Talking Point
एके सिंह
विनोद एक बहराष्ट्रीय कम्पनी में एक उच्च अधिकारी है और पिछले कुछ दिनों से पेट दंर्द से परेशान था। अपने पारिवारिक डाक्टर से उसने अपनी समस्या बताई । लक्षणों के आधार पर डाक्टर ने कुछ दवाएं लिख दी और खान पान में कुछ सावधानी बरतने को कहा । विनोद ने दवाइयों के साथ खान पान में पूरी सावधानी बरती लेकिन पेट दर्द से छुटकारा नहीं मिला। पारिवारिक डाक्टर की सलाह पर उसने पेट के विशेषज्ञ डाक्टर से सम्पर्क किया लक्षणों के आधार पर उसने भी पहले दवाइयां दी लेकिन समस्या बनी रही। विनोद को पेट दर्द की परेशानी बढ़ती गयी । जिस पर विशेषज्ञ ने पेट की एंडोस्कोपी तथा माइक्रो स्केनिंग की जिस पर पता चला कि अमाशय में एक परत सी चढ़ी हुई है जिसका सैम्पल निकाल कर जब परीक्षण कराया गया तो पता चला कि यह परत तो मोम की है । डाक्टर हैरान था कि इतनी मोम पेट में कहां से पहुंच गयी। उसने विनोद से पूछताछ तथा उसकी खानपान की आदतों के विषय में जानकारी ली।
विनोद ने बताया कि कार्यालय में उसे काम के समय चाय या काफी पीने की आदत है यह चाय या कॉफी डिस्पोजेबल कप मे पेश की जाती है। यह जानकारी डाक्टर के लिये पर्याप्त थी उसे पता लग गया था कि मोम कहां से पेट में पहुंची। उसने विनोद से बताया कि बीमारी की जड़ डिस्पोजेबल कप हैं जिनमें मोम की एक परत होती है वही धीरे धीरे चाय य कॉफी के साथ उसके पेट में पहुंच कर परत में परिवर्तित हो गयी। डाक्टर की सलाह पर विनोद ने गरम पेय स्टील या कांच के पात्र में लेना शुरु किया दवाइयों तथा परिवर्तन ने विनोद को स्वस्थ कर दिया। विनोद अब डिस्पोजेबल कप या गिलास से दूर रहता है।
हम सब यह समझते हैं कि डिस्पोजेबल कप या गिलास स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित हैं और इनका चूंकि दोबारा उपयोग नहीं होता है अतः इनको उपयोग में कोई परहेज नहीं होना चाहिये। वास्तविकता तो इसके विपरीत है। चिकित्सकों के अनुसार फलो तथा सब्जियों को ताजा दिखाने के लिये उसमे मोम की परत चढ़ाई जाती है जिससे उनकी शेल्फ वेल्यू बढ़ जाती है लेकिन यह मोम स्वास्थ्य को कितना हानि पहुचाता है उसका एक उदाहरण उपरोक्त घटना है। इसलिये चिकित्सक अब सिर्फ ताजे फल या सब्जियों के सेवन की बात कहते है। विशेणज्ञों की माने तो यदि आप प्लास्टिक की रंग बिरंगी पन्नी मे लाई हुई चाय को प्लास्टिक के कप में डालकर पीते है या आप पन्नी में पैक भोजन करते हैं तो यह काम तुरतं बंद कर दे। अन्यथा आप कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते है और कैंसर के शिकार भी हो सकते हैं।
बाजार में आमतौर पर बिकने वाली प्लास्टिक की पन्नियां या कप रिसाइकिल्ड होते हैं। जिन्हे बनाने में बिसफिनोल ए नामक एक जहरीले रसायन का प्रयोग किया जाता है। अब तक के परीक्षणो में यह कैसरकारक साबित हुआ है। बिसफिनोल ए के अलावा प्लास्टिक को रंगने के लिये प्रयोग किये जाने वाले रसायन भी हानिकारक होते हैं। प्लास्टिक के पात्र में गर्म या ठंडा पदार्थ रखा जाय उसके जहरीले रसायन दोनों ही परिस्थितों में उसमे रखे हुए पदार्थ में घुल जाते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के डा. वीर सिंह के अनुसार पन्नी ही नहीं बल्कि रिसाइकिल किये गये रंगीन या सफेद प्लास्टिक जार या कप या पन्नी मे खाद्य पदार्थों का सेवन जानलेवा हो सकता है। बिसफिनोल ए बच्चो के साथ गर्भवती महिलाओंके लिये खतरनाक है। इससे स्तन कैसर हो सकता है तथा यह गर्भपात का कारण भी बन सकता है। यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है।
एम्स के पूर्व न्यूरो विशेषज्ञ एवं गुड़गांव के आर्टमिजृ हिल्स इंस्टीट्यूट मे कार्यरत ड़ा. प्रवीण गुप्ता कहते हैं कि प्लास्टिक के घातक तत्वों के शरीर में जाने से मस्तिष्क का विकास बधित होता है। बच्चो की स्मरण शक्ति पर भी विपरीत असर पड़ता है। बिसफिनोल ए पैक्रियाजृ ग्रंथि में इंसुलिन बनाने वाली कोशिका अल्फा सेल को भी प्रभावित करता है। इंसुलिन ही हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करती है। इसकी कार्यप्रणाली प्रभावित होने से डायबिटीजृ होती है। बिसफिनोल ए हमारे शरीर मे हार्मोन बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। लखनऊ के सेंट्रल इस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी ( सीपेट) के निदेशक डा, विजय कुमार के अनुसार प्लासटिक की पन्नियों का रंग मानव का दुश्मन है। इन्हे रंगने के लिये सस्ते तथा हानिकारक रंगो का इस्तेमाल किया जाता है। इन पन्नियो में गर्म चाय या खाद्य पदार्थ रखने की वजह से रंग प्लास्टीसाइजर्स (लचीलेपन के लिये) और स्टेबलाइजर ( मजबूती के लिये ) रिस कर खाद्य सामग्री में मिलने का अंदेशा रहता है। पीजी आई लखनऊ के गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा जी चैधरी तो चेतावनी देते हैं कि लाल नीली पन्नियों में लाई चाय कतई ना पियें। इससे पेट की कई बीमारियो को आप आमंत्रित करेंगे और बाद में पीड़ित होंगे।
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रंगीन डिस्पोजेबल कप्स हैं घातक और जहरीले
बाजार में आमतौर पर बिकने वाली प्लास्टिक की पन्नियां या कप रिसाइकिल्ड होते हैं। जिन्हे बनाने में बिसफिनोल ए नामक एक जहरीले रसायन का प्रयोग किया जाता है। अब तक के परीक्षणो में यह कैसरकारक साबित हुआ है...
Tree TakeFeb 22, 2024 12:33 PM
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