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चिरौंजी को भला कौन नहीं जानता है। यह हर घर में एक सूखे मेवे की तरह प्रयोग की जाती है। इसका प्रयोग भारतीय पकवानों, मिठाइयों और खीर इत्यादि में किया जाता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। ये आपके पेट को ठंडक पहुंचाती है। चिरौंजी का सेवन करने से इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है। चिरौंजी दूसरे ड्राई फ्रूट की तुलना में काफी महंगी होती है। चिरौंजी में पाए जाने वाले तत्व एनर्जी देने में मदद करते हैं। चिरौंजी खाने से हमारे पाचन तंत्र से गंदगी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकल जाते हैं और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है। यह आंतों की अंदरूनी परत को फिर से साफ करने में भी मदद करती है और उसकी आंतरिक दीवारों में चिकनाहट पैदा करती है जिससे हमारा पेट साफ हो जाता है। चिरौंजी का वृक्ष अधिकतर सूखे और पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। चिरौंजी की खेती दक्षिण भारत, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छोटा नागपुर आदि जगहों पर की जाती है। चिरौंजी स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिहाज से बहुत अच्छी मानी जाती है। इसका लेप लगाने से चेहरे के मुहाँसे, फुंसी और अन्य चर्म रोग दूर होते हैं। चिरौंजी को खाने से ताकत मिलती है और पेट में गैस नहीं बनती है। चिरौंजी में बहुत से विटामिन पाए जाते हैं। चिरौंजी के सभी भाग - बीज या नट्स, गुठली, फल, जड़, तेल और गम आंदि पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल होते आए हैं। चिरौंजी को गुलाब जल के साथ पीस कर चेहरे पर लेप लगाएं। फिर जब यह सूख जाए तब इसे मसल कर धो लें। इससे चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार बन जाएगा। चिरौंजी आपके स्किन को चमकदार बनाती है। इसके पैक को सप्ताह में 3 बार लगाने से आपको तुरंत असर दिखाई देने लगेगा और आपकी स्किन की खोई हुई रंगत वापिस मिल जाएगी। चिरौंजी का तेल बालों को काला करने के लिए उपयोगी है। एक रिसर्च में चिरौंजी के फायदों को ध्यान में रखते हुए कहा गया है कि ये शुगर की समस्या को दूर करता है और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। चिरौंजी के सेवन से कब्ज की शिकायत दूर होती है। ये आपके शरीर की अपच की समस्या को दूर कर करता है। चिरौंजी में 59 प्रतिशत वसा होता है, लेकिन यह एक स्वस्थ वसा है। उच्च वसा सामग्री के कारण, आप इसे प्रतिदिन 20 ग्राम से अधिक नहीं ले सकते हैं।
तुलसी की पत्तियों को चबाकर खाना पड़ सकता है भारी
तुलसी का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है। इस पौधे का भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म से गहरा नाता तो है ही साथ ही में यह व्यक्ति की सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। लेकिन इसके लाभ तभी आपको मिलते हैं जब इसके सेवन का सही तरीका जानते हों न कि सिर्फ पत्ते चबाने से। तुलसी के पत्तों का हर दिन सेवन करने से हमारी इम्यूनिटी बूस्ट होने के साथ-साथ और भी कई फायदे होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हम हिंदू परिवारों में तुलसी के पेड़ को पूजा जाता है और उन्हें हर रोज श्रद्धा के साथ जल चढ़ाया जाता है। हालांकि, तुलसी के पत्तों का प्रयोग भारत के अलावा दुनिया भर में देशों किया जाता है। आयुर्वेद में औषधीय गुणों के कारण तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है। तुलसी के सेवन से शरीर के किसी हिस्से में खून का जमाव, प्रतिरक्षा को बढ़ाने के अलावा, सर्दी, खांसी, जुकाम को भगाने में भी राहत मिलती है। सुबह खाली पेट दो-तीन तुलसी के पत्ते खाने से इसके कई अनगिनत फायदे हैं। ज्यादातर लोग घर में तुलसी उगाते हैं लेकिन इसका सही तरीके प्रयोग करना नहीं जानते हैं। तुलसी के पत्तों में पारा और आयरन होता है, जो हमारे दांतों के लिए अच्छा नहीं है। जब आप पत्तों को चबाते हैं तो तुलसी में मौजूद पारा आपके मुंह में आ जाता है, जो आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते में कुछ मात्रा में आर्सेनिक भी पाया जाता है, जिससे दांत खराब हो सकते हैं। तुलसी की पत्तियां प्राकृतिक रूप से में थोड़ी अम्लीय यानी एसिडिक होती हैं, जिससे दांतों में दर्द की शिकायत हो सकती है। इसलिए आयुर्वेद में तुलसी को चबाने से मना किया गया है। तुलसी का सेवन करने का एक सबसे अच्छा और आसान तरीका है इसे अपनी चाय में शामिल करें। इसके लिए सबसे पहले आप पानी में तुलसी के पत्ते डालकर उबाल लें, फिर उसमें अपनी पसंद के अनुसार दूसरी जड़ी बूटियों को भी डाल लें और फिर पिएं। इस चाय के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह कैफीन मुक्त है और उन लोगों को भी लाभ पहुंचाती है जिनके रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक होती है। एक कप पानी में तुलसी के कुछ पत्तों को डालें और इसमें शहद की कुछ बूंद मिलाएं। इस जूस के सेवन से तनाव दूर होगा और इम्यूनिटी भी बूस्ट होगी। स्टडीज की मानें तो तुलसी के पत्ते में मौजूद एडाप्टोजेन स्ट्रेस को कंट्रोल करने में मदद करता है। यह नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करते हुए ब्लड फ्लो को सुधारता है। तुलसी के पत्तों में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटीबायोटिक प्रॉपर्टीज शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। रात को तुलसी के पत्ते गलाकर रख दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
फल-सब्जियों के जूस ज्यादा पीते हैं तो हो जाएं अलर्ट
कोरोना वायरस के कहर के बाद हर कोई अपनी सेहत को लेकर जागरूक है। कई लोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में फलों और सब्जियों के रस का जूस पीते हैं, उन्हें लगता है कि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होगा, मगर ऐसा नहीं है। ज्यादा जूस का सेवन आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि शरीर को ‘डिटॉक्स‘ (विषमुक्त) करने के लिए कच्चे फलों और सब्जियों का काढ़ा या जूस ज्यादा मात्रा में पीने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। बता दें कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बाहरी सफाई की ही तरह शरीर को अंदर से साफ करते रहना भी आवश्यक माना जाता है, इसे डिटॉक्सिफिकेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर के अंदर जमा विषाक्त और अपशिष्टों को बाहर निकाला जाता है, जिससे शरीर के सभी अंग स्वस्थ और विषमुक्त रह सकें। अधिकांश लोग शरीर को विषमुक्त करने के लिए फलों और सब्जियों का जूस पीते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, आमतौर पर पार्कों के बाहर सुबह की सैर करने वालों और जॉगर्स को फलों और सब्जियों का जूस बेचा जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इंटरनेट पर कुछ स्वयंभू स्वास्थ्य गुरु ज्यादा मात्रा में फलों और सब्जियों के जूस के सेवन को लीवर के लिए फायदमेंद बताते हैं, जबकि ज्यादा समय तक जूस का सेवन करने से शरीर के कई अगों को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए भी यह हानिकारक हो सकता है। इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि साइट्रस फलों के साथ-साथ ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि पालक और चुकंदर का सेवन करने से किडनी के डैमेज होने का खतरा ज्यादा होता है। उनका कहना है कि इनमें विटामिन सी का उच्च स्तर होता है। फल शरीर में ऑक्सालेट की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। इसलिए आमतौर पर ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों को कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है और खट्टे फलों के साथ इनका सेवन करने से बचें। उन्होंने कहा है जब ज्यादा मात्रा में जूस का सेवन किया जाता है तो शरीर में ऑक्सालेट क्रिस्टल बना सकता है जो किडनी में जमा हो सकता है। जिससे पथरी और अन्य बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि हर कोई अतिसंवेदनशील नहीं होता है। यह खतरा उम्र, लिंग और आनुवंशिकी जैसे कारकों पर भी निर्भर करता है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर कोई पेट में दर्द, पेशाब में खून आना या पेशाब करने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला के प्रमुख निदेशक, नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉ. संजीव गुलाटी ने कहा कि रोजाना हरी पत्तियों, चुकंदर और खट्टे फलों का एक गिलास रस स्वस्थ व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है, मगर किडनी के पेशंट को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पोटेशियम और फास्फोरस भी समस्या को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर वायरल स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रामक जानकारी को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं हैं। उधर बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. विशाल सक्सेना ने कहा कि जूस लीवर के लिए तो अच्छा हो सकता है, लेकिन अन्य अंगों के लिए नुकसानदायक होता है।
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चिरौंजी के सेवन से इम्यूनिटी को बढ़ायें
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Tree TakeApr 24, 2023 10:27 AMMore Articles
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