Parenting A Pet
बुग्गू को अपनाने का फैसला मेरे जीवन के कुछ अच्छे फैसलों में से एक है: कबीर
मेरा नाम कबीर है और मैं करीब २ वर्ष से एक पेट पैरेंट हूं। आज से करीब २ वर्ष पहले जब मैं अपने बड़े भैया सौरभ द्विवेदी ( जो की लखनऊ में एनिमल मित्र नाम से एक पशु चिकित्सा केंद्र चलाते है ) के घर गया तो वहां एक कुत्ते से मिला जो थोड़ा जख्मी था। मैंने पूरा दिन उस कुत्ते के साथ बिताया और मुझे बहुत खुशी भी हुई, मन हुआ की इसे मैं अपने घर ले जाऊं। मैं सौरभ भैया से पूछता उससे पहले ही उन्होंने मुझे बताया कि हमे एक अच्छे परिवार की तलाश है जो इसे अपना ले और इसका ध्यान रखें। मैंने प्रस्ताव रखा की वह यह कुत्ता मुझे दे दे मैं इसका ध्यान रखूंगा। मैंने उसका नाम बड़े प्यार से बुग्गू रखा और मैं मानता हूं की बुग्गू को अपनाने का फैसला मेरे जीवन के कुछ अच्छे फैसलों में से एक है क्योंकि इस फैसले से उसे एक अच्छा परिवार और मुझे एक अच्छा मित्र मिला।
अब एक पेट पैरेंट होने के नाते बुग्गु का ध्यान रखना मेरी जिम्मेदारी है। जानवर भी हमारी तरह भावात्मक और संवेदनशील होते है। उन्हे भी प्यार और अपनापन चाहिए होता है। जितना हम अपने पेट से प्यार करते है उससे कही ज्यादा वह हमसे प्यार और हम पर भरोसा करते हैं। पेट पेरेंटिंग का मतलब सिर्फ उन्हें दिन में ३ बार खाना खिलाना नही होता बल्कि हमे उनके मानसिक स्वास्थ का भी पूरा ध्यान रखना होता है। कुछ बाते जो मैं मानता हूं की हमे एक पेट पैरेंट होने के नाते करना ही चाहिए:
१ संतुलित आहार: हर जानवर का सहारा अलग अलग होता है जिसका हमे विशेष ध्यान रखना चाहिए। एक पेट को कितना खिलाना है यह बात उनके उम्र, वजन, और प्रजाति पर निर्भर करता है। मैं अपने पेट बुग्गू को सिर्फ पौध आधारित भोजन ही खिलाता हूं ताकि उसके खाने के लिए किसी और मासूम जानवर जैसे मुर्गी या बकरी पर शोषण न हो, पर कुत्ता एक मांस खाने वाला जानवर है इसलिए मुझे उसके आहार का विशेष ध्यान रखना होता है और कुछ सप्लीमेंट्स भी देने होते है
२ स्वास्थ एवं टीकाकरण: जानवर शारीरिक बनावट में इंसानों से अलग होते है इसलिए उनके स्वास्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कभी कभी हमारा पेट हमारे बिना जानकारी के कुछ गलत खा लेता है तो उसका स्वास्थ खराब हो सकता है। २ वर्ष साथ बिताने के कारण मैं अपने पेट का बर्ताव समझा गया हूं इसलिए मुझे जब भी उसका बर्ताव अलग लगता है मैं उसे डाक्टर के पास ले जाता हूं। पेट का स्वास्थ ठीक रखने के लिए साफ सफाई का भी ध्यान रखे और सही समय पर जरूरी टीकाकरण भी कराते रहे जिससे आप और आपका परिवार भी सुरक्षित रहे।
३ रोज टहलाना: पेट को रोज टहलाने के २ फायदे है, पहला यह की पूरा दिन घर पे होने के कारण पेट भी हम इंसानों की तरह ऊब जाते है और चिड़चिड़े हो जाते है जिसके कारण काटने का खतरा या दिन भर भौंकने का डर रहता है पर प्रति दिन टहलाने से जानवरों का मानसिक स्वास्थ ठीक रहता है। दूसरा फायदा यह की पुरे दिन घर पे रहने के कारण पेट घूमने के लिए उतावले रहते है और जो और यदि आप उसे टहलाने ले जाते है तो आप उनके पसंदीदा हो जाते है जैसे मैं मेरे बुग्गू का पसंदीदा इंसान हूं। घूमने के बाद वह अति प्रसन्न और आनंदित महसूस करते है।
४ प्रशिक्षण एवं अनुशासन: मुझे याद है जब मेरा बुग्गू आया था तब वह घर पर ही पॉटी कर देता था और मेरे घरवाले गुस्सा हो जाते थे। बुग्गू ऐसा इसलिए करता था क्योंकि मैंने उसे बाहर पॉटी करना नही सिखाया था। पर फिर मैं उसे धीरे - धीरे बाहर ले जाने लगा और बाहर ही पॉटी करने की आदत डलवाई। एक अच्छे पेट पैरेंट होने के नाते उन्हें आपको बहुत सी चीजे सिखानी होती है जैसे घर के सामान न काटना या घर आए मेहमानों पर न भौंकना। आपके थोड़े प्रयासों से पेट आपके हिसाब से ढल जाते हंै।
५ अपनापन: मैंने देखा है कि लोग पेट तो रख लेते है पर अपना नही पाते। जैसे कुत्ते, सिर्फ दरवाजे पर चैकीदारी करने के लिए बांध के रखते है। मैं मानता हूं की यह पूरी तरह गलत बात है, अगर आप किसी जानवर को पाले तो उसे पूरी तरह अपने परिवार का हिस्सा माने उसे के परिवार की तरह ही प्यार करे और कम से कम घर पर बांध के न रखे। पेट जब आप पर भरोसा करते है तो वह बंधे नही रहना चाहते बल्कि आपके साथ खेलना चाहते हैं।
पेट पेरेंटिंग के फायदे
१ भावात्मक जुड़ाव: पालतू जानवर आपके सबसे अच्छे साथी बन सकते है जैसे मेरे लिए मेरा बुग्गू। वह बिना किसी शर्त के प्यार करते है और कभी अकेलेपन का अहसास नही होने देते। वह हर परिस्थिति में आपके साथ खड़े होते है।
२ मानसिक स्वास्थ: पालतू जानवर पालने से मानसिक तनाव कम होता है। आप जितने भी दुख या गुस्से में हो पेट अपनी मस्तीखोर हरकतों से आपके चेहरे पर मुस्कान ले आते है।
३ जिम्मेदारी का अहसास: जब आप एक पर का हर तरह से ध्यान रखते है उन्हे समय देता है तो आपको जिम्मेदारी का अहसास होता है और आप अपने बाकी कार्यों के लिए भी अधिक जिम्मेदार बनते है।
पालने से पहले कुछ सुझाव
१ ब्रीड वाले जानवर न पाले: भारत में कुत्ते और बिल्ली पालने का चलन काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है पर सभी को फैंसी और आकर्षक ब्रीड वाले कुत्ते बिल्ली ही पसंद आते है। कुत्ते के उदाहरण से समस्या समझे: कुत्ते के एक नए प्रकार का ब्रीड बनाने के लिए २ अलग - अलग ब्रीड के कुत्ते का ब्रीड कराया जाता है जिसे सिलेक्टिव ब्रीडिंग कहते है। इस विधि से एक नया ब्रीड और ब्रीडर्स को मुनाफा तो मिलता है पर साथ इस उन कुत्ता का जीवन भर का दुख भी मिलता है क्योंकि अप्राकृतिक मेट के कारण उनमें कई बीमारियां भी उत्पन्न होती है जैसे ‘‘पग्स‘‘ ब्रीड की बात करे तो सिलेक्टिव ब्रीडिंग के कारण उनके मुंह अंदर की ओर धस गए है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है और हमेशा हाफते रहते है।
२ देसी अपनाए: हमारे फैंसी और आकर्षक कुत्ता के ज्यादा मांग के कारण ब्रीडिंग बढ़ती ही जा रही है और ब्रीड वाले कुत्ते दर्द में जी रहे हैं। कुछ ब्रीड जैसे ‘‘हस्की और पिटबुल‘‘ तो हमारे भारतीय वातावरण को अपना ही नही पाते है जिस कारण हमेशा बीमार और एग्रेसिव रहते है वही दूसरी ओर देसी किस्से हर वातावरण में ढल जाते हैं पर उन्हें कोई अपनाना नही चाहता और वह सड़को पे सबकी ठोकरे खाते है। पर सही मायनो में हमे देसी कुत्ते अपनाने चाहिए जिससे उन्हें एक घर और परिवार मिलेगा साथ भी देसी कुत्ते अपनाने से ब्रीड वाले कुत्तों की मांग कम होगी जिससे उन्हें दर्द का जीवन भी व्यतीत नही करना होगा।
३ प्रजातिवाद न करें: मैंने आर्टिकल में ऊपर जिक्र किया की मैं अपने बुग्गु को सिर्फ पौध आधारित आहार ही खिलाता हूं ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं सिर्फ अपने पेट से ही नहीं बल्कि सभी जानवर जैसे बकरी, मुर्गी, गाय इत्यादि सभी से प्यार करता हूं। मैं नही चाहता की मेरे पेट के आहार के लिए अन्य मासूम जानवर जैसे मुर्गी या बकरी को मरना पड़े।
मैं जब भी कुत्ता, मुर्गी या बकरी देखता हूं सबको समान पाता पाता हूं और मुझे समझ नहीं आता लोग कैसे जानवरों में भेदभाव कर लेते है की कुत्ते या बिल्ली से तो बहुत प्यार करते है पर बकरे या मुर्गी को मारकर खा जाते है या अपने पेट को खिला देते है। मेरी नजर में यह एक दोगलापन है। सभी जानवरों को जीना का हक है सभी जानवरों को प्यार का हक है हमे सभी जानवरों को समान रूप से देखना चाहिए।
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