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बदलते मौसम में स्वास्थ्य का रखें खास ख्याल, बरतें ये सावधानियां

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बदलते मौसम में स्वास्थ्य का रखें खास ख्याल, बरतें ये सावधानियां

अपने आप को फिट और हेल्दी रखने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फाइबर युक्त आहार, सूप, जूस और फल का सेवन करना आपको कई बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है...

बदलते मौसम में स्वास्थ्य का रखें खास ख्याल, बरतें ये सावधानियां

TidBit
मौसम के मिजाज में परिवर्तन आया है। चूंकि मौसम में तेज उतार चढ़ाव के अनुसार  शरीर अपने आप को ढाल नहीं पाता और बीमारी का शिकार हो जाता है। सर्दी से गर्मी और गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालता है। इसलिए जरूरी है कि इस मौसम में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाए।  विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते मौसम में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। ऐसे में सर्दी जुकाम और बुखार की परेशानी आम बात है। निर्मल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अमित अग्रवाल बताते हैं कि ऐसे मौसम में खानपान तथा रहन-सहन के मामले में खास ध्यान देने की जरूरत होती है। सर्दी होने पर गर्म पेय पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। गर्मी होने पर खूब पानी और अन्य पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ऐसे मौसम में वायरल बुखार के मामले सबसे अधिक बढ़ते हैं। बड़ों के साथ बच्चे भी वायरल बुखार की चपेट में आ रहे हैं। इस मौसम में बच्चों तथा बुजुर्गों को एहतियात बरतने की जरूरत है। कभी सर्द तो कभी गर्म मौसम होने के कारण सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियां लोगों को परेशान कर रही हैं। बदलते मौसम में संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जिससे बचने का एकमात्र उपाय आपकी डाइट होती है। इसलिए अपने आहार में पौष्टिक फूड्स को शामिल करें और रात के समय हल्का भोजन लेना ठीक रहेगा। इसके साथ ही जूस, सूप, स्मूदी और सलाद को डाइट में शामिल करना आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम में गर्म पानी का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। खाना खाने के 1 घंटे पहले, वहीं खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना फायदेमंद माना जाता है। इसलिए ठंड के मौसम में गुनगुना पानी पीने की सलाह दी जाती है। यह पाचन क्रिया को भी ठीक रखने में मदद करता है, साथ ही बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम की परेशानी को भी कम करने के लिए असरदार होता है। अपने आप को फिट और हेल्दी रखने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फाइबर युक्त आहार, सूप, जूस और फल का सेवन करना आपको कई बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है। शरीर को साफ रखने के लिए दिन में दो बार गुनगुने पानी से नहाना आपको कई फायदे दे सकता है। जब मौसम बदलता है तो कई वायरस और सुक्ष्म कीटाणु हवा में घूमते रहते हैं। इसलिए नहाने के पानी में नीम का पानी या कोई एंटीसेप्टिक लिक्विड मिलाकर नहाना आपको संक्रमण से दूर रख सकता है। अगर सिर दर्द या बुखार महसूस हो तो अपनी मर्जी से दवा न लें। विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से ही लें। बदलते समय खांसी एवं फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मरीज को रोजाना भाप लेने के साथ नमक मिले गुनगुने पानी से गरारे करना चाहिए। 
ये फल-सब्जियां, ठंड में नहीं होने देंगी बीमार
ठंड में अधिकतर लोग सर्दी-खांसी, बुखार, जुकाम, गले की खराश, बुखार जैसी समस्याओं से पीड़ित रहते हैं। माना जाता है कि विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करने से आपको फायदा हो सकता है। संतरा विटामिन सी के सबसे बढ़िया स्रोतों में से एक हैं। कहा जाता है कि 100 ग्राम संतरे में लगभग 53।2 मिलीग्राम विटामिन सी होता है। यह सेल्स को डैमेज होने से बचाने में मदद करता है, कोलेजन बढ़ाता है और त्वचा में सुधार करता है। सबसे बढ़िया बात कि यह इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ावा देता है। कहा जाता है कि एक 100 ग्राम ब्रोकोली में 89.2 मिलीग्राम विटामिन सी होता है। आधा कप उबली हुई ब्रोकोली में रोजाना की जरूरत का 57ः विटामिन सी पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर, प्रोटीन और पोटेशियम जैसे अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी होते हैं। शिमला मिर्च के फायदे अनेक हैं। इसमें विटामिन सी की मात्रा सबसे अधिक होती है। एक शिमला मिर्च से आपको रोजाना की जरूरत का 169ः होता है। यह हरी सब्जी विभिन्न पोषक तत्वों का खजाना है। अन्य सब्जियों की तुलना में केल में विटामिन सी बहुत अधिक होता है। यह वास्तव में विटामिन सी के दुनिया के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। कहा जाता है कि 100 ग्राम काले में 120 मिलीग्राम विटामिन सी होता है। इस सब्जी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह विटामिन ए और के, और फोलेट से भी भरी हुई है। यह स्वादिष्ट फल विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो कैंसर, डायबिटीज, स्ट्रोक और हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद करता है। एक कप स्ट्रॉबेरी में लगभग 90 मिलीग्राम विटामिन सी होता है। यह मैग्नीशियम और फास्फोरस का भी एक उत्कृष्ट स्रोत है। टमाटर में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, यह विटामिन सी में बहुत समृद्ध है। कथित तौर पर, एक मध्यम आकार का टमाटर संदर्भ दैनिक सेवन (आरडीआई) का लगभग 28ः प्रदान कर सकता है। इसमें पोटेशियम, विटामिन बी और ई, और अन्य पोषक तत्व भी होते हैं। हम अक्सर इसे सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं, हालांकि टमाटर एक ऐसा फल है जिसे कच्चा भी खाया जा सकता है।
क्या हंै माजूफल, जायफल, और कायफल
माजूफल, जायफल, और कायफल भारत तथा एशिया के कई देशों में घरेलू चिकित्सा के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। पहले तो ये तीनों अपने मूल स्वरूप में हर घर में मिलते थे परंतु अब इनके उत्पाद मिलते हैं पावडर या कैप्सूल के रूप में। पहले बात करते हैं जायफल की। अंग्रेज़ी में इसे नटमेग कहते हैं। वनस्पति विज्ञानी इसे मायरिस्टिका फ्रेगरेंस नाम से जानते हैं। नाम से ही पता चलता है कि यह कोई सुगंधित वस्तु है। संस्कृत साहित्य में इसे जाति फलम कहा गया है। इसके पेड़ जावा, सुमात्रा, सिंगापुर, लंका तथा वेस्ट इंडीज़ में अधिक पाए जाते हैं। हमारे यहां तमिलनाडु और केरल में इसके पेड़ लगाए गए हैं। जायफल का वृक्ष सदाबहार होता है। फूल सफेद और फल छोटे-छोटे, लगभग अंडाकार लाल-पीले होते हैं जो पकने पर दो भागों में फट जाते हैं। फल का उपयोग सुगंध, उत्तेजक, मुख दुर्गंध नाशक और वेदनाहर के रूप में किया जाता है। अब जरा जावित्री की बात कर लेते हैं। यह लाल नारंगी रंग की मोटी जाल समान रचना है जो टुकड़ों के रूप में बाज़ार में मिलती है। जावित्री दरअसल जायफल के बीज पर लगी एक विशेष रचना है, जो सुगंधित और तीखी होती है। इसमें मुख्य रूप से वाष्पशील तेल, वसा और गोंद होते हैं। इसके गुण भी जायफल की तरह होते हैं इसे हम बीज का तीसरा छिलका या विज्ञान की भाषा में एरील कहते हैं। अब बात करें कायफल की। वनस्पति शास्त्र में मिरिका एस्कूलेंटा नाम से ज्ञात यह पेड़ हिमालय के उष्ण प्रदेशों में खासी पहाड़ियों में पाया जाता है। सिंगापुर में भी मिलता है। चीन तथा जापान में इसकी खेती की जाती है। इसके मध्यम ऊंचाई के वृक्ष सदाबहार होते हैं, छाल बादामी-धूसर और सुगंधित होती है। फल लगभग आधा इंच लंबे अंडाकार दानेदार बादामी होते हैं। यद्यपि वृक्ष का नाम कायफल है, तब भी औषधि के रूप में इसकी छाल का ही प्रयोग कायफल के नाम से किया जाता है। अतः यह फल नहीं, एक पेड़ की छाल है। इसकी छाल को सूंघने से छींक आती है, तथा पानी में डालने पर लाल हो जाती है। अब बात एक बिलकुल ही नकली फल - माजूफल - की। यह नकली फल क्वेर्कस इनफेक्टोरिया नामक एक ओक प्रजाति का है और गाल्स के रूप में बनता है। सदियों से एशिया महाद्वीप में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इन गाल्स का उपयोग किया जाता रहा है। मलेशिया में इसे मंजाकानी कहते हैं। इसका उपयोग चमड़े को मुलायम करने और काले रंग की स्याही बनाने में वर्षो से हो रहा है। भारत में इसे माजूफल कहते हैं। क्वेर्कस इनफेक्टोरिया एक छोटा पेड़ है, जो एशिया माइनर का मूल निवासी है। पत्तियां चिकनी और चमकदार हरी होती हैं। जब ततैया शाखाओं पर छेद कर उनमें अपने अंडे देती है तो इन अंडों से निकलने वाले लार्वा और तने की कोशिकाओं के बीच रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप शाखाओं पर फल जैसी गोल-गोल कठोर रचनाएं बन जाती है, जो दिखने में खुरदरी होती हैं। इन्हें गाल कहते हैं और यही माजूफल है। इस गाल में अन्य रसायनों के अलावा टैनिन काफी मात्रा में पाया जाता है। भारत में माजूफल का उपयोग दंत मंजन बनाने, दांत के दर्द और पायरिया के उपचार में किया जाता है। इस गाल से मिलने वाला टैनिक एसिड गोल्ड सॉल बनाने के काम आता है। गोल्ड सॉल का उपयोग इम्यूनोसाइटोकेमेस्ट्री में मार्कर के रूप में किया जाता है। वर्तमान में इसका उपयोग खाद्य पदार्थों, दवा उद्योग, स्याही बनाने और धातु कर्म में बड़े पैमाने पर किया जाता है। माजूफल का उपयोग प्रसव के बाद गर्भाशय को पूर्व स्थिति में लाने के लिए भी किया जाता है। तो हमने देखा कि ये तीन विचित्र चीज़ें हैं, जिनका उपयोग फल कहकर किया जाता है। इनमें से एक (जायफल) तो फल नहीं बीज है। दूसरा (कायफल) छाल है जबकि तीसरा (माजूफल) तो फलनुमा दिखने के बावजूद गाल नामक एक विशेष संरचना है।

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