वनों की कटाई धà¥à¤†à¤‚धार जारी
रमेश गोयल
पृथà¥à¤µà¥€ पर मानव जीवन लंबे समय तक तà¤à¥€ चल सकता है, अगर हम वनों का संरकà¥à¤·à¤£ करेंगे। अगर वनों की कटाई यूं ही होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब पृथà¥à¤µà¥€ पर मानव जीवन दà¥à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤° हो जाà¤à¤—ा। पेड़ों की बेलगाम कटाई पृथà¥à¤µà¥€ पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जानवरों और पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को संकट में डाल रही है। अनà¥à¤¸à¥‚चित जनजातियों (वनवासियों) का जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ जà¥à¥œà¤¾à¤µ, जंगल, जमीन, जल से रहा है। उनको ही वन संपदा का रखवाला-रकà¥à¤·à¤• बनाया जाà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की 2.3 लाख पंचायतों को वन रकà¥à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का संवाहक बनाया जाà¤à¥¤ हर पंचायत मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में ‘सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿-वन’ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हो। हर शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, हर सरकारी दफà¥à¤¤à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ हो..वनों की अवैध कटाई ने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को काफी नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चाया है। वषों से हो रही लगातार अवैध कटाई ने जहां मानवीय जीवन को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया है, वहीं असंतà¥à¤²à¤¿à¤¤ मौसम चकà¥à¤° को à¤à¥€ जनà¥à¤® दिया है। वनों की अंधाधà¥à¤‚ध कटाई होने के कारण देश का वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° घटता जा रहा है, जो परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अतà¥à¤¯à¤‚त चिंताजनक है। विकास कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚, आवासीय जरूरतों, उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों तथा खनिज दोहन के लिठà¤à¥€, पेड़ों-वनों की कटाई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से होती आई है। कानून और नियमों के बावजूद वनों की कटाई धà¥à¤†à¤‚धार जारी है। इसके लिठअवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व बेतरतीब विकास, जनसंखà¥à¤¯à¤¾ विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ व à¤à¥‹à¤—वादी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¥€ जवाबदेह है।
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• बीसवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में पहली बार मनà¥à¤·à¥à¤¯ के कारà¥à¤¯à¤•à¤²à¤¾à¤ªà¥‹à¤‚ ने पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बनने और बिगड़ने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ किया और पिछले 50 सालों में उसमें तेजी आई है। जबसे हमने आठऔर नौ फीसदी वाले विकास मॉडल को अपनाया है, तब से पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में मानवीय हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª बॠगया है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड बनते ही यहां की नदियों को खोदने, बांधने और बिगाड़ने की शà¥à¤°à¥‚आत हो गई। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ वन मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जारी वन सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ रिपोरà¥à¤Ÿ-2011 के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° देश में वन और वृकà¥à¤· कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° 78.29 मिलियन हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° है, जो देश के à¤à¥Œà¤—ोलिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का 23.81 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ है। 2009 के आंकलनों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में, वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• बदलावों को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ देश के वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में 367 वरà¥à¤— किमी की कमी हà¥à¤ˆ है। 15 राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने सकल 500 वरà¥à¤— किमी वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की वृदà¥à¤§à¤¿ दरà¥à¤œ की है, जिसमें 100 वरà¥à¤— किमी वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° वृदà¥à¤§à¤¿ के साथ पंजाब शीरà¥à¤· पर है। 12 राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚, केंदà¥à¤° शासित पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ (खासतौर पर पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° राजà¥à¤¯) ने 867 वरà¥à¤— किमी तक की कमी दरà¥à¤œ की है। पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° के वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कमी खास तौर यहां पर खेती के बदलावों के कारण हà¥à¤ˆ है। नीति का लकà¥à¤·à¥à¤¯ यह है कि 33 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वन और पेड़ है।
यहां जन और कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में 39-40 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ वन विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° होना चाहिà¤, किंतॠनà¥à¤¯à¥‚नतम सीमा 33 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ की गई। सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ इस मानक की à¤à¥€ पूरà¥à¤¤à¤¿ नहीं कर पाठहैं। इसका सीधा कारण है कि वन-कटाई के अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में जंगल की कटाई की समसà¥à¤¯à¤¾ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तीसरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के देशों में विमान हैं। विकास की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से जूठरहें इन देशों ने जनसंखà¥à¤¯à¤¾ वृदà¥à¤§à¤¿ पर लगाम नहीं कसी है। जंगलों के कटने से à¤à¤• तरफ वातावरण में कारà¥à¤¬à¤¨ डाई ऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ बॠरही है, वहीं दूसरी ओर मिटà¥à¤Ÿà¥€ का कटाव à¤à¥€ तेजी से हो रहा है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में बात करें तो तीसरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से पहली दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के देशों में शà¥à¤®à¤¾à¤° होने के लालसा में हमारे देश में जंगलों को तेजी से काटा जा रहा है। हिमालय परà¥à¤µà¤¤ पर हो रही तेजी से कटाई के कारण à¤à¥‚-कà¥à¤·à¤°à¤£ तेजी से हो रहा है। à¤à¤• रिसरà¥à¤š के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• हिमालयी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥‚कà¥à¤·à¤°à¤£ की दर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· सात मिमी तक पहà¥à¤‚च गई है। आजादी के समय 45 फीसद à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— पर वन आछादित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° था, परंतॠइसके बाद हर साल पेड़ों की कटाई के कारण इसमें निरंतर कमी आ रही है, जिससे वरà¥à¤·à¤¾ की कमी परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के कारण मानव रोगों में वृदà¥à¤§à¤¿ आई है। तापमान में बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ के फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प 20 से 25 फीसद फसलों का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ कम हो रहा है। धरती की उरà¥à¤µà¤°à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ घटती जा रही है।
देश के लगà¤à¤— हर राजà¥à¤¯ में विकास और अनà¥à¤¯ गतिविधियों के नाम और आड़ में वनों की कटाई धड़लà¥à¤²à¥‡ से जारी है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में बिजली के लिठबड़े-बड़े पावर पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ बन रहे हैं। इन पावर पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के लिठनदियों पर बड़े-बड़े बांध बनाठजा रहे हैं, पहाड़ों को खोदकर सà¥à¤°à¤‚गें बनाई जा रही हैं। वनों को काटा जा रहा है, जिससे पहाडियां पूरी तरह नंगी हो चà¥à¤•à¥€ है। वनों की कटाई के कारण मृदा का कà¥à¤·à¤°à¤£ हो रहा है, जिससे à¤à¥‚सà¥à¤–लन हो रहा है। इस कारण नदियां और पहाड़ अपना बदला ले रहे हैं। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ने पहले ही विनाश के संकेत दे दिठथे।
वनों और वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का विनाश मौजूदा दौर में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की सबसे गंà¤à¥€à¤° और संवेदनशील समसà¥à¤¯à¤¾ बन गया है। पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में निरंतर पड़ रहे अकाल के पीछे à¤à¥€ अहम वजह वनों का विनाश ही है। राजà¥à¤¯ के 33 में से 27 जिले à¤à¥€à¤·à¤£ जल संकट से जूà¤à¤¤à¥‡ रहते हैं। यह चिंतनीय है कि पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में वन घटे हैं। गिरावट à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण, ईंधन à¤à¤µà¤‚ चारे की मांग में निरंतर हो रही वृदà¥à¤§à¤¿ है। घरेलू ईंधन, लकड़ी के कोयले के कारोबार, फरà¥à¤¨à¥€à¤šà¤° à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• संसाधनों के लिà¤, पेड़ों की कटाई होती है। देश की जीवन-रेखा कहीं जाने वाली कई नदियां गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सूख जाती हैं। वहीं बारिश में इनमें बाॠआ जाती है। हिमाचल और कशà¥à¤®à¥€à¤° में हाल ही के सालों में हà¥à¤ˆ तबाही का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण यहां के जगंलों की हो रही अंधाधà¥à¤¨ कटाई ही है। वनों की बेरहमी से हो रही कटाई के कारण à¤à¤• तरफ गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग बॠरही है, वहीं दूसरी और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का संतà¥à¤²à¤¨ बिगड़ रहा है। कई जीव हमारी धरती से लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं।
संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में वरà¥à¤· 1990 से 2005 के हर मिनट नौ हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° जंगलों का सफाया किया गया है। दूसरे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में हर साल औसतन 49 लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में फैले वनों की कटाई की गई। पूरी धरती पर अब 30 फीसदी वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° ही बचा है, जो अपने आप में à¤à¤• खतरे की घंटी है। वनों की तबाही और इसके चलते वनà¥à¤¯ जीवों के विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होने के यह आंकड़े बहà¥à¤¤ à¤à¥€ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• हैं। धरती पर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के असंतà¥à¤²à¤¨ के चलते वायॠपà¥à¤°à¤¦à¥‚षण à¤à¥€ अपने चरम पर है। कृषि संगठन (à¤à¤«à¤à¤“) के आंकड़ों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वनों की यह कटाई इंसानों के आमतौर पर किठजाने वाले विकास कायरों के नाम पर की है। इसके चलते 15 सालों (1990 से 2005) में पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में सात करोड़ 29 लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° में फैली वन संपदा पूरी तरह से खतà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥€ है। यानी पिछले 15 सालों में शहर बसाने और विकास के नाम पर हर मिनट 9.3 हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° वन उजाड़ दिठगà¤à¥¤
विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤° पर जो आंकड़े पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में आठहैं, उनसे पता चलता है कि वरà¥à¤· 1990 से 2000 के बीच वनों की कटाई का अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· 41 लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· था, जो वरà¥à¤· 2000 से 2005 के बीच बà¥à¤•à¤° 64 लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° हो गया। वनों की कटाई से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ में शà¥à¤¦à¥à¤§ हवा का अà¤à¤¾à¤µ है। इतना ही नहीं ओजोन परत का बà¥à¤¨à¥‡ में à¤à¥€ वनों की अंधाधà¥à¤‚ध कटाई जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है। इससे वन से मिलने वाली वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का à¤à¥€ खातà¥à¤®à¤¾ होता जा रहा है। इतना ही नहीं, लाखों की तादाद में वनà¥à¤¯ जीव लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रहे हैं। या फिर à¤à¤•à¤¦à¤® ही खतà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤•à¥€ संतà¥à¤²à¤¨ के लिठकंजरवेशन à¤à¤•à¥à¤Ÿ 1980 लागू हà¥à¤†à¥¤ 1988 में न संरकà¥à¤·à¤£ कानून पास हà¥à¤†à¥¤ 1985 में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ बंजर à¤à¥‚मि विकास बोरà¥à¤¡ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई। 1986 की राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ वन नीति में 60 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ à¤à¥‚à¤à¤¾à¤— तथा कृषि à¤à¥‚मि को छोड़कर 20 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ मैदानी à¤à¤¾à¤— को वनाचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करने का लकà¥à¤·à¥à¤¯ रखा गया। वन-विनाशक वà¥à¤¡-टà¥à¤°à¥‡à¤¡à¤°à¥à¤¸ के लिठकठोर दंड का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ किया गया। चंदन तसà¥à¤•à¤° वीरपà¥à¤ªà¤¨ को मà¥à¤ à¤à¥‡à¥œ में मार गिराया गया। वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° वृदà¥à¤§à¤¿ के लिठकेंदà¥à¤° राजà¥à¤¯ सरकारों को ऋण मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराती है। विशà¥à¤µ खादà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ कृषि संगठन, संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° संघ विकास योजना, यूरोपीय आरà¥à¤¥à¤¿à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ तथा अनà¥à¤¯ विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विकास के लिठआरà¥à¤¥à¤¿à¤• मदद देती रही हैं।
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ असंतà¥à¤²à¤¨ को रोकने के à¤à¤¾à¤—ीरथी पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ होते रहे हैं, किंतॠसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ जस-की-तस है। अब à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कानून बनाने à¤à¤µà¤‚ उनके कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¯à¤¨ की जरूरत है, जो वन कटाई से वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के असंतà¥à¤²à¤¨ को रोकने में समरà¥à¤¥ हों। दूसरी ओर, जन जागरà¥à¤•à¤¤à¤¾ का सà¥à¤¤à¤° इतना उचà¥à¤š हो कि वह वनारोपण को जीवन का धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ बना लें। परिवार नियोजन की तरह ही वन नियोजन लागू किया जाà¤à¥¤ इसके तहत कटाई पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध कड़ा किया जाठऔर नई संतति, नया वृकà¥à¤· व जितने परिवारीजन, रोपें उतने वन के नारों पर पूरà¥à¤£ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¯à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ किठजाà¤à¤‚गे। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के विशà¥à¤¨à¥‹à¤ˆ समाज में पशà¥-पकà¥à¤·à¥€ à¤à¤µà¤‚ वनों से जो लगाव है, उस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚तरण जन-जन में होना चाहिà¤à¥¤
जनता को परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ बचाने के लिठपूरà¥à¤µ में संचालित आंदोलनों à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾, लेनी चाहिà¤à¥¤ 1973 में चंडी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ (उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड) के चिपको आंदोलन में वनों को वन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बचाने के लिठवृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से लिपटकर वृकà¥à¤· रकà¥à¤·à¤£ का दौर चला।
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