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बालसम जिसे हम हिंदी में “गुलमेहंदी” कहते हैं, एक ऐसा पुष्प है जिसे हम कंही भी लगा सकते है। यह ग्रीष्म तथा वर्षा कालीन पौधा है जिसे हम जून जुलाई से लेकर अगस्त के प्रथम सप्ताह तक लगा सकते हैं। इसकी मुख्यतः तीन वैरायटी आती हंै, जिसमे सिंगल पुष्प व गुच्छों में पुष्प, तथा एक वैरायटी जिसमे पुष्प तना के नजदीक ही लगता है। बालसम को बीजों द्वारा ही रोपित किया जाता है। बालसम का फल जब पाक जाता है तो इसे हल्का सा टच करने पर इसका फल चटक कर बीज चारों तरफ बिखर जाता है। बालसम का पौधा बहुत ही कोमल होता है, स्कुल में इसके तना को लेकर गाढ़ी स्याही में डालकर बच्चों को जायलम की प्रेक्टिकल कराते है। बालसम के पुष्प कई रंगों में पाई जाती है लाल, सफ़ेद, गुलाबी, हल्की गुलाबी, जामुनी, सुर्ख लाल इसके कुछ किस्म मिक्स प्रजाति के भी पाई जाती है जिसमे सफ़ेद और लाल पट्टिया बनी होती है। हम बालसम के पौधे को कही भी लगा सकते है. बस यह ध्यान रखना चाहिए की इसके पौधे के पास पानी जमा ना हो, अर्थात पानी की निकासी बेहतर होनी चाहिए। हम इसे कयारी या गमलो में लगते है,बालसम के पौधे को पूर्ण धुप की जरुरत होती है इसलिए इसे ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहा धुप पूरी तरह पहुचती हो। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार बच्चों की स्मरण क्षमता बढ़ाने में गुलमेहंदी की सुगंध काफी असरदार है। ब्रिटेन के नार्थम्बरिया विश्वविद्यालय के मार्क मास के अनुसार खराब कामकाजी याददाश्त खराब शैक्षिक प्रदर्शन से जुड़ी हुई होती है। लेकिन अब इस फूल की सुगंध से ही इसमें सुधार किया जा सकता है। इस शोध में 10 से 11 साल के बच्चों पर अध्ययन किया गया। इसमें से कई बच्चों को गुलमेहंदी की सुंगध वाले कमरे में बिठाया गया। जबकि कई बच्चों को बिना सुंगध वाले कमरे में 10 मिनट के लिए रखा गया। इसके बाद दोनों तरह के बच्चों की उनकी कक्षा के आधार पर परीक्षा ली गई। साथ ही उन्हें कई तरह के मानसिक कार्य भी दिए गए। गुलमेहंदी के इस शोध में पाया गया कि बिना सुगंध वाले कमरे की अपेक्षा में सुगंध वाले कमरे में रहने वाले बच्चों ने परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त किए है। गौरतलब हैं कि ’ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी एनुअल कांफ्रेंस’ ने इस शोध को किया है। दरअसल गुलमेहंदी के तेल को लोग अक्सर याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ अपच, पेट फूलने, पेट में ऐंठन, कब्ज या सूजन में आराम पाने के लिए भी करते है। साथ ही यह अपच के लक्षणों को दूर करने और भूख बढ़ाने में भी कारगर होता है।
आम की पत्तियां के स्वास्थ्य लाभ
गर्मियों में सबसे ज्यादा मिलने और पसंद किये जाने वाले फलों के राजा आम के बिना गर्मियां अधूरी सी लगती है। यह काफी स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए लाभकारी भी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम के साथ-साथ इसकी पत्तियों भी हमारे लिए बहुत ही गुणकारी होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होने के कारण यह लगभग हर बीमारी का आसानी से इलाज कर सकती है। इसके अलावा इसमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी, बी और ए भी पाया जाता है। आम की पत्तियां एक ऐसा खजाना हैं, जो आपको फ्री में ही मिलता है। इसलिये इसे अच्छी ढंग से प्रयोग करें। आप आम की पत्तियों का कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे हल्के हरे रंग के छोटे आकार की आम की पत्तियों को तो़ड़ लें, उन्हें अच्छे से धोएं और छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर चबाइये। या आम के कुछ पत्तों को तोड़िये और रात भर के लिये हल्के गुनगुने पानी में डालकर भिगो दें। अगली सुबह इसका सेवन करें। साथ ही पत्तियों को धोकर धूप में सुखाएं और पाउडर बना लें। इस पाउडर की एक चम्मच लें और एक गिलास पानी में मिलाकर पी लें। ध्यान रखें इसका सेवन खाली पेट ही करें। आम के पत्तों की मदद से आप ब्लड-शुगर को भी कंट्रोल कर सकते हैं। ऐसा आम के पत्तों में मौजूद टैनिन के कारण होता है। आम के पत्तों से निकला अर्क इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज को बढ़ने से रोक कर ब्लड शुगर का स्तर घटाता है। इसके अलावा आम के पत्तों में मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव से ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। रोज सुबह एक चम्मच आम की पत्तियों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आम की पत्तियों से किडनी में पथरी की समस्या को हल करने और किडनी को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। इसी तरह यह आपको गॉल ब्लैडर की पथरी से निजात पाने और लिवर को सेहतमंद रखने में भी मदद करता है। रोजाना आम की पत्तियों के पाउडर से बना घोल पीने से किडनी के स्टोन दूर करने में मदद मिलती है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको बाकी चीजों का भी ध्यान रखना होगा। चूंकि आम के पत्तों में फाइबर, पेक्टिन और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है इसलिए यह आपके कोलेस्ट्रॉल, खासतौर पर एलडीएल या हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाता है। इसके अलावा इससे आपकी धमनियां मजबूत और स्वस्थ बनती हैं। आम की पत्तियां अस्थमा की बीमारी को कंट्रोल और इससे आपको बचाती हैं। आम की पत्तियां चाइनीज दवाओं में भी बहुत प्रयोग की जाती हैं, आप अस्थमा से निजात पाने के लिए इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर थोड़ा सा शहद मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं। प्रकृति हमें कई बीमारियों का उपचार स्वयं उपलब्ध कराती है, आमतौर पर प्राकृतिक उपचार के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। पेट की बीमारी के लिये में आम के मुलायम पत्ते आपके लिये संजीवनी का काम करते हैं। थोड़ी सी आम की पत्तियों को गर्म पानी में डालें, बर्तन को ढंक दें और रातभर के लिये इसे ऐसे ही छोड़ दें। अगली सुबह पानी को छान कर खाली पेट पी जाएं। इसे नियमित पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है और पेट का कोई रोग नहीं होता।
नीम के तेल में छिपा है हर रोग का इलाज
नीम की प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है। नीम के बीज से निकाला हुआ तेल हमारे कई काम आ सकता है। नीम के तेल में बहुत सारे औषधीय गुण छुपे हुए हैं। यह तेल बेहद ही सुगंध वाला होता है। ये सेहत और सौंदर्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह कई बीमारियों के लिए भी कारगर होता है। आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं। आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पत्ते को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाएं पैर के अंगूठे पर नीम की पत्ती को पीस कर लेप करें। ऐसा अगर बाई आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें, आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जाएगी। नीम से मलेरिया भगाया जा सकता है। इससे मच्छर और पैदा होने वाले लार्वा को खत्म किया जा सकता है। मच्छरों पर यह बहुत असरदार होता है। नीम के तेल से मलेरिया पर काबू पाया जा सकता है। किसानों के लिए यह जैविक कीटनाशक का काम करता है। यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह जमीन या पानी की आपूर्ति में कोई हानिकारक पदार्थ नहीं मिलाता, यह बायोडीग्रेडेबल है। यह मधुमक्खियों और केंचुए के रूप में उपयोगी कीड़े को नुकसान नहीं पहुंचाता। रूखी सूखी त्वचा के लिए नीम बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। एक्जिमा से स्किन पर सूजन और खुजली होती है। इसके लिए इफेक्टिड एरिया में नीम का तेल लगाएं। जलने की वजह से शरीर में जख्म बन जाने पर नीम का तेल लगाने से जख्म जल्दी ठीक हो जाते हैं।इन्फेक्शन से बचाता है। कील-मुंहासों और त्वचा के दाग भी दूर हो जाते है। आधा चम्मच नीम का तेल दूध में मिलाकर सुबह-शाम को पीने से रक्तप्रदर और सभी प्रकार के प्रदर बन्द हो जाता है। एथलीट फूट, नाखून कवक जैसे त्वचा रोग फंगल संक्रमण के कारण होते हैं। नीम में पाए जाने वाले दो योगिक ‘गेदुनिन’ और ‘निबिडोल’ त्वचा में पाए जाने वाले फफूंद को समाप्त करते हैं और संक्रमण को कम करते हैं। बालों को चमकदार, स्वस्थ बाल के लिए,सूखापन दूर करने के लिए नीम के तेल का प्रयोग करें। नीम का तेल नियमित लगाने से सिर की खुशकी दूर होगी जिससे रूसी की समस्या ठीक हो जाएगी। इसके तेल से बाल दो मुंहे भी नहीं होते।गंजेपन की समस्या है तो सिर में नीम का तेल लगाएं। इससे जूएं-लीखें भी दूर हो जाती हैं। दांतों और मसूड़ों की समस्या में नीम का तेल की कुछ बूंदों मंजन में मिला कर मले। नीम के तेल में एंटी बेक्टीरियन तत्व पाए जाते हैं जो दांतों में होने वाली समस्यओं जैसे दांतों के दर्द, दांतों का कैंसर, दांतों में सड़न आदि में राहत देता है। नीम में पाये जाने वाले तत्व ऑक्सीकरण रोधक होते हैं जो चेहरे में होने वाले परिवर्तनों को रोक देते हैं। नीम के तेल लगाने से चेहरे की झुर्रियां कम होती है। और आपकी बढ़ती हुई उम्र रूक जाती है।
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बालसम की सुगंध याददाश्त बढ़ाने में कारगर
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Tree TakeJul 26, 2022 01:15 PM
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