A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

Support Us
   
Magazine Subcription

वन्यजीव अपराध की छानबीन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता फॉरेंसिक विज्ञान

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

वन्यजीव अपराध की छानबीन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता फॉरेंसिक विज्ञान

चूँकि वन्यजीव अपराध प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से किसी न किसी व्यक्ति विशेष द्वारा ही किया जाता है इसीलिए अपराध स्थल पर व्यक्ति द्वारा छोड़े गए भौतिक साक्ष्य का परीक्षण और एकत्रीकरण मानवीय घटना में उपयोग की गयी फॉरेंसिक विधि द्वारा किया जाता है...

वन्यजीव अपराध की छानबीन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता फॉरेंसिक विज्ञान

Specialist's Corner

प्रशान्त कुमार वर्तमान में उत्तराखण्ड वन विभाग में वरिष्ठ परियोजना सहयोगी ;वन्यजीवद्ध के पद पर कार्यरत हैं तथा पिछले सात वर्षों से वन्यजीव अपराध नियंत्रण एवं संरक्षण में प्रभावी शोध एवं विश्लेषण कार्य कर रहे है। इन्होंने लगभग पन्द्रह हजार से अधिक वन कर्मियों को वन्यजीव फॉरेंसिक एवं वन्यजीव संरक्षण विषय में प्रशिक्षित किया है तथा पांच सौ से अधिक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन भी किया है। प्रशान्त कुमार, फॉरेंसिक विज्ञान में बीएससी तथा एमएससी है एवं वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक्स में फील्ड के अनुभवी हैं ।

वन्यजीवों के शिकार, तस्करी और उनके अंगों का व्यापार आज एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे न केवल पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह जीवों की विलुप्ति का भी कारण बनता है। इस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग किया जा रहा है, और उनमें से एक महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीका फॉरेंसिक विज्ञान है। फॉरेंसिक विज्ञान न केवल अपराधों के अनावरण में सहायता करता है, बल्कि अपराधियों की पहचान करने, सबूत एकत्रित करने और न्याय दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फॉरेंसिक विज्ञान एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षेत्र है जो अपराधों की जांच और अपराधियों की पहचान में मदद करता है। यह विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक परीक्षणों और विधियों का उपयोग करता है, जैसे कि डीएनए विश्लेषण, बायोमेट्रिक परीक्षण, रासायनिक परीक्षण आदि, ताकि अपराध स्थल पर मिले साक्ष्यों को प्रमाणित किया जा सके। यह वन्यजीव अपराधों के मामले में भी अत्यधिक प्रभावी होता है। चूँकि वन्यजीव अपराध प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से किसी न किसी व्यक्ति विशेष द्वारा ही किया जाता है इसीलिए अपराध स्थल पर व्यक्ति द्वारा छोड़े गए भौतिक साक्ष्य का परीक्षण और एकत्रीकरण मानवीय घटना में उपयोग की गयी फॉरेंसिक विधि द्वारा किया जाता है। भारत में अभी भी यह तकनीक उतनी अधिक प्रभावी नहीं है जितना विदेशों में, हालाँकि कुछ वैज्ञानिक संस्थान इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे है। वन्यजीव अपराधों में जंगलों की अवैध कटाई, शिकार, वन्यजीवों की तस्करी, और वन्यजीवों के अंगों की व्यापारिक बिक्री प्रमुख रूप से शामिल होते हैं। इन अपराधों की जांच के लिए फॉरेंसिक विज्ञान का इस्तेमाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फॉरेंसिक विज्ञान वन्यजीव अपराध ही नहीं बल्कि मानव वन्यजीव संघर्ष में शामिल प्रजाति की पहचान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है 
वन्यजीव अपराध स्थल पर साक्ष्य की पहचान और विश्लेषण
फॉरेंसिक विज्ञान में सबसे पहला कदम अपराध स्थल की घेराबंदी एवं साक्ष्य की पहचान और संग्रहण होता है। वन्यजीव अपराधों के मामलों में यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जंगलों में या बाहरी क्षेत्रों में साक्ष्य आसानी से नष्ट हो सकते हैं। जैसे ही अपराध स्थल का निरीक्षण किया जाता है, वहां मौजूद किसी भी प्रकार के संदेहास्पद साक्ष्य जैसे शरीर के अंग, रक्त, बाल, खून के धब्बे, पैरों के निशान, या अन्य महत्वपूर्ण तत्वों को एकत्र किया जाता है। चूँकि वन्यजीव अपराध किसी मानव द्वारा किये जाने के कारण फिंगरप्रिंट भी बरामद हो सकते है जो मुख्यतः उपयोग में लाये गए औजारों और हथियारों, गिलास या बोतल पर मौजूद हो सकते है , का परीक्षण एवं विश्लेषण महत्वपूर्ण है। इन साक्ष्यों का विश्लेषण करने के लिए फॉरेंसिक वैज्ञानिक विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते हैं। जैसे कि डीएनए परीक्षण द्वारा यह पता किया जाता है कि मांस या शरीर का अंग किसी विशेष जानवर से संबंधित है। इस प्रकार, वैज्ञानिक साक्ष्य अपराधियों की पहचान और अपराध स्थल पर घटित घटनाओं को स्पष्ट करने में मदद करते हैं।
डीएनए विश्लेषण
डीएनए विश्लेषण फॉरेंसिक विज्ञान में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह वन्यजीव अपराधों के मामलों में शिकार किए गए जानवरों का पता लगाने में विशेष रूप से उपयोगी है। शिकारियों द्वारा शिकार किए गए जानवरों के शरीर के अंग या रक्त के नमूने लिए जाते हैं और उनकी डीएनए संरचना का विश्लेषण किया जाता है। इसके माध्यम से यह जाना जा सकता है कि शिकार किया गया जानवर किस प्रजाति का था और उस जानवर का संरक्षण स्थिति क्या थी।
वन्यजीव की खरीद-बिक्री और तस्करी के मामलों में फॉरेंसिक योगदान
वन्यजीवों की तस्करी एक गंभीर अपराध है जिसमें विभिन्न प्रकार के साक्ष्य मिलते हैं। फॉरेंसिक विज्ञान तस्करी के मामलों में शिकार किए गए जानवरों के अंगों, जैसे कि हड्डियां, खाल, शिकार की वस्तुएं, या अन्य उत्पादों की पहचान करता है। यह भी जांचता है कि इन उत्पादों का उपयोग कहां और किस उद्देश्य से किया जा सकता है। डीएनए फिंगरप्रिंटिंग से यह भी पता लगाया जा सकता है की अमुक प्रजाति किस प्रदेश या देश में निवास करती है या कहा पायी जाती है। 
स्थल विश्लेषण
वन्यजीव अपराध स्थल पर फॉरेंसिक जांचकर्ता घटना के स्थल का बारीकी से निरीक्षण करते हैं, जहां वह पैरों के निशान, वाहन के टायर के निशान, और अन्य भौतिक प्रमाण इकट्ठा करते हैं। इन प्रमाणों के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि अपराधी किस मार्ग से आया, घटनास्थल पर क्या हुआ और अपराधी किस दिशा में गए। इससे मामले की दिशा स्पष्ट होती है और अपराधियों की गिरफ्तारी में सहायता मिलती है।
वैज्ञानिक मॉडलिंग और पैटर्न विश्लेषण
फॉरेंसिक विज्ञान में मॉडलिंग और पैटर्न विश्लेषण का उपयोग भी किया जाता है। यह विशेष रूप से जंगलों और बाहरी क्षेत्रों में अपराध के मामलों की जांच में मदद करता है। उदाहरण के लिए, शिकारियों द्वारा किसी विशिष्ट स्थान पर शिकार किए जाने के बाद, इस प्रकार की जानकारी एकत्रित की जाती है कि अपराधी किस समय और किस स्थान पर शिकार करते हैं। इसका उपयोग भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए किया जा सकता है। कई बार यह भी पाया गया है की अपराधियों द्वारा छोड़े गए अखबार का टुकड़ा, ट्रैन या बस का टिकट, खाने-पीने के पैटर्न इत्यादि से भी विश्लेषण करके उन्हें पकड़ने में मदद मिली है।
प्राकृतिक परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर निर्णय
वन्यजीव अपराधों में अक्सर प्राकृतिक तत्व जैसे मौसम, भूमि का प्रकार और जंगली पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। फॉरेंसिक विज्ञान इन प्राकृतिक परिस्थितियों का अध्ययन कर यह पता लगाता है कि अपराध स्थल पर क्या हुआ हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर शिकारियों ने किसी जंगल में शिकार किया है, तो जंगल के प्रकार, वहां के जीव-जंतुओं का व्यवहार, और मौसम की जानकारी अपराध स्थल की वास्तविकता को समझने में मदद कर सकती है।
फॉरेंसिक विज्ञान ने वन्यजीव अपराधों की छानबीन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका साबित की है। डीएनए विश्लेषण, स्थल विश्लेषण, तस्करी के मामलों की जांच और अन्य वैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से फॉरेंसिक विज्ञान ने इन अपराधों की पहचान और रोकथाम में मदद की है। इसके माध्यम से ना केवल अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलती है, बल्कि यह वन्यजीवों के संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होता है। इसलिए, फॉरेंसिक विज्ञान का योगदान वन्यजीव अपराधों की छानबीन में अनमोल है, और इससे भविष्य में वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।


       
 

Leave a comment