A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

Support Us
   
Magazine Subcription

राज्यस्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र जल्द

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

राज्यस्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र जल्द

 जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की गंभीरता को देखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 से 2029-30 की उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना का निरूपण किया गया है...

राज्यस्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र जल्द

Green Update
उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना के सामरिक ज्ञान मिशन के अन्तर्गत जलवायु परिवर्तन के अनुकुलन एवं शमन हेतु अनुसंधान करना एवं उसे राज्य के विभिन्न विभागों की नीतियों/कार्यवाहियों में एकीकृत कराने की कार्यवाही की जानी है। इस संबंध में अग्रतर कार्यवाही करते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ळपर्् प्दकपं  के सहयोग से ठतपकहपदह जीम ब्सपउंजम ब्ींदहम त्मेमंतबी ंदक च्वसपबल ळंच वित म्दींदबमक स्वबंस ब्सपउंजम ।बजपवद पद न्जजंत च्तंकमेी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा अरूण कुमार सक्सेना द्वारा किया गया।
     जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की गंभीरता को देखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 से 2029-30 की उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना का निरूपण किया गया है। राज्य के सभी संबंधित विभागों के सक्रिय सहयोग से एवं ळपर्् प्दकपं के तकनीकी सहयोग से उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना बनायी गयी है। मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के द्वारा उक्त कार्ययोजना अनुमोदित की गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना में उत्तर प्रदेश राज्य में जलवायु परिवर्तन के अनुकुलन एवं शमन हेतु 9 मिशन के अन्तर्गत रणनीतियों एवं कार्यवाहियां निरूपित की गयी हैं। डा अरूण कुमार सक्सेना द्वारा अपने भाषण में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा निरूपित उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना की जानकारी देते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। डा सक्सेना ने उपस्थित अधिकारियों से अपेक्षा की कि वह सुनिश्चित करें कि कार्यशाला में प्रस्तुत शोध के निष्कर्षो को विभाग द्वारा निरूपित नीतियों में समाहित किया जाये, जिससे विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुकुलन एव शमन हेतु राज्य तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि  उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना के सामरिक ज्ञान मिशन के अन्तर्गत राज्य में प्रस्तावित जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र की स्थापना हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगीकी विभाग, भारत सरकार स्वीकृति प्रदान करने की जानकारी देते हुए अवगत कराया गया कि शीघ्र ही पर्यावरण निदेशालय उ0प्र0 के गोमती नगर स्थित कार्यालय में राज्य स्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र कार्य करना शुरू कर देगा। उक्त राज्यस्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र द्वारा सामुदायिक जागरूकता और संवेदीकरण ज्ञान प्रबंधन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना में चिन्हित विभिन्न शोध/अध्ययन करने का कार्य किया जायेगा। ज्ञान केन्द्र जलवायु परिवर्तन जागरूकता के लिए संचार सामग्री विकसित करेगा और राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय तकनीकी संस्थानों से नेटवर्किंग करेगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य के लोगो के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य ज्ञान नेटवर्क के अन्र्तगत, तत्वा फाउंडेशन, लखनऊ एवं गोरखपुर एनवायरनमेंट एक्शन ग्रुप के सहयोग से एक सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म, शेल्टर, विकसित करेगा। यह प्लेटफॉर्म आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्नीग का उपयोग कर क्षेत्रीय भाषाओं में व्यक्तिगत जलवायु परिवर्तन से संबंधित सूचना का आदान प्रदान करेगा।
एफ्फिसिएंट इकॉनमी, नई दिल्ली द्वारा जलवायु परिवर्तन के स्थानियकरण; आई.आई.एम लखनऊ द्वारा जलवायु स्मार्ट कृषि; नबार्ड द्वारा जलवायु वित्त; सेंट्रल इंस्टिट्यूट फॉर सुब्त्रोपिकाल हॉर्टिकल्चर द्वारा सुब्त्रोपिकाल हॉर्टिकल्चर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव; इंडियन ग्रास्लैंड एंड फोडर रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा वर्ष भर जलवायु अनुकूल चारा उत्पादन प्रणाली; सिमैप द्वारा उप्र के लिए जलवायु परिवर्तन और उपयुक्त औषधीय और सुगंधित पौधे; एन.बी.आर.आई द्वारा वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के शमन में शहरी वन की भूमिका; बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान द्वारा उप्र के वेटलैंड्स और पॉलिसी गैप एवं सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा जलवायु संवेदी एग्रोफोरेस्ट्री पर प्रस्तुतिकरण किया गया। द्वितीय तकनिकी सत्र में तत्वा फाउंडेशन द्वारा शेल्टर एप पर; बनारस हिंदु विश्वविद्याालय के शोधकर्ताओं द्वारा उष्णकटिबंधीय घास के मैदान में मिट्टी की पोषक तत्वों की उपलब्धता पर मानसुन के प्रभाव एवं भारत के तापमान सजातीय क्षेत्रों के लिए बहुभिन्नरूपी सूखा विश्लेषणः गोमती नदी बेसिन से सीख एवं भीमराव अंबेडकर संस्थान द्वारा एरोबिक, केमोहेटरोट्रोफिक बैक्टीरिया के प्रभाव पर प्रस्तुतिकरण किया गया। इसके उपरान्त ‘‘जलवायु कार्रवाई के स्थानीयकरण पर सामरिक ज्ञान और अनुसंधान आवश्यकताओं के लिए आगे की राह’’ विषय पर एक पैनल विचार विमर्श का आयोजन किया गया । 
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की गहन समीक्षा
प्रदेश के पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एवं  जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा अरूण कुमार सक्सेना तथा विभाग के राज्यमंत्री केपी मलिक द्वारा उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की गहन समीक्षा की गई। इस मौके पर मंत्रीगण द्वारा राज्य बोर्ड मुख्यालय में कार्यरत कंट्रोल रूम के कार्यों की संकलित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। डा सक्सेना ने गंगा एवं अन्य सहायक नदियांे की जल गुणवत्ता में सुधार हेतु क्रियान्वित किये जा रहे एक्शन प्लान की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 114 सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट (एसटीपी) स्थापित हो चुके हैं, जिसमें से 104 संचालित हैं। बोर्ड द्वारा प्रत्येक सप्ताह सभी (एसटीपी) की मॉनिटरिंग की जाये। संचालित एसटीपी में से 94 मानकों के अनुरुप पाये गये तथा 10 मानकों के अनुरुप नहीं पाये गये, जिनके विरुद्ध नियमानुसार पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किया जाये। उन्होंने यह निर्देश दिए कि एनजीटी द्वारा दिये गये आदेश के अनुपालन में क्पेजतपबज म्दअपतवदउमदजंस च्संद को निर्धारित प्रारूप पर तैयार कर में 01 सप्ताह में बोर्ड को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये।
  वन मंत्री ने प्रदेश में स्थित ईंट भट्ठों के सम्बन्ध में बोर्ड के अधिकारियों को  निर्देश दिये कि प्रदेश में ईंटों की कमी के दृष्टिगत एनसीआर के अतिरिक्त अन्य सभी जनपदों में 01 फरवरी, 2023 से वैध ईंट-भट्ठा संचालन की अनुमति प्रदान की जाये। निवेश मित्र पर प्राप्त आवेदन पत्रों एवं आईजीआरएस पर प्राप्त  शिकायतों के निस्तारण की स्थिति पर संतोष व्यक्त किया गया।  उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि उद्योगांे को पर्यावरणीय समस्याओं के निराकरण में सहयोगी बनकर आवश्यक कार्यवाही कराये, ताकि जन मानस में सकारात्मक संदेश पहुंच सके। सक्सेना द्वारा पैकेजिंग हेतु प्लास्टिक/पॉलीथीन प्रयुक्त करने वाले उद्योग  प्रतिनिधियों के साथ  म्Ûजमदकमक च्तवकनबमत त्मेचवदेपइपसपजल(म्च्त्) का अनुपालन करने के  सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी। अपर मुख्य सचिव द्वारा अवगत कराया गया कि ईपीआर के  प्राविधानों के सम्यक् अनुपालन से सर्कुलर एकोनामी के उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति किया जाना  संभव हो सकेगा। मंत्री जी द्वारा बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि उद्यमियों  को अपेक्षित सहयोग प्रदान किया जाये, जिससे प्रदेश के औद्योगिकीकरण में गति मिल सके। अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण द्वारा अवगत कराया गया कि बोर्ड  एवं अन्य विभागों के सामूहिक प्रयासों से विगत दो वर्षों में 17 में से 16 नगरों की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। 01 अक्टबूर, 2022 से 15 दिसम्बर, 2022 में विगत वर्ष इसी अवधि में प्रदेश के प्रमुख नगरों में वायु गुणवत्ता में सुधार आया है। ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण‘ में देश के प्रथम 03  महानगरों लखनऊ, प्रयागराज एवं वाराणसी उप्र के थे जिन्हें भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत  भी किया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य नगरों में मुरादाबाद एवं फिरोजाबाद की भी सराहना की गयी है। बैठक में प्रदेश के सभी प्रभागीय वन अधिकारी एवं क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वीसी के माध्यम से उपस्थित थें।
काष्ठ आधारित उद्योग के लेमिनेशन इकाईयों का संचालन
लेमिनेशन की प्रक्रिया में पूर्व से निर्मित उत्पाद यथा पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ/एचडीएफ, प्लाईवुड एवं अन्य प्रकार के बोर्ड पर अंसनम ंककपजपवद कर बेहतर उत्पाद बनाने हेतु बोर्ड के बाहरी सतह पर माईका, सनमाईका, कामर्शिलयल/डेकोरेटिव फेस, प्लास्टिक/प्लास्टिक फाईबर, माईका पेपर, हसं्रमक ेीममज आदि को ग्लू (हसनम) कर लेमिनेशन मशीन द्वारा बेहतर उत्पाद बनाया जाता है। इन इकाईयों के स्थापित होने से अंसनम ंककपजपवद के माध्यम से बेहतर गुणवत्ता का उत्पाद प्रदेश में तैयार होगा, प्रदेश की इकाईयों को काम मिलेगा, आम जनमानस को बेहतर उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे, लोगो को रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होंगे, औद्योगिक निवेश का माहौल तैयार होगा एवं सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही इन इकाईयों के स्थापित होने से प्रदेश में किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा एवं किसानों की आय दोगुनी करने में सहायता मिलेगी। अतः लेमिनेषशन इकाईयां स्थापित करना प्रदेश के सर्वांगिक विकास हेतु जनहित में है। रजिस्ट्रेशन की सम्पूर्ण प्रक्रिया आनलाइन होगी। रजिस्ट्रेशन हेतु वन विभाग के काष्ठ आधारित उद्योग के रजिस्ट्रेशन हेतु विकसित वेब पोर्टल ूूू.नचवितमेज.हवअ.पद में ’’लेमिनेशन इकाईयों के रजिस्ट्रेशन’’ हेतु लिंक के माध्यम से आनलाइन आवेदन किया जा सकता है। विस्तृत शर्ते एवं प्रक्रिया वन विभाग उक्त लिंक पर देखी जा सकती है। प्रत्येक आवेदन का परीक्षणोपरान्त अनुमोदन राज्य स्तरीय समिति काष्ठ आधारित उद्योग, उ0प्र0 किया जायेगा एवं जिसके आधार पर सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा इकाई का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र आनलाइन निर्गत किया जायेगा। इच्छुक निवेशक/उद्यमी लेमिनेशन इकाईयों को स्थापित एवं संचालित करने हेतु ूूू.नचवितमेज.हवअ.पद पर आनलाइन आवेदन कर सकते है।
इन्वेस्टर्स प्री समिट का आयोजन
उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार को गति प्रदान करने के उद्देश्य से दिनांक 13.01.2023 को नई दिल्ली के होटल ओबेराय में इन्वेस्टर्स प्री समिट का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। समिट में वन विभाग से जुड़े विभिन्न सेक्टरों में निवेश - फर्नीचर, विनियर, एमडीएफध्एचडीएफ, लैमिनेशन इत्यादि) निवेश के सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा अनुकूल माहौल तैयार किया गया है, जिसके विषय में राज्य सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा विस्तार से उल्लेख किया गया। समिट में मुख्य अतिथि के रूप में अरुण कुमार सक्सेना राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार द्वारा प्रदेश में आधारभूत संरचना के विकास के साथ-2 सिंगल विन्डो सिस्टम क्लियरेन्स तथा विगत 06 वर्षों में अपराधियों के विरुद्ध राज्य द्वारा की गई कार्यवाहियों के विषय में बताया गया। उत्तर प्रदेश  के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने वानिकी सेक्टर में करीब 25 वर्षेां बाद निवेश के अनुकूल माहौल तैयार करने हेतु राज्य सरकार द्वारा विगत 05 वर्षों में किये गये कार्यों के विषय में बताया तथा निवेशकों  को किसी प्रकार की असुविधा से बचने हेतु वनों से सम्बन्धित उद्योगों को पूर्णतया कपहपजंसप्रम करने की दिशा में किये जाने वाले कार्यों के सम्बन्ध में अवगत कराया साथ ही साथ उनके द्वारा निवेशकों को भरोसा दिलाया गया कि राज्य सरकार प्रदेश  में काष्ठ आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु प्रत्येक सम्भव सहयोग प्रदान करेगी। सीपी गोयल, महानिदेशक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बताया गया कि विगत कुछ वर्षो में वन आधारित उत्पादों का उपयोग सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर काफी बड़े स्तर पर किया जा रहा है और उत्तर प्रदेश  में इस सेक्टर में विकास की असीम सम्भावनायें मौजूद हैं। अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह द्वारा निवेशकों को प्रदेश में इको पर्यटन, विनियर इत्यादि सेक्टरों में दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उप्र ममता संजीव दूबे द्वारा प्रदेश में विस्तृत भाग में फैले वन संसाधनों तथा उनसे जुड़े उद्योगों में कितनी सम्भावनायें हैं, इस विषय में विस्तार से बताया गया । श्री सुधीर शर्मा प्रबन्ध निदेशक, उप्र, वन निगम ने वन प्रमाणीकरण के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश द्वारा उठाये गये कदमों एवं ईकोटूरिज्म के क्षेत्र में व्यापक निवेश की सम्भावनाओं पर प्रकाश डाला। राज्य में काष्ठ आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा अनुपम गुप्ता, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को सदस्य सचिव, राज्य स्तरीय समिति, काष्ठ आधारित उद्योग, उप्र के रूप में नोडल अधिकारी नामित किया गया है। समिट में कुल 66 निवेशकों ने वानिकी के 10 विभिन्न सेक्टरों में 14,085.10 करोड़ रू, जिसमें से 13 निवेशकों द्वारा कुल 3,365.1 करोड़ रू के डवन् आनलाइन भरे गये। समिट में निवेशकों द्वारा भारी उत्साह से प्रतिभाग किया गया। 
 

Leave a comment