Talking Point
समस्त अधिकारी/कर्मचारी पूर्ण निष्ठा से कार्य करें तथा निर्धारित लक्ष्यों को समय से पूर्ण करें। वन निगम के सेवानिवृत्ति कर्मचारियों के देय लाभों को समय से उपलब्ध कराएं। यह बातें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)/अध्यक्ष वन निगम अरुण कुमार सक्सेना ने कही। सक्सेना उत्तर प्रदेश वन निगम के कार्यालय में 10 नवम्बर को वन निगम के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
समीक्षा के दौरान वन मंत्री ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि सभी अधिकारी/कर्मचारी ईमानदारी एवं निष्ठा से कार्य करते हुए निर्धारित लक्ष्यों को समय से पूर्ण करें। उन्होंने कहा कि कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। विभाग में स्टॉफ की कमी है तो नई भर्ती प्रक्रिया पर नियमानुसार कार्रवाई कराना सुनिश्चित करें। सक्सेना ने कहा कि विभाग में स्टॉफ की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि जो कर्मचारी सेवानिवृत्ति हो गए हैं उन्हें दये लाभों को समय से उपलब्ध कराएं तथा जो कर्मचारी प्रमोशन की श्रेणी में आ रहे हैं, उनके प्रमोशन की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करें।
वन मंत्री द्वारा वन निगम में प्रकाष्ठ, तेंदूपत्ता एवं लघु वन उपज के उत्पादन तथा बिक्री एवं वन प्रमाणीकरण आदि कार्यों की समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान वन मंत्री ने निर्देश दिए कि इस वर्ष उत्पादन के निर्धारित लक्ष्य समय से पूर्ण कर लिया जाएं तथा राष्ट्रीय राजमार्ग एवं रेलमार्गों में आने वाले एवं विकास कार्यों में बाधक वृक्षों का पातन प्राथमिकता के आधार पर समय से पूर्ण किया जाए। उन्होंने प्रकाष्ठ की बिक्री में वृद्धि सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। सक्सेना ने कहा कि ईकोटूरिज्म क्षेत्र में पर्यटकों को सुविधा हेतु अमानगढ,़ सोहगीबरवा, राजदरी एवं देवदरी क्षेत्र को इस पर्यटन सत्र से सफारी हेतु खोला जाए। उन्होंने सभी अधिकारियों को वन निगम को अधिक से अधिक लाभ अर्जन के निर्देश दिए।
बैठक में प्रबंध निदेशक सुधीर कुमार शर्मा, अपर प्रबंध निदेशक/महाप्रबंधक (उत्पादन) बी प्रभाकर, महाप्रबंधक (उद्योग) ईवा शर्मा, महाप्रबंधक (विपणन/तेंदूपत्ता) राजकुमार, महाप्रबंधक (कार्मिक) सुजॉय बनर्जी एवं वीसी के माध्यम से समस्त क्षेत्रीय अधिकारी गण उपस्थित रहे।
Celebrity kids protest for prohibition on cruel use of elephants
Just in time for Children’s Day (November 14), Farah Khan Kunder’s children, Anya, Czar, and Diva Kunder; Shilpa Shetty Kundra’s son, Viaan Raj Kundra; and Raveena Tandon Thadani’s children, Rasha and Ranbir Thadani, joined 1,00,000 students from private and government schools across the country in signing a petition urging the ministers of fisheries, animal husbandry, and dairying and the environment, forests, and climate change to add elephants to the list of species protected from being used for entertainment, such as in circuses and for rides. Bears, monkeys, tigers, panthers, and lions are already on the list. The signed petitions have been submitted to the respective ministries and can be viewed here. “Many captive elephants are held illegally, and they are routinely chained and beaten,” says PETA India Director of Education and Youth Outreach Puja Mahajan. “This is particularly appalling because the elephant is India’s heritage animal, so PETA India is requesting that the government include these sacred animals on the list of species protected from use in entertainment.” When imprisoned to be used for rides, festivals, weddings, or other events, many elephants exhibit signs of severe psychological distress and frustration, such as swaying, head bobbing, and weaving – behaviour not observed in healthy elephants in nature. Those who are used for performances are routinely controlled through beatings, kept chained for hours on end, moved in trucks from one place to another, and denied proper food, water, and veterinary care. As a result of their abuse, many elephants retaliate. According to figures compiled by the Heritage Animal Task Force, captive elephants killed 526 people in Kerala alone in a 15-year span. Elephants are highly intelligent and social animals, and in their natural habitat, many of them spend their entire lives with their families. Their home ranges in the jungle can span up to 800 square kilometres, and they and they roam vast areas for exploration and to forage for food. Elephants work together to solve problems and rely on the wisdom, judgement, and experience of their oldest relatives. These animals deserve the same protection afforded to other wild animals through the prohibition of their use in performances. TTN
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