Green Update
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India has the dubious distinction of having 15 out of the 20 most polluted cities in the world and is the third most polluted country in the world after Pakistan and Bangladesh. Doctors in the city have been talking about the change in the demography of lung cancer patients which seems to be a consequence of the toxic air that people breathe in the city. A public health emergency was declared in Delhi NCR on November 2, 2019, by a Supreme Court-mandated panel. According to a survey, 15,000 persons died prematurely in Delhi in 2016. Parliament, by law, constituted the Commission for Air Quality Management in the National Capital Region and Adjoining Areas. The Commission has been given wide powers and violation of its directions is punishable by imprisonment for up to five years. But the AQI in the NCR even three years later tells you that the Commission has not succeeded. These dire circumstances are in stark contradiction with the fact that the right to health and a clean environment has been recognised as a Fundamental Right, carved out of and read into the right to life and personal liberty by the Supreme Court.
What indeed can the courts do to combat this problem? There has always been a debate about the role courts can play, while adjudicating matters before them, without venturing into the domain of other branches of the government given the “doctrine of separation of powers”. But it is today well accepted that the division of government into three branches does not and cannot mean three water-tight compartments. Courts, especially on questions of the environment, have stepped in where the other branches of government have not been able to tackle the problem. Different grounds of judicial review play different roles in legal reasoning and interact differently with legislation. The constitutional courts have for several decades been cognisant of the issues and have been taking some action. The Supreme Court has also guided the government on several decisions such as the phasing out of leaded petrol.
Apart from constitutional courts, the National Green Tribunal (NGT) is also a judicial body that has a role to play. The National Green Tribunal has the power to take proactive action on a precautionary basis. The Tribunal has both judicial and technical members, and it is clothed with the power to go into the merits of the decisions taken by the executive on environmental issues. However, the NGT’s actions have not borne the necessary results and have at times created confusion. It is only the high courts and the Supreme Court that carry the necessary sway to bring about a change. Thus, the situation in India is dire enough that courts need to intervene however necessary to enforce the Fundamental Right to clear air. The actions of the government ought to be subject to scrutiny. The scrutiny can include the choice of appropriate technology and proper and timely implementation. The court can also take the assistance of relevant scientific bodies. It can also observe the judicial remedies being evolved in various countries to meet the challenge of the grave situation we are facing currently in India. The courts need to subject air quality management plans of the non-attainment cities (NAC), the source apportionment study of pollution of NACs.
गंगा नदी के दोनों ओर आने वाले वेटलैण्ड का संरक्षण किया जाएः वन मंत्री
उत्तर प्रदेश राज्य आद्रभूमि प्राधिकरण की 5वीं बैठक वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ अरूण कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में वन विभाग मुख्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक में 50 वेटलैण्ड को वेटलैण्ड रूल्स, 2017 के अंतर्गत अधिसूचित कराये जाने का निर्णय लिया गया। साथ ही प्रदेश के 09 जनपदों में लगभग 1000 हे0 में फैले 50 वेटलैण्ड को वेटलैण्ड रूल्स, 2017 के अंतर्गत अधिसूचित कराने पर सहमति भी दी गयी। अपर गंगा रिवर रामसर साइट की प्रबन्ध योजना का अनुमोदन व ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम वेटलैण्ड समिति का गठन का निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त 02 फरवरी को ग्राम पंचायत स्तर पर वेटलैण्ड दिवस का आयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि गंगा नदी के दोनांे ओर 10 किमी0 की सीमा में आने वाले वेटलैण्ड का संरक्षण किया जायेगा। योजनान्तर्गत गंगा नदी के दोनों ओर 10 किमी0 की सीमा में स्थित 282 वेटलैण्ड का सत्यापन, वेटलैण्ड द्वारा प्रदान किये जा रहे Ecosystem services एवं Hydrogeomorphic function के आधार पर उनका च्तपवतपजेंजपवदए सभी वेटलैण्ड को ब्रीफ डाक्यूमेंट एवं हेल्थ कार्ड बनाने तथा उनके संरक्षण के लिये सब-बेसिन लेवल पर एवं वेटलैण्ड लेवल पर रू0 175.83 करोड़ की प्रबन्ध योजना निरूपित की गयी है। बैठक में डा0 अरूण कुमार सक्सेना द्वारा निर्देश दिया गया कि प्रदेश के प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में स्थानीय जन प्रतिनिधियों एवं क्षेत्रीय विधायक के सहयोग से 01 वेटलैण्ड को संरक्षित करने तथा इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु कार्यवाही की जाय। कृषि उत्पादन आयुक्त, मनोज कुमार सिंह ने ग्रामीण क्षेत्र में स्थित वेटलैण्ड के विकास की परियोजना को स्थानीय ग्राम पंचायत विकास योजना में सम्मिलित कराने की आवश्यकता बतायी, जिससे वेटलैण्ड का संरक्षण एवं विकास ग्राम पंचायत स्तर पर किया जा सके। बैठक में मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश शासन, जो उत्तर प्रदेश राज्य आद्रभूमि प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी हैं, के साथ-साथ मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, एस0के0 शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष एवं अंजनी कुमार आचार्य, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव भी उपस्थित रहे।
वन मंत्री से भारतीय वन सेवा के 2021 बैच के अधिकारियों ने शिष्टाचार भेंट की
उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ० अरुण कुमार सक्सेना से भारतीय वन सेवा, उत्तर प्रदेश सम्वर्ग 2021 बैच के बी० शिव शंकर, श्री जयन्त भीमराव शेन्दे, स्वाति, तापस मिहिर, वन्दना एवं शुभम सिंह ने शिष्टाचार भेंट की गयी। इस अवसर पर डा0 सक्सेना द्वारा उन्हें शुभकामनाएं देते हुए जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होने, उनकी समस्याओं के त्वरित निस्तारण तथा वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध होने का संदेश दिया। नवागत वनाधिकारियों द्वारा मंत्री जी को इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून तथा विभिन्न प्रभागों में प्राप्त फील्ड प्रशिक्षण के बारे में अवगत कराया गया। यह वनाधिकारी आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश राज्य से आते हैं।
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