डूब कर उबरें कैसे
à¤à¤•à¥‡ सिंह
साठसाल के माधो à¤à¤¾à¤ˆ के लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ पहचान न पाने की हद तक बदल चà¥à¤•à¥€ है। इनका जनà¥à¤® मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के धार जिले के à¤à¤• छोटे से गांव चिकालà¥à¤¦à¤¾ में हà¥à¤† था जो की नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यहीं इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपना संपूरà¥à¤£ जीवन बिता दिया परनà¥à¤¤à¥ आज सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि वे माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की बà¥à¤°à¥€ दशा से वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। वे बताते हैं कि à¤à¤• समय था जब इस नदी के दोनों तटों पर खरबूजे की बेहद अचà¥à¤›à¥€ पैदावार लहलहाती रहती थी और वे अपने पिता के साथ उन फलों को बेचने मंडी जाया करते थे। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ने हमें बहà¥à¤¤ दिया था, उनकी आवाज में मायूसी साफ à¤à¤²à¤•à¤¤à¥€ है। अब वो दिन लद चà¥à¤•à¥‡ हैं और आज के किसान इतना à¤à¥€ नहीं उगा पाते कि अपना गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¾ चला सकें। चिकालà¥à¤¦à¤¾ ही नहीं यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ तो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के विशाल तट पर बसे सà¤à¥€ गावों की है, वो कहते हैं। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में बहने वाली à¤à¤¾à¤°à¤¤ की विशालतम नदी है जो कि इसपर बने सरदार सरोवर बाà¤à¤§ के विरोध के चलते राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ व अंतराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤°à¥à¤–ियों में à¤à¥€ रही है।
दो बार हà¥à¤ विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤
पर चिकालà¥à¤¦à¤¾ की मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‡à¤‚ सरदार सरोवर बाà¤à¤§ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ से बहà¥à¤¤ पहले ही आरमà¥à¤ हो चà¥à¤•à¥€ थीं जब नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ पर बरगी बाà¤à¤§ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था। बरगी बांध जबलपà¥à¤° जिले व समीपी जिलों के लिठवरदान साबित हà¥à¤† है तो कई मायनों में इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की नींव विनाश पर à¤à¥€ टिकी हà¥à¤ˆ है। इसे नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ पर बनाठगठ30 बांधों में से सबसे पहला बांध होने का गौरव पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। वहीं इसके लिठपà¥à¤°à¤šà¥à¤° उपजाऊ जमीन वाले और समृदà¥à¤§ 162 गांवों को उजाड़ दिया गया था। 7 हजार परिवारों के à¤à¤• लाख से अधिक लोग इसके कारण अपनी जमीन, घर-बार छोडने पर विवश हो गठथे। इनमें से अधिकांश परिवारों के लोग आज अपनी आजीविका के लिठशहर में मजदूरी करते व रिकà¥à¤¶à¤¾ चलाते सहजता से देखेे जा सकते हैं। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में बनाठगठइस बांध के लिठकेंदà¥à¤°à¥€à¤¯ जल à¤à¤µà¤‚ शकà¥à¤¤à¤¿ आयोग ने पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• निरीकà¥à¤·à¤£ 1947 ईसà¥à¤µà¥€ में कराया था। 1968 में इस बांध के पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ को मंजूरी मिली, लेकिन 1974 में इसका काम आरंठहो सका। 1990 में इसका कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ हà¥à¤†, जब इसे पूरी जलसंगà¥à¤°à¤¹à¤£ ऊंचाई 422.76 मीटर तक à¤à¤°à¤¾ गया। बांध के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‡ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• 26797 हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° जमीन ली गईं। इसमें से 14750 हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° निजी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤µ की जमीन थी। लेकिन हकीकत में इससे बहà¥à¤¤ अधिक पà¥à¤°à¤šà¥à¤° उपजाऊ जमीन इस पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ की à¤à¥‡à¤‚ट चॠकर जलमगà¥à¤° हो गई। बांबे हाईकोरà¥à¤Ÿ के रिटायरà¥à¤¡ जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¸ à¤à¤¸à¤à¤® दाउद की 1987 की रिपोरà¥à¤Ÿ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• इस बांध के लिठ80,860 हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° जमीन ली गई थी। बांध के विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ में से अधिकांश को पहली बार जहां बसाया गया, बांध के अंतिम चरण के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में इंजीनियरों की गलती से वे कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° फिर डूब में आ गà¤à¥¤ इसके चलते उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दोबारा अपनी बसी बसाई गृहसà¥à¤¥à¥€ व जीविकोपारà¥à¤œà¤¨ के साधन का परितà¥à¤¯à¤¾à¤— करना पड़ गया। बांध के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में 566.31 करोड़ रà¥à¤ªà¤ खरà¥à¤š हà¥à¤ थे। इसकी मà¥à¤–à¥à¤¯ नहरों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में 1660.80 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की लागत आई। डैम के लिठजबलपà¥à¤°, मंडला व सिवनी जिलों के 162 गांवों को उजाड़ा गया था। इनमें से 11 गांव सरकारी जमीन पर थे। उजाड़े गठशेष 19 गांव जबलपà¥à¤° जिले, 45 सिवनी जिले के व सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• 87 गांव मंडला जिले में थे। विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• 43 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ आदिवासी थे। बहà¥à¤¤ अड़चनों के बाद बने इस बांध की बहà¥à¤¤ बड़ी कीमत नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाटी के किसानों ने चà¥à¤•à¤¾à¤ˆà¥¤ पहले तो बरगी बांध के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के कारण यहाठबार बार बाॠआती थीं और हमारे खरबूजे के खेत साल दर साल डूब जाते थे, और उसपर सरकार हमें मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ à¤à¥€ नहीं देती थी। हम तो न घर के थे न घाट के, माधो à¤à¤¾à¤ˆ बताते हैं। २००८-०९ तक चिकालà¥à¤¦à¤¾ के अधिकतर फल उगाने वाले किसानों ने यह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ छोड़ मà¤à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पकड़ना आरमà¥à¤ कर दिया था। पर पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ व विपरीत जलीय पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤•à¥€ के चलते यहाठमà¤à¤²à¥€ का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ à¤à¥€ लगà¤à¤— समापà¥à¤¤ हो गया और इन नठनठमछà¥à¤†à¤°à¥‹à¤‚ का वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ फिर à¤à¤•à¤¬à¤¾à¤° छूट गया। अब उनके सामने फिर जीविका की समसà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गई। ‘‘जब नदी की धरा अविरल थी यहाठखूब मछलियाठहोती थी, पानी में उछलती, खेलती, पर अब जबकि नदी का पानी सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो गया है, सड़ने लगा है तो à¤à¤¸à¥‡ में मछलियाठकैसे जीवित रहेंगी। हमारा तो मछली पकड़ने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ विफल होना ही था। अब हम कैसे जीविका चलाà¤à¤‚।‘‘ à¤à¤¸à¤¾ कहते हà¥à¤ वहां की निवासी सबा की आà¤à¤–ों में आंसू तैर जाते हैं। पैंसठवरà¥à¤· की इन महिला ने पंदà¥à¤°à¤¹ साल पहले किसानी छोड़ मछली पकड़ना आरमà¥à¤ किया पर वो à¤à¥€ आज जीविका के लिठपीड़ित हैं।
मान सरोवर बाà¤à¤§à¤ƒ उपलबà¥à¤§à¤¿ à¤à¥€, बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ à¤à¥€
बरवानी से १५० किलोमीटर अपसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤® में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सरदार सरोवर बाà¤à¤§ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तट पर बने विशालतम बांधों में से à¤à¤• है जो कि विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¥ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हिमांचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के à¤à¤¾à¤–रा नंगल और उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के लखवार जलविदà¥à¤¯à¥à¤¤ पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी के बाद तीसरे नंबर पर आता है। सरदार सरोवर परियोजना में रिवर बेड पावर हाउस और कैनाल हेड पावर हाउस नामक दो पावर हाउस शामिल हैं। इस परियोजना के तहत मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° और गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ को बिजली साà¤à¤¾ की जाती है। हाल ही में मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के बीच नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी पर बने सरदार सरोवर बांध में पानी छोड़ने को लेकर विवाद सामने आया है। मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ ने गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के साथ अपने अधिशेष पानी को साà¤à¤¾ करने से इनकार कर दिया है। मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सरकार ने अधूरे नियमों और विनियमों का हवाला देते हà¥à¤ कहा है कि यदि जलाशय का सà¥à¤¤à¤° बà¥à¤¤à¤¾ है, तो पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ लोग और à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होंगे। २०१ॠमें इसके पूरे निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के बाद मान सरोवर बाà¤à¤§ को केंदà¥à¤° सरकार ने २८ अगसà¥à¤¤ २०१९ में पूरी तरह à¤à¤°à¤¨à¥‡ का निरà¥à¤£à¤¯ लिया और जब इसके पानी का सà¥à¤¤à¤° १३४ मीटर पहà¥à¤à¤š गया तब इसे पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मंतà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी ने à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ करार दिया। परनà¥à¤¤à¥ दूसरी ओर लगà¤à¤— ६००० - यह आंकड़े मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सचिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ केंदà¥à¤° को बताये गठजब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मई २०१९ में इसे à¤à¤°à¤¨à¥‡ समà¥à¤¬à¤‚धित नोटिस मिला - विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ परिवार उसी डूबे की चपेट में आये इलाके में रहते रहे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ या उचित मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो पाया था। वे जानते हैं कि जैसे ही पानी का सà¥à¤¤à¤° १३८ मीटर के ऊपर होगा, उनके पैरों के नीचे की जमीन à¤à¥€ जलमगà¥à¤¨ हो जाà¤à¤—ी पर वे कहते हैं कि आज की सà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ में वे जाठà¤à¥€ तो कहाà¤à¥¤ पचास साल के रमेश जदम अपने नौ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के परिवार के साथ छोटा बरदा में à¤à¤• कचà¥à¤šà¥‡ मकान में बैठे है। उनके घर के समीप ही सरकारी कैंप लगा है जिसमें विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ की समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤µà¤‚ जानकारियाठली जा रहीं हैं। हर घर की तरह, उनके घर के दरवाजे पर à¤à¥€ लाल रंग से à¤à¤• अंक चिनà¥à¤¹à¤¿à¤¤ है जो कि यह दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है कि बाà¤à¤§ के पूरी तरह à¤à¤°à¤¨à¥‡ के बाद वह डूब की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से कितना दूर है। उनके यहाठवाला अंक है १३९ जो कि इस बांध की पूरी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है और इसके डूबना तय है पर उनको परवाह नहीं। वे कहते हैः ‘‘२००८ में जब यहाठबीजेपी सरकार थी तो हमें ५४०० सà¥à¤•à¥à¤µà¤¾à¤¯à¤° फीट जमीन पास के गांव में दी गयी थी। यहाठही हम डूबे के विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ को बसाना था। पर हमें मà¥à¤†à¤µà¤œà¥‡ में केवल à¤à¤• लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ ही मिले जो कि इतने à¤à¥€ नहीं कि हम मकान की नींव डाल सके इसलिठहम यहीं रà¥à¤•à¥‡ रहे। २०१ॠमें पांच लाख असà¥à¤¸à¥€ हजार के अतिरिकà¥à¤¤ मà¥à¤†à¤µà¤œà¥‡ का à¤à¤²à¤¾à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ आज सरकार कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की बन चà¥à¤•à¥€ है पर हमें मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ अà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं मिला, à¤à¤¸à¥‡ में हम कैसे दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चले जाà¤à¤‚, हम रहेंगे कहाà¤à¥¤‘‘ वहीं जब नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ बचाओ आंदोलन ने à¤à¤• वीडियो टà¥à¤µà¥€à¤Ÿ किया जिसमे मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के धार जिले के à¤à¤• किसान के आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया था तो राजà¥à¤¯ सरकार ने ततà¥à¤•à¤¾à¤² मीटिंग बà¥à¤²à¤¾à¤ˆ व सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का जायजा लिया। सरकारी सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने यही दोहराया कि सब नियंतà¥à¤°à¤£ में है और विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ धन व सहायता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जा रही है। १९à¥à¥¯ में बने कानून के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यहाठसà¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ परिवारों को जमीन, मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ व खेती पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना राजà¥à¤¯ सरकार की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है और उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के २००० में आये आदेश के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¥€ सरकार को पहले लोगों का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ करना होगा और बाद में निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¥¤ उदà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤£ के रूप में यदि सरकार १०० मीटर तक बांध बनाती या à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ है तो पहले उस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बसे लोगों का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करे और बाद में निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¥¤ सरदार सरोवर पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ में हालांकि जमीन तो अधिकतर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ परिवारों को मिल गयी पर मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ नहीं। इसीलिये बहà¥à¤¤ से लोगों ने यहीं बसे रहने का फैसला किया। २०१ॠमें इनको अतिरिकà¥à¤¤ ५.८ लाख मà¥à¤†à¤µà¤œà¥‡ की घोषणा हà¥à¤¯à¥€ पर पैसा कà¥à¤› को मिला कà¥à¤› को नहीं। जिनà¥à¤¹à¥‡ नहीं मिला वे रहते रहे और आज à¤à¥€ रह रहे हैं। जादव à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€ में से है, उसने हमें बताया। डिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿ कलेकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤Ÿ के सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जितने परिवार खतरे में थे, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जबरन सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर छोड़ा गया और उनके खाने पीने का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध किया गया। पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ तो राजà¥à¤¯ सरकार का विषय व निरà¥à¤£à¤¯ है, कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ अधिकारी केवल उसका अनà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ कर सकते हैं, अपनी मरà¥à¤œà¥€ से किसी को कहीं बसा नहीं सकते। मछà¥à¤†à¤°à¥‡ गाजॠनानूराम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° खाने से कà¥à¤› नहीं होता, ‘‘ये à¤à¥€ कोई जिंदगी है।‘‘ ४२ वरà¥à¤·à¥€à¤¯ सà¥à¤°à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, निसारपà¥à¤° गांव के à¤à¤• दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤° जिसकी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ डूब चà¥à¤•à¥€ है, बताते हैं कि यहाठसबसे अधिक मान सरोवर बांध से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ परिवार हैं। ‘‘सरकार ने सà¤à¥€ बालिग लोगों को ५.८ लाख के मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ देना घोषित किया था। इसका मतलब है कि यदि परिवार में à¤à¤• बाप है और उसके तीन बालिग बचà¥à¤šà¥‡ हैं तो उन सà¤à¥€ को अलग अलग मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ मिलना चाहिठयानी कि रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ २३.२ लाख। पर हमसे बोल गया गया है कि हम तो मà¥à¤†à¤µà¤œà¥‡ के हकदार ही नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारा घर डूब की जद से थोड़ा ऊपर है। देखिये यहाठपीले रंग से मारà¥à¤• लगाया गया है। ‘‘अब उनकी पà¥à¤¶à¥à¤¤à¥ˆà¤¨à¥€ जमीन और दो मंजिला मकान à¤à¤• टापू की तरह खड़े हैं और चारों तरफ पानी ही पानी है। ‘‘यकीन रखिये जब पानी का सà¥à¤¤à¤° बà¥à¥‡à¤—ा तो यही लोग हमें नावों पर बचाने आà¤à¤‚गे,‘‘ वे कहते हैं। वहीठछोटा बरगा गांव में विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ शिविर में आये विकà¥à¤°à¤® सिंह के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ये सब दिखावा हैं, ‘‘इन लोगों के पास हमारे नाम पहले से हैं, अब केवल समय बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ कर रहे हैं।‘‘ वहीं नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर कहती हैं कि जब कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ विरोध में थी तो हमारे साथ बैठकर आंदोलन किया करती थी पर आज जब सतà¥à¤¤à¤¾ में आ गयी है तो ढीली पड़ गयी है।
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• वास की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ में कमी
à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि छोटे बांध बड़े बांधों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में कम परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का कारण बनते हैं। लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ में छोटी जल विदà¥à¤¯à¥à¤¤ परियोजनाओं पर पहला अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ साबित करता है कि छोटे बांध à¤à¥€ बड़े बांधों की तरह गंà¤à¥€à¤° पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤•à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करते हैं, जिसमें मछली समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में परिवरà¥à¤¤à¤¨ और नदी के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ का बदलना शामिल है। यह देखने के लिये कि वासà¥à¤¤à¤µ में à¤à¤¸à¥‡ छोटे बांध कितने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ अनà¥à¤•à¥‚ल हैं, बंगलूरू फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल रिसरà¥à¤š, à¤à¤¡à¤µà¥‹à¤•à¥‡à¤¸à¥€ à¤à¤‚ड लरà¥à¤¨à¤¿à¤‚ग तथा अनà¥à¤¯ संगठनों के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने तीन सहायक नदियों की लगà¤à¤— 50 किलोमीटर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया। इसमें पशà¥à¤šà¤¿à¤® में नेतà¥à¤°à¤µà¤¤à¥€ नदी के दो बांध तथा करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• के घाट शामिल हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तीन जोनों का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया, बांध (अपसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤®) के ऊपर, बांध की दीवार और पावरहाउस के बीच का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° जहाठकà¤à¥€-कà¤à¥€ पानी बिलà¥à¤•à¥à¤² नहीं होता है तथा पावरहाउस से नीचे जो कि पूरी तरह से जल रहित होता है। यहां, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पानी की गहराई और चैड़ाई में अंतर का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया, जो दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है कि नदी के बाशिंदों के लिये कितना आवास उपलबà¥à¤§ है और विघटित ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ सामगà¥à¤°à¥€ और पानी के तापमान सहित अनà¥à¤¯ कारकों के माधà¥à¤¯à¤® से आवासीय गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ कैसी है। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गठअधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के परिणामों से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† कि अवरà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾à¤— के जल पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ में हà¥à¤ परिवरà¥à¤¤à¤¨ ने धारा की गहराई और चैड़ाई को कम कर दिया है साथ ही इन हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में पानी à¤à¥€ गरà¥à¤® था और घà¥à¤²à¤¿à¤¤ ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ का सà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ कम था। ये परिवरà¥à¤¤à¤¨ जल निषà¥à¤•à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सबसे सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ थे जबकि सूखे à¤à¤¾à¤—ों में और à¤à¥€ खराब हो गठथे। बंगलूरू फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल रिसरà¥à¤š, à¤à¤¡à¤µà¥‹à¤•à¥‡à¤¸à¥€ à¤à¤‚ड लरà¥à¤¨à¤¿à¤‚ग तथा अनà¥à¤¯ संगठनों के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने तीन सहायक नदियों की लगà¤à¤— 50 किलोमीटर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• वास की मातà¥à¤°à¤¾ और गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ में कमी का असर मछलियों की विविधता में à¤à¥€ दिखाई दिया। टीम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के दौरान अनियमित हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में मछली पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤• उचà¥à¤š विविधता दरà¥à¤œ की गई है, जिसमें सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ (जो केवल पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ घाटों में देखी गई हैं) शामिल हैं। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, अपसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤® और डाउनसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤® का फैलाव वियोजित हो जाने से नदी के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ में बाधा आती है। घाटों में नदियों पर काफी संखà¥à¤¯à¤¾ में बनने वाली à¤à¤¸à¥€ छोटी जलविदà¥à¤¯à¥à¤¤ परियोजनाओं को गंà¤à¥€à¤° चिंता का विषय माना गया है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनके लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ आकलन की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं होती है। सवाल छोटे बनाम बड़े बांधों का नहीं है, यदि उचित विनियम हैं तो छोटे बांध बà¥à¤°à¥‡ नहीं होते हैं। विनियमों में नदी के बेसिन में बांधों की संखà¥à¤¯à¤¾ सीमित करना या उस नदी के बहाव पर बांधों के बीच नà¥à¤¯à¥‚नतम दूरी को बनाठरखना शामिल हो सकता है। डूब की जद में आठगांवों की जमीन अतà¥à¤¯à¤‚त उपजाऊ व उरà¥à¤µà¤°à¤¾ थी। बिना रासायनिक खाद का उपयोग किठयहां के लोग हर फसल उगाते थे। आम और महà¥à¤† के फलदार वृदà¥à¤§ à¤à¥€ लाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में डूब में आ गà¤à¥¤
निरंतर गिरते आजीविका के सोतà¥à¤°
नदी में जल रà¥à¤•à¤¾à¤µ, और बेलगाम चल रहे बालू खनन के कारण नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाटी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के जिलों जैसे धार व बरवानी में रह रहे लोगों की आजीविका पर विपरीत पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मछली उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ बेहद घट गया है। यहाठके मछà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को तो शहर में मजदूरी कर पैसा कमाना पड़ता है। बरवानी से कà¥à¤› दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पिचोड़ी गांव के ६३ साल के सालिगà¥à¤°à¤¾à¤® अपने आसपास की खà¥à¤¦à¥€ हà¥à¤ˆ जमीन को दिखा कर कहते हैं कि कà¥à¤› वरà¥à¤· पहले तक इसी जमीन पर केला, पपीता, गेंहू जैसी कई फसलें लहलहाती थीं, पर अब वही धरा अवैध खनन का शिकार हो बदहाल और बेबस है। वे कहते हैं, यहाठहमारा घर था, खेत खलिहान थे, पर जब इन लोगों ने नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ को उजाड़ा, सब उजड़ गया। इनका परिवार अब à¤à¥€ यहीं रहता है जबकि यह सरदार सरोवर बांध के बनने के बाद से बाॠगà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° हो गया था। आज इनकी गà¥à¤œà¤° बसर छोटी मोटी खेती व मछली पकड़ने से होती है। अवैध रेत खनन के मामले में महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के बाद मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ देश में दूसरे नमà¥à¤¬à¤° पर है। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ बचाओ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ से जà¥à¥œà¥‡ राहà¥à¤² यादव बताते हैं कि परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से जà¥à¥œà¥‡ नियम-कायदों को ताक पर रखते हà¥à¤ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में रेत खनन जारी है। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाटी में बाकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ जैसे खनिजों की मौजूदगी à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से जà¥à¥œà¥‡ कई संकटों की वजह बनी है। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के उदà¥à¤—म वाले कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में 1975 में बाकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ का खनन शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था, जिसके कारण वनों की अंधाधà¥à¤‚ध कटाई हà¥à¤ˆà¥¤ हालांकि, बाद में वहाठबॉकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ के खनन पर काफी हद तक अंकà¥à¤¶ लगा। लेकिन तब तक परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को काफी कà¥à¤·à¤¤à¤¿ पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•à¥€ थी। अब à¤à¤¸à¤¾ ही खतरा डिंडोरी जिले में सामने आया है। डिंडोरी जिले में बाकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ के बड़े à¤à¤‚डार का पता चला है। इसकी à¤à¤¨à¤• लगते ही à¤à¥Œà¤®à¤¿à¤•à¥€ à¤à¤µà¤‚ खनकरà¥à¤® विà¤à¤¾à¤— ने जिले की दो तहसीलों में बाकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ की खोज का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ कर दिया है। गौरतलब है कि अपर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ बेसिन के डिंडोरी और मंडला जिलों में वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ और जानवरों के जीवाशà¥à¤® बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ में पाये जाते हैं। जबलपà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कृषि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° à¤à¤¨à¤¡à¥€ शरà¥à¤®à¤¾ का कहना है कि ये दोनों जिले अंतररà
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