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आहार विशेषज्ञों की मानें तो सर्दी के मौसम में कैलरी और वसा में कम, लेकिन विटामिन, मिनरल, फ्लेवोनॉएड, एंटी ऑक्सीडेंट्स, फाइटोन्यूट्रीएंट्स, एंटी बैक्टीरियल जैसे तत्वों से भरे फलों की तो विविधता तो मिलती ही है, उनके अपने फायदे भी बहुत हैं। ये पेट भरे होने का अहसास तो कराते ही हैं, वजन के प्रति सचेत लोगों के लिए आदर्श आहार भी साबित होते हैं। फल सर्दी के मौसम में पड़ने वाली ठंड का सामना करने के लिए ऊर्जा का उत्पादन कर शरीर को मजबूत बनाते हैं। इनमें पाई जाने वाली नेचुरल शुगर बहुत जल्दी अवशोषित होकर ऊर्जा का उत्पादन करती है और हमारे शरीर को गर्म रखती है। फल शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और रोगों से लड़ने के लिए इम्यून पॉवर और शरीर की चयापचय क्षमता (मेटाबॉलिज्म) को बूस्ट करते हैं, जिससे हम संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहते हैं। हमारे पाचन तंत्र को सुचारू रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं फल। अपच, कब्ज, गैस बनने जैसी पेट की गड़बड़ियोसे भी बचाते हैं। सर्दी के मौसम में प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाना आसान होता है, क्योंकि पाचन प्रक्रिया ज्यादा अच्छी रहती है। ऐसे में पौष्टिकता से भरपूर चीजों को अपने आहार में प्रमुखता से शामिल किया जाए, ये जरूरी है। स्नैक्स टाइम या ब्रंच टाइम फल खाने का सबसे अच्छा समय है, जब हमारा पेट खाली होता है। भोजन करने के बाद फल नहीं खाने चाहिए। फल भोजन करने से 15-20 मिनट पहले या एक घंटे बाद खाना ही बेहतर है, जिससे ये आसानी से पच जाते हैं। सेब, अंगूर और संतरा सुबह नाश्ते से पहले और लंच व डिनर के बीच ब्रंच के तौर पर खाना अधिक फायदेमंद है। सर्दी के मौसम में रात में फल खाने से परहेज करें। फ्रिज में रखे ठंडे फल का तापमान सामान्य करके ही खाएं। फलों का जूस पीने की बजाय चबा-चबा कर खाना फायदेमंद है। इससे फलों में मौजूद फाइबर बर्बाद नहीं होता। फल खाने से पहले उसे अच्छी तरह धो जरूर लें। इनके छिलकों पर संक्रमण फैलाने वाले जीवाणु चिपके होते हैं, जो शरीर में पहुंच कर बीमारियों को न्यौता देते हैं। काट कर रखे फल न खाएं। इससे इनमें मौजूद लौह ऑक्साइड से लोहा फैरिक ऑक्साइट के रूप में बदल जाता है। फलों का चयन करते समय ध्यान रखें कि वे कोल्ड स्टोर के न होकर ताजे हों। दागी, कटे-फटे या ढीले फलों से बचें, क्योंकि ऐसे फल विषाक्त हो जाते हैं। अक्टूबर यानी शरद ऋतु, इस बदलते मौसम में आपको मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए।
अक्टूबर माह से ही मौसम सर्द होने लगता है। बदलते मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन मौसमी फलों को डाइट में शामिल करना चाहिएः अक्टूबर अनार का मौसम है। इस महीने में अनार जरूर खाना चाहिए। अनार खाने से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है और विटामिन सी, के और बी मिलता है। पपीता हर मौसम में आसानी से मिल जाता है। सर्दी शुरू होते ही पपीते का मौसम भी शुरू हो जाता है। पपीता आपको पेट की बीमारियों से बचाता है और विटामिन सी, ए और फाइबर से भरपूर होता है। अमरूद अक्टूबर के महीने में आना शुरू हो जाता है। इस मौसम में अमरूद खाना फायदेमंद होता है। यह विटामिन सी, प्रोटीन और फाइबर प्रदान करता है। अमरूद वजन घटाने में भी मदद करता है। सेब का सीजन भी अक्टूबर से शुरू होता है। आपको रोजाना 1 सेब खाना चाहिए। यह आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करता है। सेब खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। इस मौसम में सीताफल आने लगता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट फल है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए सीताफल का सेवन करें। गर्भावस्था में भी सीताफल फायदेमंद होता है। सर्दियों में मिलने वाले संतरा, कीनू जैसे खट्टे जूसी साइट्रस फल अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें। विटामिन सी, पेक्टिन फाइबर, लाइमोनीन, फाइटोकैमिकल्स से भरपूर ये फल जूस से भरपूर हैं। इनके नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में बढोतरी होती है, जिससे वायरल संक्रमण से होने वाले जुकाम-खांसी, फ्लू, वायरल जैसे रोगों से बचाव होता है।
भारत में है दुनिया का सबसे विशालकाय बरगद का पेड़
बरगद एक दीर्घजीवी और विशाल वृक्ष होता है, जिसे हिंदू परंपरा के अनुसार पूज्यनीय माना जाता है। वैसे तो बरगद के पेड़ दुनियाभर में पाए जाते हैं, लेकिन दुनिया का सबसे विशालकाय जो बरगद का पेड़ है, वह भारत में ही है। इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इस पेड़ को ‘द ग्रेट बनियन ट्री‘ के नाम से जाना जाता है। यह पेड़ 250 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह विशालकाय बरगद का पेड़ कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन में है। 1787 में इस पेड़ को यहां स्थापित किया गया था। उस समय इसकी उम्र करीब 20 साल थी। इस पेड़ की इतनी जड़ें और शाखाएं हैं कि इससे एक पूरा का पूरा जंगल ही बस गया है। इसे देखकर यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि यह सिर्फ एक ही पेड़ है। 14,500 वर्ग मीटर में फैला यह पेड़ करीब 24 मीटर ऊंचा है। इसकी 3000 से अधिक जटाएं हैं, जो अब जड़ों में तब्दील हो चुकी हैं। इस वजह से इसे दुनिया का सबसे चैड़ा पेड़ या ‘वॉकिंग ट्री‘ भी कहा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस एक पेड़ पर पक्षियों की 80 से ज्यादा प्रजातियां निवास करती हैं। वर्ष 1884 और 1925 में कोलकाता में आए चक्रवाती तूफानों ने इस विशालकाय पेड़ को काफी नुकसान पहुंचाया था। इसकी वजह से कई शाखाओं में फफूंद लग गई थी, इसलिए उन्हें काटना पड़ा था। इसके बावजूद यह पेड़ दुनिया के सबसे विशालकाय वृक्ष के तौर पर प्रसिद्ध है। साल 1987 में भारत सरकार ने इस विशालकाय बरगद के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था। इसे बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया का प्रतीक चिह्न भी माना जाता है। इस पेड़ की देखरेख 13 लोगों की एक टीम करती है, जिसमें बॉटनिस्ट (वनस्पति वैज्ञानिक) से लेकर माली तक सब हैं। समय≤ पर इसकी जांच की जाती है, ताकि इसे कोई नुकसान न पहुंचे।
अकेले प्लांट ने समुद्र के भीतर बना दिया ‘घास का मैदान‘
आखिर एक पौधा अधिकतम कितना लंबा हो सकता है? अक्सर गमलों में लगे पौधे जमीन से छत तक पहुंच जाते हैं या पूरे खेत में फैल जाते हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के तट पर दुनिया का सबसे बड़ा पौधा खोजा गया है। यह एक समुद्री घास है जिसका आकार एक शहर के बराबर है। यह पौधा 10-12 मीटर के बजाय 180 किमी तक फैला हुआ है। वैज्ञानिकों ने जेनेटिक टेस्टिंग के माध्यम से पता लगाया कि पानी के भीतर फैला समुद्री घास का मैदान दरअसल सिर्फ एक पौधा है। माना जा रहा है कि यह घास सिर्फ एक ही बीज से निकली है और 4500 साल में इतनी फैली है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने कहा कि समुद्री घास करीब 200 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली हुई है। पर्थ के उत्तर में करीब 800 किमी दूर शार्क बे में वैज्ञानिकों की टीम ने अचानक इसकी खोज की। उन्होंने सैंपल्स इकट्ठा किए और यह पता लगाने का लक्ष्य रखा कि कितने पौधों से मिलकर घास का मैदान बना है।रिसर्च के प्रमुख लेखक जेन एडगेलो ने कहा, ‘नतीजों ने हमारे होश उड़ा दिए क्योंकि घास का मैदान सिर्फ एक पौधे से बना है।‘ उन्होंने कहा, ‘सिर्फ एक पौधा शार्क खाड़ी में 180 किमी तक फैला है, जो इसे धरती का सबसे बड़ा पौधा बनाता है।‘ यह पौधा अपनी कठोरता के लिए भी जाना जाता है। रिसर्च में शामिल डॉ एलिजाबेथ सिंक्लेयर ने कहा, ‘यह लचीला प्रतीत होता है, जो तापमान, खारेपन के साथ-साथ उच्च प्रकाश को बर्दाश्त करता है जो आमतौर पर ज्यादातर पौधों के लिए मुश्किल होता है।‘इस प्रजाति का पौधा आमतौर पर साल में 35 सेमी की दर से घास के मौदान की तरह बढ़ता है। इस आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इसे अपने वर्तमान आकार तक फैलने में 4500 साल लगे हैं। यह रिसर्च प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी जर्नल में प्रकाशित हुई है।
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