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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसे विकसित देश का दर्जा हासिल करने तक कोयला बिजली पर निर्भर रहना होगा। यहां एक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल का जवाब देते हुए, मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने संयुक्त अरब अमीरात में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करने के लिए विकसित देशों के दबाव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह केवल “तेल और गैस आयात” करके नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हम अपनी नवीकरणीय क्षमता बढ़ा रहे हैं, लेकिन जब तक हम विकसित भारत का लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते, तब तक हमें कोयला बिजली पर भी निर्भर रहना होगा।‘‘ भारत अपने बिजली उत्पादन के लगभग 70ः हिस्से के लिए कोयले पर निर्भर है और अगले 16 महीनों में कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता में 17 गीगावाट जोड़ने का लक्ष्य है। यादव ने कहा कि भारत ने नई और निर्बाध कोयला बिजली उत्पादन पर सीमाएं लगाने के अमीर देशों के आह्वान का ‘‘कड़ा विरोध‘‘ किया। ‘‘हमने कहा कि आप किसी भी देश पर हुक्म नहीं चला सकते या उसे बांध नहीं सकते।‘‘ वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 40ः कोयले से उत्पन्न होता है, शेष प्रतिशत तेल और गैस के कारण होता है। भारत सहित विकासशील देशों ने अमीर देशों को जलवायु कार्रवाई में नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया और ‘‘इसीलिए दुबई में जलवायु सम्मेलन का विस्तार किया गया‘‘, यादव ने कहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक आबादी में भारत की हिस्सेदारी 17 फीसदी है लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में इसका योगदान सिर्फ चार फीसदी है। “गरीबी उन्मूलन कई देशों के लिए प्राथमिकता है। इसलिए, हमने विकसित देशों के दबाव के आगे घुटने नहीं टेके,‘‘ यादव ने कहा। मंत्री ने कहा कि विकसित देशों, जो ऐतिहासिक उत्सर्जन (औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के बाद से) के एक बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं, को विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए वित्त और तकनीकी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। “लेकिन विकसित देश विकासशील देशों पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। हमने इसे स्वीकार नहीं किया। हमने कहा कि (तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने) के प्रयासों को राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में देखा जाना चाहिए और समानता और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के (सिद्धांतों) का पालन किया जाना चाहिए। ये सिद्धांत स्वीकार करते हैं कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के देशों के प्रयासों को कुल उत्सर्जन में उनके योगदान के आलोक में माना जाना चाहिए। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि अमीर देशों को अपने पर्याप्त ऐतिहासिक उत्सर्जन के कारण प्राथमिक जिम्मेदारियां उठानी चाहिए।
अवैध कटान किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिएः वन मंत्री
उत्तर प्रदेश के वन एवम पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा अरुण कुमार सक्सेना ने नए साल के आगमन पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए सभी के लिए सुख-समृद्धि की मंगल कामना की है। उन्होंने कहा कि आने वाला नया वर्ष 2024 सभी के लिए खुशियों भरा हो। यहां जारी एक शुभकामना संदेश में वन मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व मे प्रदेश को समृद्धि एवं विकास के रास्ते पर ले जाने के प्रयासों मे नये वर्ष में और गति आयेगी। प्रदेश की प्रगति के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं एवं जनकल्याणकारी कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिससे प्रदेश की जनता का जीवन स्तर निरन्तर बेहतर हो रहा है। वन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के विकास एवं जनकल्याणकारी कार्य के परिणामस्वरूप आज प्रदेश एक नई पहचान के साथ देश के विकास में अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लगातार हो रहे वृक्षारोपण व वृक्ष संरक्षण के कार्यक्रमों से नए वर्ष में लोगों को स्वच्छ ऑक्सीजन व पर्यावरण के बीच रहने का अवसर प्राप्त होगा। माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश देश में सबसे स्वच्छ पर्यावरण वाला प्रदेश बनने की ओर अग्रसर है । वन मंत्री ने आशा व्यक्ति की उत्तर प्रदेश जल्द ही प्रदूषण मुक्त प्रदेश होगा।
सक्सेना ने कहा सभी वनाधिकारी ये सुनिश्चित करें कि वन जमा के बजट को प्लान के तहत खर्च किया जाये। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वित्तीय वर्ष के अंत से पूर्व विभागीय बजट का शत-प्रतिशत सदुपयोग सुनिश्चित किया जाये। बजट सरेंडर होने की दशा में संबंधित की जवाबदेही तय की जायेगी। उन्होंने अगले तीन माहांे में पेड़ों की सुरक्षा पर खर्च होने वाली धनराशि का ब्यौरा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने वन निगम के प्रबंधक को यह निर्देश दिया कि अवैध कटान किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिए और अवैध कटान होने की स्थ्ति में दोषी के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जाए। समस्त कंजरवेटर अपने-अपने क्षेत्रों में इसकी नियमित मॉनीटरिंग भी करें। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के समस्त देयकों का भुगतान समय से सुनिश्चित कराया जाये। लम्बित प्रकरणों का निस्तारण समयबद्ध किया जाये। वन मंत्री ने कहा कि आई0जी0आर0एस0 पर प्राप्त होने वाले प्रकरणों के जल्द से जल्द निस्तारण अधिकारी सुनिश्चित करें। नर्सरियों की निगरानी अच्छी तरह की जाये ताकि अगले वर्ष आयोजित होने वाले पौधरोपण कार्यक्रम में पौधों की कमी ना हो, साथ ही सभी नर्सरी के प्रगति की रिर्पार्ट नियमित रूप से शासन को उपलब्ध कराई जाये। मानव-पशु संघर्ष ना होने पाये इसके लिए प्रभावी रणनीति के तहत कार्य किया जाये। हाईवे के किनारे वृक्षारोपण कराया जाये इसकी जांच भी मुख्यालय स्तर के अधिकारियों के माध्यम से कराई जायेगी।
,वन मंत्री द्वारा लखनऊ जू का औचक निरीक्षण,
उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरूण कुमार सक्सेना ने नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान (लखनऊ जू) का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने वन्यजीवों के बाड़ों की सुरक्षा व्यवस्था और अधिक चाक-चैबंद करने के निर्देश दिये। यह भी कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ कर्मचारियों की भी सुरक्षा के बेहतर प्रबंध सुनिश्चित किया जाय। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना भविष्य में घटित न होने पाये अन्यथा संबंधित के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी। डा सक्सेना ने विगत दिनांे चिड़ियाघर में दरियाई घोड़े के हमले में मृतक सूरज की पत्नि को संविदा पद नौकरी देने के लिए निदेशक जू को निर्देश दिये। डब्ल्यू0टी0आई0 एवं डब्ल्यू0डब्ल्यू0एफ0 एन0जी0ओ0 एवं लेबर डिपार्टमेंट से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर में साफ-सफाई के बेहतर से बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। उन्होंने जू में स्थित सभी बाड़ों का निरीक्षण करते हुए कहा कि वन्यजीवांे की सुरक्षा के लिए बनी बैरीकेटिंग को चुस्त-दुरूस्त कराया जाये। कहीं से कोई बैरीकेटिंग क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए। सक्सेना ने कहा कि राज्य सरकार वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ इनकी देख-भाल में लगे कर्मचारियों की सुरक्षा के प्रति बेहद संवेदनशील है। उन्होंने की विशेषज्ञों की देख-रेख में ही कर्मचारियों को बाड़े में जाने की अनुमति दी जाये और दरियाई घोड़े के उग्र होने की जांच चिकित्सक से कराई जाय। साथ ही समय≤ पर सभी वन्यजीवों का चिकित्सकों के माध्यम से स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाता रहे।
जिद्दी चीता कैसे पहुंचा ‘घर‘
मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध श्योपुर कूनो नेशनल पार्क से एक चीता भटकते हुए राजस्थान पहुंच गया। पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट कूनो नेशनल पार्क से भटका चीता बारां जिले के जंगलों में दौड़ता हुआ दिखाई दिया। अधिकारियों ने बताया कि चीता अग्नि और उसके भाई वायु को 17 दिसंबर को एनक्लोजर से खुले जंगल में छोड़ा गया था। लेकिन अग्नि कूनो नेशनल पार्क से भटकता हुआ बाहर निकला। उसकी लोकेशन कराहल विकासखंड के रिछी गांव के वन क्षेत्र में मिली थी। यहां से राजस्थान की सीमा 30 ाउ थी। उसकी लोकेशन राजस्थान मिलने पर कूनो नेशनल पार्क की टीम बारां के जंगलों में पहुंची। देर शाम उसे ट्रेंक्यूलाइज किया गया। इसके बाद वापस चीते को मध्यप्रदेश कूनो नेशनल पार्क ले जाया गया। राजस्थान के बारां वन मंडल के उप वन संरक्षक दीपक गुप्ता ने यह जानकारी दी है। हालांकि कूनो नेशनल पार्क की टीम में चीता अग्नि का कोई फोटो और वीडियो जारी नहीं किया। डीसीएफ गुप्ता ने कहा चीता के बारां जिले के वन क्षेत्र में मूवमेंट करने की सूचना कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने सुबह करीब 9.30 बजे के आसपास दी थी। इस दौरान चीता राजस्थान के बारां वन मंडल की केलवाड़ा रेंज के जैतपुरा माधोपुरा गांवों के मैदानी वन क्षेत्र में पहुंचा हुआ था।कूनो और बारां वन मंडल की टीमें अलग अलग लोकेशन पर अलर्ट थी। उसकी कड़ी मॉनिटरिंग लगातार जारी रखी गई। चीता की ओर से कोई शिकार राजस्थान की सीमा में करने की कोई पुष्टि नहीं हुई है। अधिकारियों ने बताया कि देर शाम को जब चीते ने मूवमेंट करना बंद किया, तो उसे ट्रेंक्यूलाइज किया गया। टीम लगातार उस पर नजर बनाए हुए थी।
Peta India sounds alarm against failure of revised BNS Bill 2023 to criminalise sexual abuse of animals
In letters to Prime Minister Narenda Modi, Union Home Minister Amit Shah and the Animal Welfare Board of India, People for the Ethical Treatment of Animals (PETA) India has expressed grave concern over the exclusion of a crucial provision criminalizing acts of sexual abuse against animals in the Bharatiya Nyaya (Second) Sanhita (BNS), 2023. The group has also sent urgent appeals to all members of parliament urging them to demand continued protection of animals against sexual violence by ensuring a relevant provision is included in BNS, as has been recommended by the Parliamentary Standing Committee on Home Affairs (PSCOHA). Based on recommendations made by PETA India and following a meeting with Shri Brij Lal, Chairperson of the PSCOHA, the PSCOHA recommended that the BNS include provisions to penalize acts of sexual abuse against animals. The BNS is set to replace the Indian Penal Code (IPC), 1860, and was reintroduced in the Lok Sabha on 12 December 2023. “Providing the strongest level of legal protection for animals helps safeguard all our country’s citizens, as the link between cruelty to animals and violence against humans is well-known,” says PETA India Cruelty Case Division Legal Advisor and Manager Meet Ashar. “We request the Hon'ble Union Minister of Home Affairs, Shri Amit Shah Ji, to ensure the inclusion of measures to penalize sexual abuse of animals, reinforcing our nation’s commitment to a legal framework that reflects compassion and protection for all beings.” Section 377 of the IPC currently punishes sexual violence against animals, but there is no provision in the BNS Bill that affords animals the same protection. Section 377 of the IPC regards rape of an animal a non-bailable offence and carries a punishment of “[imprisonment for life], or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years and shall also be liable to fine”. In 2021, the Federation of Indian Animal Protection Organisations released a report revealing that in the decade prior, nearly 500,000 animals – including cows and dogs – were victims of crimes and many had been subjected to sexual violence. Previously, a Voice of Stray Dogs report had calculated that the sexual abuse of animals was often underreported but likely committed at a similar rate to human rape cases. PETA India notes that many violent criminals have a documented history of cruelty to animals. A study published in the Journal of Emotional Abuse found that 71% of women with companion animals who sought shelter from abuse at a safe home confirmed that their partner had threatened, injured, or killed the animals. Meanwhile, a study published in Forensic Research and Criminology International Journal warns, “Those who engage in animal cruelty were 3 times more likely to commit other crimes, including murder, rape, robbery, assault, harassment, threats, and drug/substance abuse. The major motivations for engaging in animal cruelty include anger, fun, control, fear, dislike, revenge, imitation, and sexual pleasure.” In India, Ameerul Islam, who was convicted of raping and murdering Kerala law student Jisha had a history of raping and killing dogs and goats.
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