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भारत में चंदन का पेड़ काफी प्रसिद्ध है। आपने कभी ना कभी चंदन के पेड़ को देखा होगा या फिर इसके बारे में सुना तो जरूर होगा। चंदन एक ऐसे वृक्ष का नाम है जो दिखने में खूबसूरत और सुगंधित होता है। हालांकि, चंदन की लकड़ी अपने गुणवत्ता के कारण काफी महंगी होती है इसलिए बहुत लोग चंदन के लकड़ी का बिजनेस करके भी खूब सारा पैसा कमा लेते हैं। चंदन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम सेंटलम अल्यम होता है। मुख्य रूप से भारत में कई जगहों पर चंदन का वृक्ष पाए जाते हैं। इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत में चंदन की खेती केरल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, दक्षिण आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु में किया जाता है। इसके अलावा उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी चंदन का वृक्ष पाया जाता है। चंदन के वृक्ष की फूल का रंग जामुनी या फिर भूरे-बैंगनी होते हैं। चंदन का वृक्ष तैयार होने में कम से कम 20 साल का वक्त लेता है। इसके वृक्ष के अंदर का भाग हल्का पीला कलर का होता है जिसकी खुशबू काफी अच्छी होती है। चंदन का पेड़ लगभग 40 से 60 साल की उम्र के पश्चात बहुत अधिक सुगंधित वाला वृक्ष तैयार हो जाता है। यदि आप चंदन के पेड़ की खेती की योजना बना रहे हैं तो आपको अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता हो सकती है जिसमें जैविक खाद मौजूद हो। चंदन की कई किस्में हैं और ये विभिन्न किस्में दुनिया भर में उपलब्ध हैं। मूल रूप से, चंदन की दो प्रसिद्ध किस्में हैं जिनका बाजार में बहुत अधिक व्यावसायिक मूल्य है। चंदन के पत्तों का उपयोग पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है। चंदन के पेड़ 30 साल की खेती के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं, अगर आप जैविक खेती का तरीका अपना रहे हैं तो आपको चंदन का पेड़ 10 से 15 साल में मिल सकता है। भारत में चंदन के दो रंग सफेद, पीले और लाल रंग में उपलब्ध हैं। इस चंदन की खेती का सबसे अच्छी बात यह है कि आप मालाबार नीम के बागान में चंदन के पेड़ को इंटरक्रॉपिंग के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। चंदन का पेड़ लगभग हर प्रकार की मिट्टी, जलवायु और तापमान में उग सकता है। चंदन के पेड़ की फसल को गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है और यह आद्र्र जलवायु परिस्थितियों में बेहतर होती है। यदि आप चंदन का इस्तेमाल किसी रोग को ठीक करने के लिए करना चाहते हैं, तो उसके लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं, क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह लिए आप इसका इस्तेमाल करेंगे, तो यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। नीचे दिए गए मात्रा के अनुसार ही आप चंदन का इस्तेमाल करें।
रैफलेसिया है दुनिया का सबसे बड़ा फूल
रैफलेसिया एक ऐसा फूल है जिसे दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता हें। यह एक हैरान कर देने वाला परजीवी पौधा हैें। ये अपने विशाल आकार के लिए जाना जाता है। इसकी सबसे छोटी प्रजाति 20 सेमी व्यास की होती है। रेफलीशिया की ज्यादातर प्रजातियों में सड़े हुए मांस जैसी बदबू आती है जिससे कुछ कीट और पतंगे इसकी ओर आकर्षित होते हैं। इस फूल की खोज सबसे पहले इंडोनेशिया के वर्षा वनों में हुई थीें। रैफलेशिया का फूल सबसे पहले इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर पाया गया था। इसे सर्वप्रथम डॉक्टर जोसेफ अर्नाल्ड के एक स्थानीय गाइड ने देखा था। अभी तक इस फूल की कुल 26 प्रजातियां विकसित हो चुकी हैं, जिनमें से चार का नामकरण अभी तक ठीक से स्पष्ट नहीं हुआ है। इंडोनेशिया के अलावा ये फूल फिलीपीन्स व मलेशिया में पाया जाता है। इसका जन्म किसी संक्रमित पेड़ की जड़ से ही होता है। ये फूल केवल जंगलों में ही उगता है. इसके उगने का तरीका यह है कि इसमें सबसे पहले एक गांठ सी बन जाती है फिर यह बड़ी होकर एक बंदगोभी का आकार ले लेती है और चार दिनों के अंदर इसकी पंखुड़ियां खुल जाती है। फिर बाद में पूरा फूल खिल जाता है। इसमें फूल एक ऐसा भाग है जो कि जमीन के ऊपर रहता है और शेष भाग कवक जाल की भांति पतले-पतले होते है और वह जमीन के अंदर ही धागों के रूप में फैले रहते है। रैफलेशिया फूल का मुख्य रूप से प्रयोग लोक चिकित्सा में किया जाता है। इस पौधे को प्रसव के बाद पुनः प्रयोग कर लिया जाता है। इस फूल को उभयलिंगी के रूप में उपयोग किया जाता है। इस पौधे में नर फूल ऊपर व मादा फूल नीचे होते है जिसे स्पैडिक्स कहा जाता है। ये पूरी तरह से पंखुड़ियों से घिरा होता है। इसको स्पैथ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें पुरूष फूलों के ऊपर हाइरलिक संरचनाएं होती है जो कीड़ों को आकर्षित कर गंध को उत्सर्जित करता है और कीड़ों को आकर्षित करता है। जैसे ही किड़े स्लिम स्पैथ पर चढ़ते हैंए कीड़े नर फूलों के पराग में ढकते हैं। मलेशिया में इस फूल के लिए एक पार्क पूरी तरह से रिजर्व है जिसमें रैफलिशिया फूल की कई तरह की किस्मों को लगाने का कार्य किया जाता है। ऐसा इसीलिए किया जाता है ताकि इसको पर्यटकों का रुझान मिले और पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सके।
दुनिया के 5 जहरीले जीव
दुनिया में एक से बढ़कर एक खतरनाक जीव हैं, जो बेहद जहरीले होते हैं। सांप और बिच्छु के अलावा कुछ ऐसे जहरीले जीव हैं, जिनका जहर इंसान को पल भर में मौत की नींद सुला सकता है। इनमें से कई जीव दिखने में बेहद खूबसूरत होते हैं और आकर्षित करते हैं, लेकिन इनके पास जाना यानी मौत को बुलावा देना है। मकड़ी की एक प्रजाति होती है फनल वेब स्पाइडर, जो मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। इसका जहर साइनाइड से भी ज्यादा खतरनाक होता है। रिपोट्र्स के मुताबिक, इस मकड़ी के काटने के 15 मिनट से लेकर 3 दिन के भीतर इंसान की मौत हो सकती है। बॉक्स जेलीफिश देखने में बेहद खूबसूरत होती है, लेकिन उतनी ही खतरनाक भी। बॉक्स जेलीफिश की गिनती दुनिया के बेहद जहरीले जीवों में होती है। इसका जहर एक बार में करीब 60 लोगों की जान ले सकता है। इंसान के शरीर में इसका जहर पहुंचते ही एक मिनट के अंदर उसकी मौत हो सकती है। बिच्छुओं की कुछ सबसे जहरीली प्रजातियों में इंडियन रेड स्कॉर्पियन की गिनती होती है। मूलतः भारत में पाए जाने के कारण ही इसे इंडियन रेड स्कॉर्पियन कहा जाता है, हालांकि भारत के अलावा यह दक्षिण एशिया के पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी पाया जाता है। इसके काटने के बाद अगर कोई उपाय न किया जाए तो 72 घंटे के भीतर इंसान की मौत हो जाती है। कोन स्नेल बेहद खतरनाक घोंघा होता है। वैसे तो दुनियाभर में घोंघे की 600 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं, लेकिन यह उनमें से सबसे ज्यादा जहरीला है। यह इतना जहरीला होता है कि कुछ ही देर में किसी को भी पैरालाइज (लकवाग्रस्त) कर सकता है। दुनियाभर में ऑक्टोपस की 300 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं, लेकिन इनमें ’ब्लू रिंग्ड ऑक्टोपस’ बेहद खतरनाक और जहरीला है। यह हिंद महासागर और ऑस्ट्रेलिया के समुद्रों में पाया जाता है। कहा जाता है कि इसका जहर इंसान को मात्र 30 सेकेंड में ही मौत की नींद सुला सकता है। यानी इसके दंश खाया हुआ इंसान पानी मांगने के लायक भी नहीं रह जाता. इसके एक बाइट में इतना जहर होता है कि उससे करीब 25 इंसानों की मौत हो सकती है।
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चंदन है खूबसूरत और सुगंधित वृक्ष
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Tree TakeMar 14, 2022 08:43 PM
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