक साथ बहुत पानी निकलता है। गौरतलब है कि 28 दिसंबर की सुबह करीब 10 बजे भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष विक्रम सिंह के खेत में बोरवेल की खुदाई की जा रही थी। करीब 850 फीट खुदाई के बाद अचानक तेज प्रेशर के साथ पानी निकलने लगा। जमीन के भीतर से गैस भी प्रेशर से बाहर निकल रही थी जिसके चलते पानी की धार 10 फीट तक ऊंची थी। विशेषज्ञों के अनुसार रिसाव कभी भी फिर से शुरू हो सकता है, जिससे जहरीली गैस जैसे हानिकारक तत्व निकल सकते हैं। जिलाधिकारी ने इस क्षेत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। लोगों को खुदाई क्षेत्र के 500 मीटर के दायरे से दूर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
Hundreds of animals saved from being slaughtered in Nepal
The mass animal sacrifice at the Gadhimai festival in Nepal kept India’s border guarding force, Sashastra Seema Bal (SSB), and local administration across several districts in Bihar and Uttar Pradesh on their toes. This resulted in saving of more than 750 animals, including buffaloes and goats, from being slaughtered. The festival, nevertheless, witnessed the slaughter of 4,200 buffaloes at the Gadhimai temple between December 8-9. Some 400 of the rescued animals, including 74 buffaloes saved before they headed for the mass sacrifice, have found homes for future care at Vantara, a wildlife and rehabilitation centre of the Reliance group in Jamnagar, Gujarat. This first-of-its-kind rescue operation was made possible with the intervention of the Animal Welfare Board of India (AWBI) and animal welfare groups such as People for Animals (PFA) and Humane Society International/India (HSI/India). Their volunteers worked on the ground with district administration and stopped the illegal transportation of hundreds of buffaloes, goats, pigeons, and chickens to Nepal ahead of the mass sacrifice that took place over two days on December 8-9. Held every five years in Bariyarpur village in the Bara district of Nepal, the festival is estimated to see the sacrifice of as many as 5 lakh animals at the Gadhimai temple. Though these animals are mostly procured locally, a substantial number comes from Bihar and UP despite the Supreme Court of India directing the government in 2014 to stop the illegal transportation of animals to Nepal for sacrifice at the Gadhimai temple. At Vantara, the rescued animals will receive veterinary care, including necessary medical treatment to help them recover from the hardships they endured. “We are filled with joy knowing they have been saved from the horrors of the Gadhimai sacrifice and will now live and flourish in a safe, loving environment (at Vantara). Their successful relocation will ensure the best possible long-term care and well-being for these animals,” said Gauri Maulekhi, trustee at PFA. The AWBI wrote in October to police chiefs of both Bihar and UP, asking them to prevent the illegal transportation of animals ahead of the festival. The Board member, Girish J Shah, also coordinated the campaign with the district administration to rescue the animals. The Gadhimai festival, whose origins date back around 265 years, involves a month-long celebration culminating in the ritual slaughter of hundreds of thousands of animals. Though the Supreme Court of Nepal ordered in 2019 an end to animal sacrifices at Gadhimai and urged authorities to create a plan to phase out this practice, the neighbouring country has, so far, not been successful in controlling it.
PETA India demands action against leopard killing
Following a viral video that captured the horrific incident in which a leopard, a species protected under Schedule I of the Wild Life (Protection) Act (WPA), 1972, was allegedly killed by villagers who strangled the leopard with their bare hands, People for the Ethical Treatment of Animals (PETA) India supporter and actor Raveena Tandon sent an urgent letter to the Divisional Forest Officer of Maharganj, Niranjan Surve, IFS urging him to take suitable action. PETA India had recently worked with Sohagi Barwa Forest Division of the Uttar Pradesh Forest Department to ensure that a preliminary offence report (POR) was promptly registered, but suitable action is yet to be taken against the specific persons who can be clearly seen in the video. “Conflicts between humans and wildlife cannot be solved by hurting and killing animals. Town planning must include forest protection, and human encroachment into wild animals’ shrinking habitats must be curbed,” wrote Raveena. “Forest officials must have a protocol to humanely handle wild animals who end up in human villages, and action must be taken against anyone who takes matters into their own hands.” The incident occurred on December 3, 2024 at Chakdah village, near the Sohagi Barwa Wildlife Sanctuary in Maharajganj. The POR was registered against unidentified individuals under sections 9 and 51 of the WPA, 1972, even though faces of alleged offenders were clearly visible in the viral video.
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