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यह धरती केवल मनुष्यों के रहने के लिए ही नहीेें अपितु छोटे-छोटे कीड़े मकोड़ों से लेकर समस्त जीव जन्तु के रहने के लिए भी बनी है। बाघों का अस्तित्व न रहने पर मनुष्य व अन्य जीव जन्तुआंे का जीवित रहना भी सम्भव नहीं है। इसी प्रकार वृक्षों से प्राप्त प्राणदायिनी ऑक्सीजन हमारे जीवन का आधार है। यह बातें प्रदेश के पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन एवं जन्तु उद्यान, राज्यमन्त्री (स्वतंत्र प्रभार) मुख्य अतिथि डॉ0 अरूण कुमार सक्सेना ने 22 मई अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहीं। संगोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा महादेवा इको पर्यटन स्थल (भगहर झील) बाराबंकी में ‘अनुबन्ध से क्रियान्वयन तकः जैव विविधता पुनर्वास व पुनर्स्थापना एवं मिशन लाईफ‘ विषयवस्तु पर किया गया।
इस अवसर पर सक्सेना ने कहा कि परागण हेतु भौरों व तितलियों जैसे कीटों का बने रहना आवश्यक है, क्योंकि परागण के अभाव में अन्न व फलों का उत्पादन सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखना आवश्यक है तथा प्रकृति का जितना दोहन करे उतनी ही मात्रा में वृक्षारोपण आदि गतिविधियों के माध्यम से पृथ्वी को वापस करने को जीवनशैली का अंग बनाए। डा0 सक्सेना ने कहा कि मनरेगा के अन्तर्गत स्थानीय समुदाय द्वारा झील की सफाई, जलकुुम्भी हटाने व सौन्दर्यीकरण से ईको पर्यटन की गतिविधि में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों का आह्वाहन किया कि हरी-भरी धरती के लिए अधिक से अधिक वृक्ष रोपित व रोपित वृक्षों की सुरक्षा व सिंचन करें। इस अवसर पर सक्सेना तथा अन्य अतिथियों द्वारा महादेवा इको पर्यटन स्थल (भगहर झील) का उद्घाटन, भगहर झील की सफाई कार्य का शुभारम्भ एवं जैव विविधता पर आधारित प्रदर्शनी का शुभारम्भ व अवलोकन एवं अशोक के पौधे रोपित किए गए तथा उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा तैयार की गई पुस्तक ‘‘एग्रीमेण्ट टू एक्शनः बिल्ड बैक बायोडाईवर्सिटी एवं मिशन लाईफ’’ का विमोचन एवं बोर्ड द्वारा वित्त पोषित पॉच सोलर लाईट का लोकार्पण किया गया।
संगोष्ठी में अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन-अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड मनोज सिंह ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का दिन जीव जन्तुआंे, कीटाणुओं, पौधों व जीव जन्तुओं के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन की विविधता व परिवर्तनशीलता है। जैव विविधता के अन्तर्गत आनुवांशिक, प्रजाति और पारिस्थितिकी तन्त्र की विविधता दर्शाती है तथा धरती के चार करोड़ वर्षों के विकास क्रम में वैज्ञानिकों द्वारा अब तक लगभग 16 लाख प्रजातियों की पहचान की जा सकी है तथा विश्वास है कि अधिकांश प्रजातियों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है अतः वैज्ञानिक रूप से प्रजातियों का पता लगाना, पहचान करना व वर्गीकरण किया जाना है। ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ (आई.यू.सी.एन.) की पादप एवं जन्तु प्रजातियॉं की लाल सूची (रेड डाटा बुक) के अनुसार कम से कम 97 स्तनधारी (मैमल्स), 94 पक्षी एवं 482 पादप प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। जैव विविधता संरक्षण व संवर्धन मात्र सरकारी प्रयासों से ही सम्भव नही है अपितु यह प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। सिंह ने कहा कि जैव विविधता क्षरण के तीन प्रत्यक्ष प्राथमिक कारण भू उपयोग परिवर्तन (30 प्रतिशत), अति विदोहन (20 प्रतिशत), एवं जलवायु परिवर्तन व प्रदूषण (14 प्रतिशत) है। श्री सिंह ने कहा कि मिशन लाईफ के अन्तर्गत चिन्ह्ति गतिविधियों ऊर्जा बचत, जल संचय, एकल उपयोग प्लास्टिक के प्रयोग में कमी व अपशिष्ट प्लास्टिक को पुनर्चक्रण हेतु प्लास्टिक बैंक में जमा करवाना, सतत् खाद्य प्रणाली को अपनाना, अपशिष्ट में कमी, स्वस्थ जीवनशैली अंगीकृत करना एवं ई अपशिष्ट की मात्रा कम कर प्रत्येक व्यक्ति जैव विविधता संरक्षण में योगदान दे सकता है।
इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश ममता संजीव दूबे ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों व समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि हम सब जैव विविधता का अंग हैं तथा हमारे छोटे छोटे प्रयासों यथा तितली, मधुमक्खियों को सुरक्षा व अनुकूल परिस्थितियॉं सृजित कर एवं झील सफाई, हरियाली की रक्षा व खेत में वृक्ष रोपित कर जैव विविधता संरक्षित करने में योगदान देने के साथ ही आय व आजीविका के संसाधन सृजित कर आर्थिक स्थिति उन्नत कर सकते हैं। दूबे ने कहा कि आयोजन स्थल नदी, खेत, पेड़ पौधे व जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध होने के कारण अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित करने हेतु चयनित किया गया। उन्होनंे कहा कि धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नही है अपितु इसके विभिन्न भागों में विद्यमान करोड़ों प्रजातियों का भी इस पर उतना ही अधिकार है।
सचिव, उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड बी0 प्रभाकर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जैव विविधता संरक्षण हेतु समय≤ पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सम्मेलन व संधियों, प्रख्यापित अधिनियमों व नियमों का उल्लेख करते हुए प्रदेश की वन जैव विविधता व पशु जैव विविधता का विस्तृत परिचय दिया। प्रभाकर ने स्थापना के उपरान्त उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा जैव विविधता संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों व कार्यों से भी अवगत कराया।
मुख्य वन संरक्षक, मध्य क्षेत्र, लखनऊ रेनू सिंह ने मंचासीन अतिथियों का पुष्प देकर स्वागत किया व स्मृति चिन्ह् भेंट किया। अनिरूद्ध पाण्डेय, वन संरक्षक, सरयू वृत्त ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व समस्त प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अर्चना सतीश ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में जन प्रतिनिधिगण, वरिष्ठ वनाधिकारी, विभिन्न लाईन डिपार्टमेण्ट्स के अधिकारी, इण्डो अमेरिकन चैम्बर ऑफ कामर्स, लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष मुकेश सिंह, अनुसंधान संस्थान, विश्वविद्यालयों एवं जैव विविधता संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत् गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, जैव विविधता प्रबन्ध समितियों के पदाधिकारी व सदस्य, प्रगतिशील कृषक, विद्यार्थियांे व एन.सी.सी. कैडटों सहित विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
भूसे में घुसे 6 फीट लम्बे घोड़ा पछाड़ को देख मचा हड़कंप
मानिकपुर मोहन थाना क्षेत्र इटावा के अंतर्गत नगला बर्र में एक किसान के घर में रखे भूसे के ढेर में लगभग 6 फीट लम्बा एक घोड़ा पछाड़ सर्प अचानक से घुस गया जिसे ग्रामीण अनिल राजपूत ने घुसते हुए देख लिया। संभवतः वह अपने भोजन के लिए किसी चूहे की तलाश में ही वहां आया था। उस सर्प को देखकर किसान अनिल व उनके घरवाले बेहद ही घबरा गए तभी अनिल राजपूत ने वन्यजीव विशेषज्ञ सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी को फोन पर घर में घुसे सर्प के दिखाई देने की तत्काल सूचना दी। सूचना मिलते ही डॉ आशीष 15 से 20 मिनट में मौके पर पहुंचे और 5 मिनट में ही उस सर्प को काबू कर सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू कर उसके प्राकृतवास में ले जाकर छोड़ भी दिया। रेस्क्यू के मौके पर डॉ आशीष द्वारा ग्रामीणों व महिलाओ को अन्य जहरीले सर्पों के सर्प दंश के इलाज के बारे में बता कर जागरूक किया गया। संस्था ओशन के महासचिव, मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कोर्डिनेटर डॉ आशीष त्रिपाठी ने वहां उपस्थित सभी लोगों को जानकारी देते हुये बताया कि, यह सर्प विषहीन घोड़ा पछाड़ (चूहा साँप) होता है जिसे जन्तु वैज्ञानिक भाषा मे प्टयास म्यूकोसा भी कहते है,इस विषहीन सर्प से किसी को भी कोई नुकसान भी नही होता है और विशेष बात यह है कि, यह एक पर्यावरण एवम किसान मित्र सर्प भी होता है जो आपके घरों के चूहों को समाप्त करने में आपकी मदद करता है, अभी इस समय गर्मी शुरू होते ही ये सभी सर्प लम्बे हाईबरनेशन के बाद ही एक्टिव हो चुके है व जीवित रहने के लिये कोई सुरक्षित जगह भी तलाश रहे है। कभी कभी पानी बरसने पर भी सर्प घर में घुस आते है क्यों की खेतों में बने इनके बिलों में पानी प्रवेश कर जाता है और तब ये किसी ऊंचे स्थान पर ही बैठना पसंद करते है और घरों की ओर चले आते है उन्होंने कहा कि, यदि कभी किसी को कोई जहरीला सर्प काट ले तो कृपया तत्काल ही बिना समय गंवाये ही मरीज के हाथ पैर जो भी हो वहां सर्प दंश से उचित दूरी पर हल्के से दो बन्ध लगाकर मरीज को सीधे जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट करायें और एंटीवेनम लगवाएं क्यों कि जहरीले सर्प (कोबरा करैत) के काटने के बाद झाड़ फूंक कराना हमेशा ही जानलेवा साबित होता है जिससे कई लोग मर भी चुके है। ज्ञात हो कि, जनपद इटावा में डॉ आशीष द्वारा चलाये जा रहे विशेष सर्पदंश जागरूकता अभियान का एक अब एक बहुत बड़ा असर हो चुका है कि, लोग सर्प दंश के बाद इलाज के लिए अस्पताल आने लगे है और लोगों ने सर्पों या अन्य वन्यजीवो को मारना ही छोड़ दिया है और सीधे ही डॉ आशीष को 7017204213 पर रेस्क्यू करने की सूचना देने लगे है। विदित हो कि डॉ आशीष जनपद इटावा में डायल 112 पुलिस सेवा व वन विभाग के सहयोग से सर्प रेस्क्यू कर लोगों की और वन्यजीवों की सहायता कर उनकी अमूल्य जान लगातार बचाते चले आ रहे है।
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Tree TakeJun 19, 2023 09:45 PM
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