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वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एयरशेड एपरोच द्वारा एअर क्वालिटी मैनेजमेंट इन द इन्डो- गैंजेटिक प्लेन पर होलट हॉलीडे इन में 7 मार्च को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने किया। इस अवसर पर डा0 सक्सेना ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर प्रदेश राज्य और विश्व बैंक के सहयोग से सिन्धु गंगा के मैदान में वायु गुणवत्ता प्रबंधन’ हेतु कार्यशाला का आयोजन एक सराहनीय पहल है। इस कार्यशाला के माध्यम से रणनीति विकसित करने और आईजीपी में वायु गुणवत्ता प्रबंधन पहल के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विभिन्न राज्यों, विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच चर्चा की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यूपी के 17 दवद.ंजजंपदउमदज बपजपमे के लिए सिटी एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी है। राज्य ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लागत अनुमान और समयसीमा पर अधिक विवरण के साथ कार्य योजनाएं भी तैयार की हैं, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक अच्छा प्रयास माना गया है। वर्ष 2022 में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पहल के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के नौ शहरों को वायु गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए चुना गया था, जिनमें से पांच को वायु गुणवत्ता को सुधारने में उनके द्वारा किए गये प्रयासों को मान्यता दी गई थी। इंडो गैंजेटिक प्लेन (आईजीपी) क्षेत्र, आठ भारतीय राज्यों बिहार, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ और दिल्ली के साथ-साथ नेपाल और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों और पूरे बांग्लादेश में फैला हुआ है। यह क्षेत्र उत्सृजन स्त्रोतों एवं मौसमी कारणों से अत्यधिक वायु प्रदूषण संकट का सामना करता है, जो इसे विश्व स्तर पर सबसे गंभीर प्रदूषित क्षेत्रों में से एक बनाता है। वायु प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो आईजीपी क्षेत्र के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों जैसी कमजोर वर्ग, तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित आबादी, जिसमें लाखों गरीब परिवार भी शामिल हैं, को अपने स्वास्थ्य के लिए जोखिम का सामना करना पड़ता है। विभिन्न क्षेत्र वायु प्रदूषण में अलग-अलग रूप से प्रभावित करते हैं, जिनमें औद्योगिक उत्सर्जन, परिवहन, कृषि पद्धतियाँ, घरेलू खाना पकाने और हीटिंग, निर्माणजनित धूल, कोयला एवं अन्य जीवाश्म ईंधन द्वारा बिजली उत्पादन और अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं। चुनौती इस तथ्य से और भी बढ़ गई है कि आईजीपी के भीतर अलग-अलग राज्य अकेले वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर सकते हैं। कई मामलों में, पड़ोसी राज्यों और यहां तक कि अन्य देशों से वायु प्रदूषण का योगदान घरेलू स्रोतों से अधिक है। औसतन, आईजीपी राज्यों के भीतर वायु प्रदूषण साद्रता का लगभग आधा हिस्सा पड़ोसी राज्यों या विदेशी स्रोतों से उत्पन्न होता है। कार्यशाला में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के पर्यावरण विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव को आमत्रित किया गया। कार्यशाला में विश्व बैंक क्लीन एयर फण्ड, दक्षिण एशिया केएफडब्ल्यू डेवलपमेंट बैंक, स्वीट्जरलैण्ड दूतावास, कॉमनवेल्थ ऑफिस एवं विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
विश्व वन्यजीव दिवस का राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित
नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, लखनऊ स्थित सारस प्रेक्षागृह में विश्व वन्यजीव दिवस-2024 का राज्य स्तरीय कार्यक्रम 3 मार्च को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार की उपस्थिति में हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा सारस प्रेक्षागृह के सामने लगाये गये स्टाॅलों का अवलोकन किया गया। इसके पश्चात निदेशक, प्राणी उद्यान द्वारा मुख्य अतिथि सहित सभी गणमान्य अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया गया। अरूण कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि विश्व वन्यजीव दिवस-2024 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आने का अवसर प्राप्त हुआ। इस थीम पर हमें बहुत अच्छे तरीके से सोचना और समझना होगा एवं अपने विभाग में भी लागू करना होगा। वन्य जीवों के संरक्षण वाले प्रावधान पर वर्ष 1973 में अंतराष्ट्रीय व्यापार सम्मलेन के अवसर पर हस्ताक्षर किए गए थे। आज का दिन हमें धरती पर मौजूद अद्भुत वन्य जीवों के महत्व को याद दिलाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी इस पृथ्वी के सहयोगी हैं और इसका हमारे वन्य जीवों के साथ एक संवाद और समर्थन निभाने का दायित्व है। आज, हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सभी मिलकर वन्य जीवों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। हमें अपनी प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने के लिए जुटना होगा, क्योंकि वन्य जीवों के बिना हमारा जीवन अधूरा है। मैं आप सभी से यह अनुरोध करता हूं कि हम सभी वन्य जीवों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए संकल्प लें और उनके संरक्षण में अपना योगदान दें। अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मनोज सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि आज हम इस दिवस के अवसर पर एकत्र हुए हैं। आज के समय को दृष्टिगत रखते हुए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग करना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने टेक्नोलाॅजी पर बल देते हुए कहा कि हमारे पास जो भी नई तकनीकी हो हमें उसका उपयोग करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। पिछले दिनों बिजनौर में जब तेंदुओं की संख्या बढ़ गयी थी, तो हमने थर्मल ड्रोन कैमरे का उपयोग किया था, इससे हमें यह पता चलता है कि वन्य जीव कहाॅं पर विचरण कर रहा है। वन्यजीव इसलिए जरूरी हैं क्योंकि ये हमें एक स्वस्थ पारिस्थितिकीय तंत्र देते हैं। आज विश्व में 10 मिलियन वन्य जीवों की प्रजातियाँ हैं। जो प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं, हमें उन्हें बचाने हेतु आवश्यक एवं कड़े कदम उठाने होंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा ने कहा कि हमारे देश एवं प्रदेश में टाइगर एवं लेपर्ड की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा टेक्नोलाॅजी के साथ चलना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी, जिससे मानव वन्य जीव संघर्ष को समाप्त किया जा सके। प्रधान मुख्य वन संरक्षक, कार्ययोजना एवं मूल्यांकन सुनील चैधरी ने अपने सम्बोधन में विश्व वन्यजीव दिवस-2024 का जिक्र करते हुए कहा कि तकनीक को हमें तब तक ही उपयोग में लाना चाहिए जब तक उससे हमें कोई नुकसान न हो। तकनीक पर हमें पूर्ण रूप से आश्रित नहीं होना चाहिए। मानव वन्यजीव संघर्ष के बारे में कहा कि मंत्री जी एवं अपर मुख्य सचिव द्वारा बहुत अच्छा कार्य किया गया है, जिससे मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं मंे कमी आयी है। इस अवसर पर राजभवन में लगी शाकभाजी, फल एवं पुष्प प्रदर्शनी में नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, लखनऊ के तितली पार्क को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर प्राणी उद्यान, लखनऊ द्वारा ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें 4 स्कूलों के लगभग 50 विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें विजेता प्रतियोगियों को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। प्राणी उद्यान में कार्यरत 25 कर्मचारियों को अच्छा कार्य करने हेतु प्रति कर्मचारी को रू 1000 नकद पुस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।
वन मंत्री की अध्यक्षता में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बैठक
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरूण कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्यालय में विभागीय कार्यो की समीक्षा की गई। मंत्री द्वारा विभाग के अधिकारियों को बोर्ड के दायित्वों, निवेश मित्र पोर्टल पर लम्बित प्रकरणों को समयबद्ध रूप से निस्तारित किये जाने तथा राज्य में उद्योगों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का प्लेटफार्म दिये जाने संबंधी निर्देश दिये गये। उन्होंने बोर्ड के अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रदेश की जल एवं वायु गुणवत्ता में सुधार लाये जाने हेतु निरन्तर प्रयास किये जाएं। अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह द्वारा बैठक में उपस्थित बोर्ड के अधिकारियों एवं वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े हुए समस्त क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि मंत्री द्वारा दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए एवं उक्त कार्यो की नियत समीक्षा अग्रिम बेठक में की जाएगी। सदस्य सचिव, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड संजीव कुमार सिंह द्वारा सूचीबद्ध बिन्दुओं के संबंध में प्रस्तुतिकरण कराया गया, जिसमें बोर्ड में सहमति आवेदन के शुल्क में संशोधन हेतु राज्य सरकार को प्रेषित प्रस्ताव, बोर्ड के रिक्त पदों को भरे जाने हेतु प्रस्ताव की अद्यतन स्थिति, बोर्ड की स्ट्रेन्थनिंग हेतु उ0प्र0 शासन को प्रेषित प्रस्ताव की अद्यतन स्थिति, प्रदेश के उद्योगोंध्स्थानीय निकायध्छावनी परिषद आदि के विरूद्ध बोर्ड द्वारा जारी किये गये उपकर बिलों के विरूद्ध लम्बित राशि की अद्यतन स्थिति, उ0प्र0 ईंट भट्ठ (स्थापना एवं स्थल मापदण्ड) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2023 के प्रस्तावित प्रख्यापन की स्थिति, बोर्ड की प्रयोगशालाओं के सुदृढ़िकरण एवं स्ट्रेन्थनिंग हेतु किये जा रहे कार्या की स्थिति, प्रदेश की नदियों, नालों की जल गुणता एवं प्रदेश के वायु की गुणता में सुधार हेतु किये जा रहे कार्यो की स्थिति, निवेश मित्र पोर्टल पर निस्तारित एवं लम्बित आवेदन पत्रों की स्थिति, वर्ष 2024 हेतु मियावाकी पद्धति से राज्य बोर्ड द्वारा वृक्षारोपण किये जाने की स्थिति का प्रस्तुतिकरण किया गया।
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