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पीएम सूर्य घर योजनाः एक सुरक्षित भविष्य की ओर एक उज्ज्वल कदम

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पीएम सूर्य घर योजनाः एक सुरक्षित भविष्य की ओर एक उज्ज्वल कदम

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश है और इसकी कुल बिजली का करीब 80ः हिस्सा कोयले वाले ताप विद्युत गृहों में बनता है। भारत यूनाइटेड किंगडम की तुलना में करीब 6 गुना अधिक बिजली पहले ही बना रहा है लेकिन जनसंख्या में नंबर 1 होने के कारण अभी भी सबको 24 घंटे बिजली नहीं दे पा रहा है..

पीएम सूर्य घर योजनाः एक सुरक्षित भविष्य की ओर एक उज्ज्वल कदम

Thinking Point
अभिषेक दुबे
पर्यावरण एवं पशु सशक्तिकरण कार्यकर्ता, नेचर क्लब फाउंडेशन, गोण्डा
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना, भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जो टिकाऊ विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आवासीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को अपनाने को प्रोत्साहित करना है, जो देश के व्यापक लक्ष्यों के साथ पर्यावरण की सुरक्षा, जंगलों का संरक्षण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और लाखों घरों के लिए बिजली बिलों को कम करने के लिए आवश्यक है। उत्तर प्रदेश इस हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भागीदार बन रहा है, और राज्य में इस योजना का प्रभाव पूरे देश के लिए इसकी संभावनाओं को दर्शाता है।
भारत, जो दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है, को अपने लोगों की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा के लिए तत्काल आवश्यकताओं का समाधान करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत, जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं, पर्यावरण के क्षरण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश है और इसकी कुल बिजली का करीब 80ः हिस्सा कोयले वाले ताप विद्युत गृहों में बनता है। भारत यूनाइटेड किंगडम की तुलना में करीब 6 गुना अधिक बिजली पहले ही बना रहा है लेकिन जनसंख्या में नंबर 1 होने के कारण अभी भी हम सबको 24 घंटे बिजली नहीं दे पा रहे हैं। वन, जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके धरती के फेफड़ों के रूप में कार्य करते हैं, ऊर्जा उत्पादन के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों से खतरे में हैं। पीएम सूर्य घर योजना एक ऐसा समाधान है जो सीधे इन समस्याओं का समाधान करती है। सरकार का लक्ष्य है कि सन 2030 तक भारत की कुल ऊर्जा के उत्पादन में सौर्य ऊर्जा का भाग लगभग 50ः जो जाए जिसके लिए कोयले वाले पुराने ताप विद्युत गृहों को तो बंद नहीं किया जाएगा लेकिन सोलर को बढ़ाया जाना प्रस्तावित है।
पर्यावरण संरक्षण और वन संरक्षण
सूर्य घर योजना की आधारशिला सौर ऊर्जा है, जो एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। इस योजना के तहत आवासीय छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रोत्साहित करके, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। यह बदलाव ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए आवश्यक है, जो वैश्विक तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के प्राथमिक कारण हैं। उत्तर प्रदेश में, जहां वनों की कटाई और भूमि क्षरण महत्वपूर्ण चिंताएं रही हैं, इस योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा को अपनाना वन क्षेत्रों पर दबाव को कम कर सकता है। जीवाश्म ईंधन का प्रयोग न बढ़ाकर जगलों पर दबाव भी कम हो सकता है जैसे हाल ही में राजस्थान के ताप विद्युत गृहों में कोयला पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ के अहम हसदेव के जंगलों को काट दिया गया। इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करके, राज्य जैव विविधता को बनाए रख सकता है, जलवायु को नियंत्रित कर सकता है और उन जनजातियों के जीवन को भी बचा सकता है जो वन संसाधनों पर निर्भर हैं। सूर्य घर योजना के प्रमुख लाभों में से एक कार्बन उत्सर्जन को कम करने की इसकी क्षमता है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (प्च्ब्ब्) ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे विनाशकारी प्रभावों को रोकने के लिए वैश्विक उत्सर्जन में कटौती की आवश्यकता है। सौर ऊर्जा में परिवर्तन करके, घर कार्बन पदचिह्न में महत्वपूर्ण कमी में योगदान करते हैं।
उत्तर प्रदेश में, जहां शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हुई है, इस योजना का कार्यान्वयन एक गेम-चेंजर हो सकता है। सौर ऊर्जा के व्यापक उपयोग से राज्य के कुल कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकती है, जिससे उसके निवासियों के लिए स्वच्छ हवा और एक स्वस्थ वातावरण मिलेगा।
पर्यावरणीय लाभों के अलावा, पीएम सूर्य घर योजना के माध्यम से महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ भी हैं। सोलर पैनलों के माध्यम से अपनी बिजली उत्पन्न करके, घर ग्रिड बिजली पर अपनी निर्भरता को काफी हद तक कम कर सकते हैं, जिससे मासिक बिलों में कमी आती है। उत्तर प्रदेश में, जहां बिजली का बिल कई परिवारों के लिए बोझ बन चुका है, वहां यह योजना राहत देने का काम कर सकती है और बिना सरकार द्वारा बिजली मुफ्त किए ही अपनी बिजली का बिल एकदम न्यूनतम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में, जहां जीवन यापन की लागत बढ़ रही है, बिजली बिलों में कमी से वित्तीय राहत मिल सकती है। इसके अलावा, सरकार इस योजना के तहत सोलर पैनल स्थापना को अधिक किफायती बनाने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मध्य और निम्न-आय वर्ग के परिवार भी इस योजना का लाभ ले सकें।
उत्तर प्रदेश के एक पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. आर.के. सिंह इस योजना के दीर्घकालिक लाभों पर जोर देते हुए कहते हैं, ‘‘पीएम सूर्य घर योजना एक ऐतिहासिक पहल है जो न केवल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती है, बल्कि व्यक्तियों को उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सशक्त भी बनाती है। हमारे वनों पर कम दबाव और उत्सर्जन में कमी हमारे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।‘‘
इसी तरह, ऊर्जा अर्थशास्त्री श्री अनिल गुप्ता आर्थिक प्रभाव की ओर इशारा करते हैं, ‘‘बिजली बिलों में कमी से होने वाली वित्तीय बचत सिर्फ शुरुआत है। समय के साथ, जब अधिक घर सौर ऊर्जा अपनाते हैं, तो हम पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की मांग में महत्वपूर्ण कमी देखेंगे, जिससे ऊर्जा की कीमतों में स्थिरता आएगी और ऊर्जा सुरक्षा में भी योगदान मिलेगा।‘‘
लखनऊ की समग्र इंटरप्राइजेज के यूपी त्रिपाठी बनाते हैं कि प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का लाभ कोई भी ले सकता है जो नियमित तौर पर अपना बिजली का बिल जमा करता रहा है। वे बताते हैं कि यह योजना उन क्षेत्रों के लिए बेहतर है जहां बिजली की ज्यादा कटौती नहीं होती है क्योंकि सोलर पैनल की डीसी ऊर्जा को घर में प्रयोग होने वाली एसी ऊर्जा में रूपांतरण के लिए लगाए जाने वाले इनवर्टर को चलाने के लिए सप्लाई ग्रिड से ही देना पड़ता है अतः यदि बिजली की अधिक कटौती होती है तो उस समय ये इनवर्टर काम नहीं करते और सौर्य ऊर्जा का लाभ भी उस समय नहीं मिल सकता। वे बताते हैं कि इस योजना में एक किलोवाट का संयंत्र लगाने में करीब 65,000 रुपए का खर्च आता है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा कुल 45,000 रुपए की सब्सिडी बाद में लाभार्थी के बैंक खाते में जमा करा दी जाती है। 2 किलोवाट के संयंत्र का खर्च लगभग 1,30,000 रुपए और सब्सिडी 90,000 रुपए है। इस योजना में घरेलू बिजली उपभोक्ता 10 किलोवाट तक सौर्य ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले पीएम सूर्य घर योजना के वेबसाइट पर जाकर निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करना होता है। उसके उपरांत वहीं से नेडा(छम्क्। - छमू ंदक त्मदमूंइसम म्दमतहल क्मअमसवचउमदज ।हमदबल) में रजिस्टर्ड कंपनियों की सूची में से किसी एक कंपनी से कम सौर्य ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए सेवाएं ले सकते हैं। शुरुआत में पूरा खर्च स्वयं वहन करना पड़ता है लेकिन फिर कंपनी द्वारा प्रदान की गई रसीद को जमा कराकर सब्सिडी खाते में प्राप्त कर ली जाती है।  अधिक जानकारी के लिए प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना तथा नेडा की वेबसाइट को देखना उचित होगा।
उत्तर प्रदेश: सौर्य ऊर्जा की सफलता की एक केस स्टडी
उत्तर प्रदेश, जो अपनी विशाल आबादी और विविध ऊर्जा आवश्यकताओं के साथ, यह दिखाता है कि पीएम सूर्य घर योजना कैसे बदलाव ला सकती है। राज्य सरकार इस योजना को बढ़ावा देने में सक्रिय रही है, सोलर पैनल स्थापना के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन और सुगम प्रक्रियाएँ प्रदान कर रही है।
गोरखपुर और वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में, इस योजना ने कई परिवारों को पहली बार विश्वसनीय रूप से लगभग मुफ्त बिजली प्राप्त करने में सक्षम बनाया है, और साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी बिजली के बिलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। स्कूलों और अस्पतालों में सौर ऊर्जा का अपनाना भी सुनिश्चित करता है कि बिजली की आपूर्ति निर्बाध रूप से जारी रहे, जिससे शैक्षणिक कार्यों और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो सके।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना सिर्फ एक सौर ऊर्जा पहल नहीं हैय यह पर्यावरण की सुरक्षा, जंगलों की बचत, कार्बन उत्सर्जन में कमी और लाखों भारतीय घरों को वित्तीय राहत प्रदान करने की एक व्यापक रणनीति है। उत्तर प्रदेश इस योजना को लागू करने में जिस प्रकार से आगे बढ़ रहा है, वह अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है। पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक बचत का यह संयोजन भारत के टिकाऊ भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है। डॉ. सिंह के शब्दों में, ‘‘हमारी धरती का भविष्य उन विकल्पों पर निर्भर करता है जो हम आज चुनते हैं। पीएम सूर्य घर योजना एक ऐसा विकल्प है - एक हरित, स्वच्छ और अधिक समृद्ध कल के लिए।‘‘
 

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