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‘‘सौमित्र वन’’ में पेड़ बचाओ अभियान त्रैमास का शुभारंभ

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‘‘सौमित्र वन’’ में पेड़ बचाओ अभियान त्रैमास का शुभारंभ

मंत्री जी ने कहा कि 20 जुलाई 2024 को एक दिन में 36.51 करोड़ पौधों का रोपण किया गया तथा माह सितम्बर के अन्त तक 36.80 करोड़ पौधरोपण की उपलब्धि की गयी

‘‘सौमित्र वन’’ में पेड़ बचाओ अभियान त्रैमास का शुभारंभ

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उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने कुकरैल नदी के तट पर स्थित ‘‘सौमित्र वन’’ में पेड़ बचाओ अभियान त्रैमास का शुभारंभ किया और सौमित्र वन में रोपित वृक्षों का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर वन मंत्री ने कहा कि 03 अक्टूबर से 14 जनवरी तक पेड़ बचाओ अभियान त्रैमास का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत वृक्षारोण महा अभियान के अंतर्गत रोपित किये गये वृक्षों की देख-भाल एवं सुरक्षा का कार्य किया जायेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पूरे प्रदेश में जितने भी पेड़ लगाये गये हैं, उनका विशेष ध्यान रखा जाय, क्योंकि ये पेड़ मॉं के नाम से लगाये गये है और मॉं से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं जनपदों का भ्रमण करंेंगे और रोपित पौधों की स्थिति को देखेंगे। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में रोपित प्रत्येक वृक्ष की सुरक्षा हमारा प्रमुख दायित्व है। वन विभाग के अतिरिक्त अन्य सहयोगी विभागोें को भी पेड़ बचाओं अभियान में अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और पेड़ों की सिंचाई और सुरक्षा का दायित्व निभाना होगा। उन्होंने आमजनमानस से अग्रह किया कि जिन्होंने ने पेड़ लगाये हैं वह उनकी देख-भाल अवश्य करें।

रोपित पौधों की सुरक्षा व्यवस्था तथा सिंचाई की समीक्षा 

दिनांक 7 अक्टूबर 2024 को वन विभाग मुख्यालय के सभा कक्ष में आहूत समीक्षा बैठक में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एव जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश, डा0 अरूण कुमार सक्सेना व राज्य मंत्री (पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एव जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश), के0पी0 ने प्रदेश अन्तर्गत वर्षाकाल 2024 में रोपित पौधों की सुरक्षा व्यवस्था तथा सिंचाई आदि की विभागवार समीक्षा की गयी। मंत्री जी ने कहा कि 20 जुलाई 2024 को एक दिन में 36.51 करोड़ पौधों का रोपण किया गया तथा माह सितम्बर के अन्त तक 36.80 करोड़ पौधरोपण की उपलब्धि की गयी। समीक्षा बैठक में ग्राम्य विकास, पंचायती राज, कृशि, नगर विकास, लोक निर्माण, औद्योगिक विकास तथा राश्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से मंत्री जी ने रोपित पौधों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर समस्त पौधों की सिंचाई, निराई-गुड़ाई व मृत पौधों के स्थान पर नई पौध लगाने के निर्देश दिये गये। प्रत्येक संबंधित विभाग द्वारा अपने स्तर से नियमित अनुश्रवण व समीक्षा करने हेतु नोडल अधिकारी नामित करने, स्थल वार गणना पंजिका का संधारण कर उसमें रोपित पौधों के सापेक्ष जीवित पौधों की संख्या अंकित करने तथा समस्त रोपण स्थलों की जिओटैगिंग करने के निर्देश दिये गये। मंत्रिगणों द्वारा अन्य विभागों द्वारा किये गए वृक्षारोपण के स्थलीय सत्यापन हेतु जिला वृक्षारोपण समिति के माध्यम से अंतर्विभागीय जाच समिति गठित करने प्रत्येक ग्राम पंचायत के माइक्रोप्लान को अद्यावधिक करने एवं सड़कों के किनारे तथा शहरी क्षेत्र में जैविक दबाव के दष्टिगत विशेष सुरक्षा व रखरखाव के निर्देश दिये गये। कृषको से सम्बन्धित योजनाओं के प्रत्येक लाभार्थी द्वारा रोपण, वृक्षारोपण में ग्राम प्रधानों की सहभागिता, कृषि वानिकी, ‘‘हर खेत में मेड़, हर मेड़ पर पेड़’’ के अन्तर्गत काष्ठ व अन्य उत्पादों व कार्बन क्रेडिट से आय में वृद्धि, मार्ग के किनारे छायादार, फलदार तथा औषधीय प्रजाति के पौधों का रोपण आदि विषयों पर समस्त विभागों की जिला स्तरीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को प्रेरित किया।

मानव एवं सर्प संघर्ष पर बैठक

वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में वन मुख्यालय में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें अपर मुख्य सचिव (वन) मनोज सिंह एवं वन बल प्रमुख सुधीर कुमार शर्मा, संजय श्रीवास्तव पीसीसीएफ एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, सुनील चैधरी पीसीसीएफ कार्ययोजना एवं प्रबंध निदेशक वन निगम तथा अनुराधा वेमुरी पीसीसीएफ अनुसंधान एवं प्रशिक्षण की उपस्थिति में बैठक हुई। बैठक में मानव एवं सर्प संपर्क के कारण उत्पन्न होने वाले संघर्षों की गंभीरता, सर्प दंश की घटनाओं तथा इस संघर्षपूर्ण स्थिति को कम करने की रणनीतियों के बारे में चर्चा की गई। हॉफकिन्स इंस्टीट्यूट, पुणे की पूर्व निदेशक डॉ निशिगंधा नाइक ने उत्तर प्रदेश में सर्प दंश की घटनाओं की प्रकृति, कारण एवं गंभीरता पर एक प्रस्तुति दी तथा दीर्घकाल में मानव जीवन एवं अन्य संसाधनों को बचाने के लिए इन घटनाओं को कम करने हेतु एक प्रणाली स्थापित करने के अपने अनुभव साझा किए। यह उल्लेख करना उचित है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मानव-पशु संघर्ष को आपदा घोषित किया है और सरकारी आदेश के अनुसार मानव हानि, चोट और संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जाती है। भारत में, सांप के काटने से होने वाली वार्षिक मानव मृत्यु 55,000 से 65,000 के बीच होती है, जबकि सांप के काटने की घटनाएं 2,50,000 से 3,00,000 तक होती हैं। उत्तर प्रदेश प्रमुख प्रभावित राज्यों में से एक है क्योंकि सांप के काटने से होने वाली मानव मृत्यु सालाना 15,000 से 16,000 के बीच होती है। सांप के जहर से निपटने में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बड़े स्पेक्ट्रम और कुशल एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता है। पहले के दिनों में सांप के काटने से खतरे में पड़े मानव जीवन को बचाने के लिए एंटीडोट की 3 से 5 खुराक पर्याप्त थी। अब 15 से 25 खुराक लगती हैं यह भी सच है कि बहुत से लोगों को विषैले और गैर विषैले सांपों में अंतर करने की बुनियादी जानकारी नहीं होती। जिससे न केवल दहशत फैलती है, बल्कि सांपों की मौत भी हो जाती है। मामले पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद माननीय वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने वरिष्ठ वन अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सांप के काटने से प्रभावित व्यक्तियों, सांप के जहर रोधी दवा की आवश्यकता और उपलब्धता का व्यापक आकलन करें। सांपों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हुए सांपों को बचाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करें। जहरीले और गैर विषैले सांपों की पहचान करने के कौशल विकसित करने के लिए ग्रामीणों और अग्रिम वन कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार जनहानि को कम करने के लिए चिंतित है और साथ ही सांपों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) मनोज सिंह ने वरिष्ठ वन अधिकारियों को गांव स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, प्रत्येक गांव में कम से कम एक सांप बचाव व्यक्ति को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने, जहरीले सांपों की पहचान करने और उन्हें बचाने के लिए अग्रिम वन कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए तौर-तरीके विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी हितधारक विभागों के साथ रणनीतिक बैठकें आयोजित करने तथा आवश्यक वित्त पोषण एवं अन्य संसाधनों को साझा करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के भी निर्देश दिए।

Teen held for torturing cat

Following the registration of a first information report (FIR) by Kotwali Dehat Police Station under sections 3 and 11 of The Prevention of Cruelty to Animals (PCA) Act, 1960, on 29 August against a Bulandshahr teen for violently spinning a cat stuffed inside a sack, the accused has now been detained for serious offences against other animals and a human baby. People for the Ethical Treatment of Animals (PETA) India intervened in the case after discovering several other videos of animal abuse on the accused’s social media account, including videos that showed him abusing a black kite and a king cobra. Both species are protected under Schedule I of the Wild Life (Protection) Act (WPA), 1972. Another video posted on the teen’s Instagram account showed an individual inappropriately touching an infant. PETA India fired off a letter to the senior superintendent of police and divisional forest officer of Bulandshahr and met with the circle officer for Bulandshahr city, successfully requesting that relevant stringent sections be added to the FIR. These include Section 67B of the Information Technology (IT) Act, 2000, and Sections 13 and 14 of the Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012. A preliminary offence report was also registered under sections 9, 39(3), and 51 of the WPA for offences related to wildlife abuse by the Bulandshahr Forest Division of the Uttar Pradesh Forest Department. Since the accused is a juvenile, he was taken into custody and presented before the Juvenile Justice Board, which sent him to an observation home. Section 67B of the IT Act, 2000, penalises the publishing of material depicting children in sexually explicit acts in electronic form. Violations under this section can result in imprisonment of up to five years and/or a fine of up to Rs 10 lakh. Sections 13 and 14 of the POCSO Act, 2012, penalises the use of children for pornographic purposes, which is punishable by imprisonment for a minimum of five years, along with a fine. Section 9 of the WPA prohibits the hunting of protected wild animals. “Hunting” has been defined as capturing, coursing, trapping, or even attempting to do so. Hunting a Schedule I species is punishable under Section 51 of the WPA with a jail term of at least three years, but which may be extended to seven years, and a fine of at least Rs 25,000. “Those who abuse animals often also harm humans. The abuse of animals must be treated with the utmost seriousness for a safer society for all,” says PETA India Cruelty Response Coordinator Sunayana Basu. “We appreciate the efforts of Bulandshahr Senior Superintendent of Police Shri Shlok Kumar, IPS; Circle Officer – City Shri Vikas Chauhan; Chief Conservator of Forests, Meerut, Shri Ramesh Chandra, IFS; and Divisional Forest Officer, Bulandshahr, Smt Vineeta Singh, IFS, for sending a clear message that cruelty to animals will not be tolerated.”

 
 

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