उत्तर प्रदेश में हुआ ३० करोड़ पौधों का रोपण-
उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चैहान ने ‘‘30 करोड़ वृक्षारोपण जनआंदोलन- 2021‘‘ के तहत 4 जुलाई को एक ही दिन में 25 करोड़ 21 लाख वृक्षारोपण किये जाने हेतु प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि वृृक्षारोपण लक्ष्य की प्राप्ति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल मार्ग दर्शन में सम्भव हुई हैै। मुख्यमंत्री की ‘‘वन मैन-वन ट्री‘‘ की अपील को प्रदेश की जनता ने सर-माथे पर लिया और प्रदेश में इतने वृहद स्तर पर वृक्षारोपण कर इतिहास रचने का कार्य किया गया है।
वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 महामारी की वजह से जान गवाने वाले लोगों की याद में हर गाॅव में स्मृतिवन लगाया जाएगा। लोगों को गिलोई आदि जड़ी-बूटियां आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिए कौशल वाटिकाएं स्थापित करायी जाएगी। साथ ही 100 वर्ष से पुराने वृक्षों को हेरिटेज वृक्ष के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा। वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सड़क किनारे विशेषकर एक्सप्रेस-वे, राश्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग तथा राश्ट्रीय राजमार्ग व सर्विस लेन के बीच हरित पट्टी विकसित किये जाने की श्रंखला में ग्रीन फील्ड पूर्वान्चल एक्सप्रेस-वे सुल्तानपुर में हरीषंकरी का पौधा रोपित किया गया। इस अवसर पर पंचवटी, नक्षत्र वाटिका एवं नवग्रह वाटिका सभी में एक-एक पौधा रोपित किया गया। सुलतानपुर जनपद के बड़ाडाड़ विकास खण्ड तहसील बल्दीराय में देव स्थान के पास स्थित विरासत वृक्ष ‘‘बरगद‘‘ की पूजा-पाठ कर परिक्रमा की तथा अमरूद, महुआ, हरसिंगार आदि के पौधे वितरित किए। साथ ही उत्तर प्रदेश यूपीडा ने वन विभाग से क्रय किये गये 30 हजार पौधे निकटवर्ती ग्राम वासियों को वितरित किये। इस वृहद स्तरीय वृक्षारोपण से ग्राम वासियों को फल, चारा, इमारती लकड़ी व औशधियाॅं मिलेगी।
वन मंत्री ने कहा कि वन विभाग द्वारा विकसित क्वीक कैप्चर एप के माध्यम से वृक्षारोपण स्थलों की जियोटैंिगंग की गई। ग्राम वासियों की आय में वृद्धि हेतु ग्राम पंचायत की भूमि पर इमारती एवं फलदार पौधों का रोपण किया गया। खाद्य सुरक्षा व पोषण के लिए मिड डे मील में उपयोग करने हेतु प्रदेश के विद्यालयों में सहजन के पौधों का रोपण किया गया। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण जन आन्दोलन 2021 के अन्तर्गत 30 करोड़ वृक्षारोपण कार्यक्रम कुपोषण निवारण, जैवविविधता संरक्षण एवं प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि केन्द्रित है। इस तहत पोषक तत्व तथा प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि वाली प्रजातियां यथा- बेल, आॅवला, जामुन, कटहल, पपीता, खजूर, अगस्त, सहजन, गम्भारी, अनार आदि के रोपण को प्राथमिकता दी गयी। वृक्षारोपण में जैवविविधता संरक्षण हेतु 100 से अधिक प्रजातियों का रोपण किया गया।
चैहान ने कहा कि वन विभाग द्वारा गंगा व 80 सहायक नदियों के किनारे 1.30 करोड़ से अधिक पौधे रोपित किये गये। सड़क किनारे विशेषकर एक्सप्रेस-वे, राश्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग आदि के किनारे रोपण को प्राथमिकता दी गयी। अन्य 26 विभागों द्वारा अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 17.87 करोड़ पौध डीएसटी प्रक्रिया के माध्यम से वन विभाग की पौधषालाओं से प्राप्त कर वृक्षारोपण में उपयोग किया गया।
वृक्षारोपण से संबंधित समस्त कार्यो का अनुश्रवण आनलाईन पीएमएस एवं एनएमएस के माध्यम से वन विभाग मुख्यालय स्थित कमाण्ड सेन्टर से किया गया। वन मंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण कार्यक्रम में पौराणिक-ऐतिहासिक महत्व के वृक्षों तथा परम्पराओं व मान्यताओं से जुडे विरासत वृक्षों के चयन की कार्यवाही की गयी। वन विभाग द्वारा 75 जनपदों में 28 प्रजातियों के 947 विरासत वृक्षों का चिन्हीकरण करते हुए उनका संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण जन आन्दोलन 2021 में प्रदेश में 30 करोड़ पौधा रोपण से भविष्य में स्थापित होने वाले वृक्ष लगभग 12.50 करोड़ नागरिकों की आक्सीजन आवश्यकता के लिये पर्याप्त है। वृक्षों द्वारा ऑक्सीजन के उत्सर्जन व कार्बन अवशोषण के महत्व पर बल दिया गया तथा जलवायु परिवर्तन के दौर में तापमान को नियंत्रित करने के लिए वृक्षों की भूमिका को रेखांकित किया गया। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव, गृह, अवनीश कुमार अवस्थी भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के वनावरण व वृक्षावरण में वृद्धि होने से जैव विविधता का संरक्षण एवं विकास होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, प्राकृतिक संतुलन एवं जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जो पौधे रोपित किए जाएं, उनकी पूरी देखभाल व सुरक्षा हो, ट्री गार्ड की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 100 वर्षों से अधिक आयु के वृक्षों को चिन्ह्ति कर उन्हें ‘हेरिटेज ट्री’ के रूप में संरक्षित किया जाए।
हरीतिमा संवर्धन के माध्यम से प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण -
वायुमण्डल में कार्बन डाईआक्साईड व अन्य हानिकारक गैस के बढ़ने, वृक्षावरण में कमी तथा पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण तापमान में वृद्धि, अनियमित/अनिश्चित वर्षा, भू-जल में कमी, वायु/जल/मृदा प्रदूषण, मृदा क्षरण आदि होते हैं। पर्यावरण में प्रदूषण के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों व श्वसन तंत्र एवं हृदय संबंधी बीमारियों से जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है। प्रदूषण नियंत्रण में वृक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है। वृक्ष वायुमण्डल से हानिकारक गैसों को हटाकर, ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर, ग्रीन हाउस के प्रभाव को कम करने के साथ-साथ वायु की गुणवत्ता में सुधार करता है। घने वृक्षावरण वाले क्षेत्र में धूल, धुंआ तथा परागकण की मात्रा नियंत्रित रहती है। वृक्षविहीन क्षेत्र के सापेक्ष वृक्षों से भरे क्षेत्र में 75 प्रतिशत कम धूल पायी जाती है। वृक्ष की पत्तियां धूल के कणों के अच्छे संग्रहक के रूप में जानी जाती हैं। पौधों के पत्तियों का सतही क्षेत्रफल फैलकर वायुमण्डल की प्रदूषित गैसों को प्राकृतिक रूप से अवशोषित करने का काम करता हैं तथा गैसों के विषैलेपन की क्षमता कई गुना कम कर देता है। वृक्ष की खुली शाखायें भी प्रदूषकों को अवशोषित करती हैं। पौधे व पेड़ आदिकाल से स्वच्छता के प्रतीक व बीमारी के इलाज में सहायक रहे हैं। पर्यावरण शुद्ध करने वाली वृक्ष प्रजातियों में पीपल, बरगद, पाकड़, नीम आदि प्रमुख हैं। आज पूरा विश्व इस बात से अवगत है कि किसी स्थान पर वृक्षावरण बढ़ाकर वहाँ की मृदा व भू-जल स्तर में सुधार, आक्सीजन की प्रचुरता द्वारा वायु की शुद्धता आदि से उस स्थान का माईक्रो क्लाइमेट बदल जाता है।
वायु प्रदूषकों को हटाने वाले वृक्ष प्रजाति - पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर, नीम, आम, जामुन, शहतूत, बेर, इमली, अमरूद, अमलतास ,अशोक, चितवन, सिरस, सहजन, सेमल आदि।
धूल व तापमान नियंत्रण में सहायक वृक्ष प्रजाति - कई वृक्ष प्रजातियां यथा - नीम, अमलतास, शीशम, पीपल, बरगद, पाकड़, आम, महुआ आदि धूल में पाये जाने वाले रासायनिक प्रदूषकों और तापमान को नियंत्रित करते हैं।
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु वृक्ष प्रजाति - 80 डेसिबल से उपर की ध्वनि स्वास्थ्य के लिये घातक है तथा बहरेपन का मुख्य कारक है। कुछ वृक्ष प्रजातियां यथा - नीम, कचनार, अमलतास, सेमल, कैसिया प्रजाति, पारिजात, पीपल, बरगद, पाकड़, जकरण्डा, महुआ, अशोक आदि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने में सफल पाये गये हैं।
कार्बन सिंकः संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु परिवर्तन समझौता में दिये गये सुझाव का पालन कर कई देशों द्वारा जलवायु परितवर्तन के शमन तथा नियंत्रण हेतु कार्यवाही की जा रही है जिसमें वनों/वृक्षावरण की सुरक्षा तथा वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। वायुमण्डल में कार्बन डाइक्साइड तथा अन्य हानिकारक गैसों की मानक से अधिक मात्रा में होने के कारण ग्लोेबल वार्मिंग तथा अन्य जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्या उत्पन्न हो रही है। वृक्ष कार्बन डाइक्साइड को अवशोषित कर पर्यावरण शुद्ध करता है। वनावरण एवं वृक्षावरण कार्बन सिंक का कार्य करते हैं। एक परिपक्व वृक्ष 50 पाउण्ड प्रतिवर्ष कार्बन डाइक्साइड अर्थात 13 पाउण्ड कार्बन अवशोषित करता है। वर्षाकाल 2021 में उत्तर प्रदेश में 30 करोड पौधा रोपण से स्थापित होने वाले वृक्षों द्वारा लगभग 8.83 लाख मीट्रिक टन कार्बन का अवशोषण होगा। विभिन्न वृक्ष प्रजातियों द्वारा कार्बन अवशोषण की मात्रा में भिन्नता है। पर्यावरणीय वृक्ष प्रजाति पीपल, बरगद, पाकड आदि द्वारा काफी मात्रा में कार्बन अवशोषण होता है। अधिकतर प्रजातियों में प्रकाष्ठ का कार्बन कन्टेन्ट 46 प्रतिशत तथा पत्तियों का कार्बन कन्टेन्ट 40 प्रतिशत होता है। खैर, अकेसिया ओरिकुलीफारमिस, बबूल तथा अकेसिया प्रजाति आदि में प्रकाष्ठ का कार्बन कन्टेन्ट 42 प्रतिशत तथा पत्तियों का कार्बन कन्टेन्ट 28.5 प्रतिशत है। ज्यादा कार्बन कन्टेन्ट वाले वृक्ष प्रजाति ज्यादा कार्बन अवशोषित करते हैं। अतः ऐसी प्रजाति जिनमें ज्यादा प्रकाष्ठ व चैड़े/बड़े पत्ते होंगे वह ज्यादा कार्बन अवशोषित करेगा।
आक्सीजन टैंकः मानव जीवन के अस्तित्व हेतु वायुमण्डल में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन का होना अनिवार्य है। समस्त प्राणी जगत के स्वास्थ्य हेतु प्रचुर मात्रा में आक्सीजन की आवश्यकता होती है। गत पिछले वर्ष से कोविड महामारी के फलस्वरूप फेफड़े में संक्रमण से शरीर में विशेषकर हृदय में कम आक्सीजन उपलब्धता केे कारण कई मौते हुईं। वृक्षों से प्राणदायिनी आक्सीजन प्राप्त होता हैै। अतः हम सबका प्रयास होना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा वनावरण व वृक्षावरण रहे। पर्यावरणीय वृक्ष प्रजाति पीपल, बरगद, पाकड, बांस, नीम, बेल आदि द्वारा सबसे ज्यादा आक्सीजन का उत्पादन होता है। कुछ वृक्ष प्रजाति यथा - पीपल व नीम 24 घन्टें दिन व रात आक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। बड़े छत्र तथा चैड़ी पत्ती वाले वृक्ष प्रजाति से ज्यादा आक्सीजन उत्सर्जन होेगा। अतः जनजागरूकता अभियान चलाकर इन पर्यावरणीय वृ़क्ष प्रजातियों तथा बड़े छत्र तथा चैड़ी पत्ती वाले वृक्ष प्रजाति का अधिकाधिक रोपण कराया जाय। एक व्यक्ति को प्रतिदिन 550 लीटर आक्सीजन की आवश्यकता रहती है। एक वृक्ष प्रतिवर्ष औसतन 260 पाउण्ड अथवा 82420 लीटर आक्सीजन का उत्पादन करता है। एक व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन ली गयी आक्सीजन तीन आक्सीजन सिलिंडर के बराबर है। चँूकि एक आक्सीजन सिलिंडर का मूल्य रू0 700 है अतः एक व्यक्ति द्वारा रू0 2100 मूल्य की आक्सीजन प्रतिदिन उपयोग करता है। इस प्रकार एक व्यक्ति एक वर्ष में रू0 7.66 लाख मूल्य तथा 65 वर्श की आयु पूर्ण होने तक लगभग रू0 5 करोड़ की आक्सीजन का उपयोग करता है।
वर्षाकाल 2021 में उत्तर प्रदेश में 30 करोड़ पौधा रोपण से भविष्य में स्थापित होने वाले वृक्ष लगभग 12.50 करोड़ नागरिकों की आक्सीजन आवश्यकता के लिये पर्याप्त है। इस प्रकार वृक्षों द्वारा प्राप्त जीवनदायनी आक्सीजन के लिये हम सदैव ऋणी रहेंगे। वृक्षारोपण जन-आन्दोलन 2021 में यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, सहित सभी प्रजातियों के पौधों का रोपण तथा वृक्ष के रूप में स्थापित होने तक उनका संरक्षण कर ऋण मुक्त हों। साथ ही, आज यह महत्वपूर्ण हो गया है कि कार्बन अवशोषण में वृक्षों की भूमिका का जन मानस में प्रचार-प्रसार किया जाय, जिससे कि हर व्यक्ति वृक्षों के महत्व को समझते हुये उसे बचाने तथा खाली पड़ी हर जमीन पर पौध रोपण कर वृक्षावरण बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दे। आज डवतंस मजीपबे के साथ-साथ आक्सीजन टैंक तथा कार्बन सिंक में वृक्षों के महत्व से सम्बंधित पर्यावरण नैतिकता विषय पर सभी को शिक्षित करना अनिवार्य है। प्रत्येक मानव यह प्रयास करें कि नैतिक मूल्यों में पर्यावरण, जिसमें समस्त वनस्पति व प्राणी जगत शामिल है, की सुरक्षा व उनके संरक्षण की भावना को जागृत करेे। इस सम्बन्ध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदूषण के संकट को दूर करने तथा इसके लिए लोगों की प्रतिदिन की आदतों में सुधार के लिए ‘‘ग्रीन गुड डीड‘‘ अभियान चलाया है जिसके तहत निम्न कार्य सम्मिलित हैंः-
1. पर्यावरण के अनुकूल परिवहन
2. जैवविविधता संरक्षण
3. जल संरक्षण
4. वेटलेंड संरक्षण
5. पर्यावरण के अनुकूल कचरा प्रबंधन
6. उर्जा संरक्षण आदि
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पर्यावरण में प्रचुर मात्रा में आक्सीजन रहे, कार्बन अवशोषण का मानक स्तर बना रहे तथा प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण हो- इस हेतु प्रदेश में गत कई वर्षों से हरीतिमा संवर्धन के लिए 26 सरकारी विभागों, निजी शिक्षण संस्थानों व जन-सामान्य के सहयोग से बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान, देहरादून जो अन्तराष्ट्रीय प्रमाणित संस्था है, की वर्श 2019 की स्टेट आॅफ फारेस्ट रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के वनावरण में वर्ष 2017 की रिपोर्ट की तुलना में लगभग 127 वर्ग किलो मीटर की वृद्धि हुई है। साथ ही, प्रदेश में वन क्षेत्र के बाहर स्थित वृक्षावरण में भी वृद्धि हुई है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान, देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 में वृक्षावरण 2.86 प्रतिशत था जो वर्ष 2019 में 3.05 प्रतिशत हो गया है। आज प्रदेश का वृक्षावरण 3.05 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत 2.89 प्रतिशत से अधिक है।
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