-: राहुल रोहितश्व
पर्यावरणविद तथा ईको-फिलाटेलिस्ट
लहेरी टोला, भागलपुर, बिहार
तितली उड़ी, उड़ के चली
फूल ने कहा , आजा मेरे पास
तितली कही, मैं चली आकाश
संसार में शायद ही कोई ऐसा मनुष्य होगा जिसने कभी तितली नहीं देखा होगा । कीट –पतंगों के संसार में तितली सबसे सुंदर कीड़ों में से एक है । विभिन्न आकार - प्रकार में पाये जाने वाले ये जीव बरबस ही हमारा ध्यान अपनी ओर खींच लेते है । हमारे बगीचों तथा खलिहानों में इधर-उधर मँडराते रहने वाले यह जीव न सिर्फ फूलों के परागण में मदद करते है बल्कि कई हानिकारक तथा फसलों को नुकसान पहुंचाहने वाले असंख्य कीड़ों को खाकर किसानों की मदद भी कर देते हैं । शायद यहीं कारण है की संसार के महानतम वैज्ञानिकों में शुमार सर अल्बर्ट आइन्सटाइन ने एक बार कहा था की यदि इस संसार से तितली तथा मधुमक्खी विलुप्त हो गए तो मानव जाति के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरानें लगंगे और कुछ ही समय में इस धरती से हम मानवों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा । ये छोटे से उड़ने वाले जीव अपने सुंदर जीवंत रंगों के लिए जाने जाते हैं और हम सभी उनसे अपनी नज़रें नहीं हटा पाते हैं । तितलियों की इन्ही विशेषताओं एव्म विविधताओं से प्रभावित होकर भारतीय डाक विभाग समय – समय पर तितलियों के ऊपर डाक टिकट तथा अन्य फिलाटेलिक सामाग्री जारी करता रहा है जिससे की जनमानस इन जीवों के महत्व को समझे और इनके संरक्षण मे अपना योगदान दे सकें । भारत में तितली की अद्वितीय प्रजाति की स्मृति में भारतीय डाक ने विभिन्न डाक टिकट जारी किए हैं । आइए हम तितलियों की विशेषता वाले भारत के खूबसूरत टिकटों पर एक नज़र डालते हैं।
तितलियों पर भारतीय डाक टिकट
भारतीय उप-महाद्वीप में मिलने वाली तितलियों की रंग-बिरंगी प्रजातियों तथा विविधताओं के मद्देनज़र भारतीय डाक विभाग ने सर्वप्रथम सन 1981 ईस्वी में भारतीय उप-महाद्वीप में पाई जाने वाली तितलयों की चार प्रजातियों जिनके नाम है स्टिकोंफ्थलमा कामदेवा , सिथोसिया बिबलिस , साइरेस्टीस एकटीईस , टीनोंपालपुस इंपेरियालीस तथा जिनके मूल्य 35 पैसे, 50 पैसा, 1 रुपया तथा 2 रुपया थे को एक खूबसूरत स्पेशल कवर पर बॉम्बे डाक सर्कल से जारी किया गया था।
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