मौसमी पà¥à¤·à¥à¤ª à¤à¤µà¤‚ शोà¤à¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ पौधे
हरे-à¤à¤°à¥‡ पौधों को देखने से मन को शांति मिलती है तथा मानसिक तनाव à¤à¥€ दूर होता है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से दूर रह कर हरियाली के बीच में रहना सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤§à¤• होता है। हरियाली के साथ यदि कà¥à¤› रंग-बिरंगे फूलों का à¤à¥€ संगम हो जाठतो चितà¥à¤¤ और à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो उठता है।
पारचूलाकाः यह à¤à¤• फैलने वाला पौधा है जो अधिक से अधिक 5-6 इंच ऊपर तक बà¥à¤¤à¤¾ है। ये फूल दोहरी या à¤à¤•à¤¹à¤°à¥€ पंखà¥à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले होते हैं जो लाल, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, नारंगी, पीले, सिंदूरी, हलà¥à¤•à¥‡ गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ तथा बैंगनी रंगों में खिलते हैं। पौधे की टहनियां जब फैलती हैं तो à¤à¥‚मि या गमले की मिटà¥à¤Ÿà¥€ के संपरà¥à¤• में आने पर इसकी गांठों से जड़ें सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ फूल जाती हैं जिससे गमले तथा पूरी à¤à¥‚मि पौधे की टहनियों और फूलों से à¤à¤° जाते हैं। पारचूलाका का फूल सूरà¥à¤¯ निकलने पर धूप में खिलता है और फिर शाम के समय या बादल हो जाने पर बंद हो जाता है। इसी कारण इसको ‘सनपà¥à¤²à¤¾à¤‚ट’ à¤à¥€ कहते हैं।
सदाबहारः अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में इसका नाम पेरिविंकल है। इसे सदा-सà¥à¤¹à¤¾à¤—िन à¤à¥€ कहा जाता है। इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण यह है कि यदि à¤à¤• बार इसका पौधा लगा दिया जाठतो इसमें हर मौसम में वरà¥à¤·à¤à¤° थोड़े-बहà¥à¤¤ फूल हमेशा खिलते रहते हैं। सदाबहार के पौधे मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® और वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠमें ही फूलों से अधिक लदे रहते हैं।
गेलारà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤ƒ इसके फूल गरà¥à¤®à¥€ à¤à¤° तथा लंबे समय तक फूलते हैं और पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ करते रहते हैं। यदि इसके पौधों के सूखे फूलों को नियमित रूप से अलग करते रहें तो गरà¥à¤®à¥€ के मौसम में लगाठगठगेलारà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ के पौधे ही वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠमें à¤à¥€ अपने फूलों की सà¥à¤‚दरता से आनंदित करते रहते हैं। गेलारà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ की बहà¥à¤µà¤°à¥à¤·à¥€à¤¯ किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¥€ होती हैं जिनमें गà¥à¤°à¥‡à¤‚डीफà¥à¤²à¥‹à¤°à¤¾ किसà¥à¤® मà¥à¤–à¥à¤¯ है।
अगाला ओनिमाः बड़ी हरी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ऊपर सफेद शेड बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर लगते हैं। यह देफेनबेकिया जैसा पौधा इनडोर à¤à¥€ रखा जा सकता है। पूरे वरà¥à¤· सदाबहार रहता है। अधिक देखà¤à¤¾à¤² नहीं करनी पड़ती है।
अमà¥à¤¬à¥à¤°à¥‡à¤²à¤¾ पामः छाते जैसे पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, लमà¥à¤¬à¥€ पतली बांस जैसे टहनियों पर गहरे हरे रंग के छाते जैसे सरंचना, वरà¥à¤· à¤à¤° आपकी बगिया को हरी à¤à¤°à¥€ रखती हैं।बरसात में तो सà¤à¥€ पौधे अपनी खूबसूरती दिखाते हैं, तो ये à¤à¥€ पीछे नहीं रहते। ये à¤à¤• जड़ या बीच की गांठसे à¤à¥€ रोपे जा सकते हैं। आसानी से लगने वाला पौधा। अधिक पानी और कम सूरज की रौशनी चाहिà¤à¥¤
पामः फिनिकà¥à¤¸ रोबेलिनी या मिंजीमत पाम हर बगीचे के लिठआवशà¥à¤¯à¤• पौधा है। ये लगà¤à¤— डेॠमीटर की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ तक बà¥à¤¤à¤¾ है। बड़ा पौधा बाजार में काफी महंगा बिकता है। इसे छोटा ही खरीदें। इसकी बहà¥à¤¤ देखà¤à¤¾à¤² नहीं करनी पड़ती है। केवल गमले में पानी न रà¥à¤•à¥‡à¥¤ कà¤à¥€ कà¤à¥€ खाद à¤à¥€ देना चाहिà¤à¥¤ यह वरà¥à¤· में कà¤à¥€ à¤à¥€ लगाया जा सकता है। इसकी बहà¥à¤¤ सी किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ हैं जैसेः ंिद पाम, सागो पाम, सीलिंग à¤…à¤‚Û à¤ªà¤¾à¤®, मैजेसà¥à¤Ÿà¥€ पाम, फिजà¥à¤œà¥€ पाम।
देफेनबेकियाः यह केले के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ जैसे पीलापन लिठहà¥à¤ हरे पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ वाला पौधा होता है। जिस पर सफेद धबà¥à¤¬à¥‡ होते हैं। इसे नमी तो चाहिय पर गमले में पानी नहीं रà¥à¤•à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ ये कमरे में रखा जा सकता है। इसे बहà¥à¤¤ ही कम देखà¤à¤¾à¤² चाहिà¤à¥¤ इसे गांठों से काट कर और पौधे तयार किये जा सकते हैं। काटते समय दसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ जरूर पहनने चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की इसका रस अगर जबान पर लग जाये तो थोड़े समय के गूंगापन पैदा कर सकता है। इसीलिठइसे डमà¥à¤¬ केन कहते हैं।
कैलैडियमः गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जब बगिया में रंगों की कमी होती है, इसकी कमल जैसी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जिन पर सफेद, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, लाल धबà¥à¤¬à¥‡ रंगीन नसों के साथ बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर लगती हैं। बाजार में इसके बलà¥à¤¬ मिलते हैं। इसको केवल सही तरह से पानी देना जरूरी होता है। अधिक पानी बलà¥à¤¬à¥‹à¤‚ को सडा सकता है। इसे फरवरी में लगाना चाहिà¤à¥¤ मारà¥à¤š से अकà¥à¤Ÿà¥‚बर तक नयी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आती रहती हैं। नवमà¥à¤¬à¤° के बाद पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सूखने लगती है पर बलà¥à¤¬ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहता है। अतः पानी देते रहना चाहिà¤à¥¤ इसे रखने की सबसे ठीक जगह वरांडा होती है जहाठसीधी धूप नहीं आती है।
सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤ƒ बरसात में इसका बलà¥à¤¬ लगाया जाता है। इसके सफेद चकà¥à¤° जैसे फूल होते हैं इसलिठइसे सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कहते हैं। à¤à¤• समय में पांच छः तेज खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ वाले फूल आते है। ये पूरे साल हरा रहता है। इसके फूल बहà¥à¤¤ कम समय के लिठरà¥à¤•à¤¤à¥‡ हैं। इसे à¤à¥€ वरांडे में रखना अचà¥à¤›à¤¾ रहता है।
कोचियाः यह गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पौधा है। हरा, महीन और घने गà¥à¤šà¥à¤›à¥‡ जैसा पौधा गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में आà¤à¤–ों को बहà¥à¤¤ ठंडा लगता है। कोई खास देखà¤à¤¾à¤² नहीं करना पड़ता। केवल समà¥à¤šà¤¿à¤¤ नमी बनाये रखने से पौधा हरा à¤à¤°à¤¾ रहता है।
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¥€à¤ƒ यह किसी à¤à¥€ मौसम में लगाया जा सकता है। नियमित रूप से पानी और गमले तो नम रखना जरूरी है। इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ औषधीय गà¥à¤£ वाली होती हैं। घने और काले बालों के लिठइसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता है। इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को चटनी और सबà¥à¤œà¥€ बनाने में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर सकते हैं जिससे सर दरà¥à¤¦ दूर होता है और दिमाग शांत रहता है।
नीबू घास: यह à¤à¥€ औषधीय पौधा आपकी बगिया को हरा à¤à¤°à¤¾ और तरो ताजा रखता है। इसकी कà¥à¤› पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ नहाने के पानी में डालने से आपको नीबू कि खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ वाला आनंद आयेगा। इसकी खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ बगिया में फैलती है। इसे जà¥à¤µà¤°à¤¾à¤‚कà¥à¤¶ कहते हैं। इसकी जड़ों को उबाल कर पीने से कठिन से कठिन बà¥à¤–ार उतर जाता है। यह मारà¥à¤š से जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ के बीच लगाया जाता है। इसकी जड़ें लगायी जाती हैं। इसको नियमित रूप से पानी देना जरूरी है। इसका à¤à¤¸à¥‡à¤‚स साबà¥à¤¨ और तेल बनाने में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता है।
केवाचः यह à¤à¥€ औषधीय पौधा है। इसके बीजों में à¤à¤²à¤¡à¥‹à¤ªà¤¾ होता जो पारà¥à¤•à¤¿à¤¨à¥à¤¸à¤‚स और मांस पेशियों के इलाज में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ है। इसका बीज साल में कà¤à¥€ à¤à¥€ लगाया जा सकता है। तेज धूप में उपयà¥à¤•à¥à¤¤ पानी देना ही इसकी à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° देखà¤à¤¾à¤² है।
मनी पà¥à¤²à¤¾à¤‚टः आसानी से मिलने वाला, हमेशा हरा à¤à¤°à¤¾ रहने वाला यह बेलनà¥à¤®à¤¾ पौधा घर में धन का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है(à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है)। इसके हरे पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर हलके हरे सफेद धबà¥à¤¬à¥‡ सà¥à¤‚दर लगते हैं। इसके अलावा à¤à¥€ इसकी कई किसà¥à¤®à¥‡ होती है जैसे दृ ेापदकंचेने वतपने , गोलà¥à¤¡à¥‡à¤¨ पंथोस (सबसे कामन पाया जाने ूंसं) , उंतइसम à¥à¤¨à¤®à¤®à¤¦ सफेद पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर हरे धबà¥à¤¬à¥‡ ,हतममद बोटी (चिकने हरे पते), सिलà¥à¤µà¤° मून (हरी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर सफेद धबà¥à¤¬à¥‡) , मेकà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¿à¤²à¤¾ (बड़ी हरी पीले धबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ वाली पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚) , इस पौधे को जमीन में, गमलों में, बोतलों में, धूप में, छावं में यहाठतक कि अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ कमरे में, बाथरूम और जवपसमज में à¤à¥€ लगा सकते हैं।
कà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¤¨à¤ƒ यह रंग बिरंगी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले सà¥à¤‚दर पौधे होते हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी à¤à¥€ मौसम में लगाया जा सकता है। इसको सीधी धूप से बचाना होता है। इसे कमरे में à¤à¥€ रखा जा सकता है। हफà¥à¤¤à¥‡-पंदà¥à¤°à¤¹ दिन में इसे खà¥à¤²à¥€ हवा और धूप में रखना जरूरी होता है।
फरà¥à¤¨à¤ƒ अगसà¥à¤¤ से सितमà¥à¤¬à¤° तक फरà¥à¤¨ लगाया जा सकता है। ये तेज धूप में नहीं बचता। नियमित पानी देना और तेज धूप से बचाना ही इसकी à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° देखà¤à¤¾à¤² है। हरी लमà¥à¤¬à¥€ गà¥à¤šà¥à¤›à¥‡à¤¦à¤¾à¤° पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ ही इसकी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ है।
कोलिअसः शीत ऋतू में बिना कोलिअस के आपकी बगिया सूनी लगती है। यह गà¥à¤šà¥à¤›à¥‡à¤¦à¤¾à¤° बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाला पौधा है। यह कितने रंगों में मिलता है यह बताना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। यह बरामदे में ठीक रहता है। इसे तेज सरà¥à¤¦à¥€ से बचाना होता है। तेज सरà¥à¤¦à¥€ में या तो इसे शेड में रखें या रात में कपडे से ढक दें।
तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤ƒ इसकी तीन किसà¥à¤®à¥‡ होती हैं। रामा तà¥à¤²à¤¸à¥€, शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¾ तà¥à¤²à¤¸à¥€ और बन तà¥à¤²à¤¸à¥€à¥¤ वरà¥à¤· में कà¤à¥€ à¤à¥€ लगा सकते हैं। यह अथाह औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाला पौधा है। यह पौधा धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ रखता है। बगिया में इसका होना बहà¥à¤¤ जरूरी है। ये वातावरण को शà¥à¤¦à¥à¤§ रखता है। इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को चबाने से अनगिनत बीमारियों से बचा जा सकता है।
à¤à¤®à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¥à¤¾à¤¸: बरसात में लगाया जाता है। इसकी खूबसूरती इसकी रंगीन पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं।
गà¥à¤²-टरà¥à¤°à¤¾à¤ƒ बैंगनी रंग के कागज जैसे फूल वाला पौधा बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर होता है। इसे बरसात से लगाना शà¥à¤°à¥‚ करते हैं।
कैकटसः इन कांटेदार पौधों की à¤à¥€ देखà¤à¤¾à¤² करनी पड़ती है। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगाते समय मिटटी में नीम खली, गोबर की खाद और रेत बराबर मातà¥à¤° में मिलाना चाहिà¤à¥¤ पानी काफी कम देना पड़ता है। हर साल पेड़ को निकल कर साडी जड़े कट देना चाहिठऔर फिर से इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गमले में लगा देना चाहिà¤à¥¤ बहà¥à¤¤ तेज धूप होने पर ये तेज बरसात में पौधों को छाया में ही रखना बेहतर होता है। अपने समय से इनमे फूल आते हैं जिनकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
केलेंदà¥à¤²à¤¾à¤ƒ पीले और नारंगी फूलों के लिठये आदरà¥à¤¶ पौधा है जो की जाड़े में खूब फूलता है। इसे अगसà¥à¤¤-सितमà¥à¤¬à¤° में लगाया जाता है जो ४५ दिनों में फूल देने लगता है।
à¤à¤•à¥à¤œà¥‹à¤°à¤¾à¤ƒ पूरे साल फूल देने वाला पौधा है। इसके फूल लाल होते हैं। तवà¥à¤°à¤ªà¤‰à¤µà¤¦à¤• किसà¥à¤® दो रंग के फूल देती है। खà¥à¤¶à¤¬à¥‚दार à¤à¤•à¥à¤œà¥‹à¤°à¤¾ के लिठसफेद बोरà¥à¤µà¤¿à¤«à¥à¤²à¥‹à¤°à¤¾ जो की रà¥à¤•à¥à¤®à¤¿à¤£à¥€ à¤à¥€ कहलाती, किसà¥à¤® लगनी पड़ेगी। इसे बरसात में लगाया जाता है। गमले में लगाने के लिठबौनी किसà¥à¤® ठीक रहेगी।
शà¥à¤°à¤¿à¤®à¥à¤ªà¤ƒ à¤à¤• से डेॠफूट ऊà¤à¤šà¤¾ पौधा, जिसका फूल समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ जंतॠजैसा लगता है। इसे गमले में लगाया जा सकता है। कतà¥à¤¥à¤ˆ, पीला और हरा फूल देता है जो की à¤à¤• फूल नहीं बलà¥à¤•à¤¿ फूलों का गà¥à¤šà¥à¤›à¤¾ मालूम देता है। यह मेकà¥à¤¸à¤¿à¤•à¤¨ पौधा है जो बरसात में लगाया जाता है और पूरे साल फूल देता है।
मà¥à¤¸à¤‚डाः बरसात में लगाया जाने वाला ये पौधा गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, सफेद और पीला फूल देता है। फरवरी में इसकी कटिंग की जाती है जिसके बाद ये अचà¥à¤›à¥€ तरह मारà¥à¤š से नवमà¥à¤¬à¤° तक फूल देता है। इसको काफी पानी चाहिà¤à¥¤ बोरर कीट से बचने के लिठतमà¥à¤¬à¤¾à¤•à¥‚ के पानी का क छिडकाव करना चाहिà¤à¥¤ इसके फूल मखमली सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ देते हैं।
गà¥à¤² मेहà¤à¤¦à¥€ या बालसमः बरसात के आरमà¥à¤ में इसके बीज बोये जाते हैं। या फिर बाजार से पौधे ले सकते हैं। इसकी डबल वाली किसà¥à¤® अचà¥à¤›à¥€ लगती है। सफेद, लाल, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ और बैगनी रंग के फूल मिलते हैं।
हैलिकोनियाः यह कैना जैसी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाला पौधा बरसात में बोया जाता है। इसका कंद जैसा तना जमीन के अनà¥à¤¦à¤° होता है जिसमे से कलà¥à¤²à¥‡ फूटते हैं। वैसे तो जमीन में ये बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ रहते हैं पर गमले में à¤à¥€ लगाये जा सकते हैं। किसी à¤à¥€ नरà¥à¤¸à¤°à¥€ या बोटानिकल गारà¥à¤¡à¥‡à¤¨ से इसके पौधे लिठजा सकते हैं। इसको कम धूप चाहिà¤à¥¤ ये कतà¥à¤¥à¤ˆ और पीले मिले रंग का मखमली और लमà¥à¤¬à¤¾ सा फूल देता है। इसका टेà¥à¤¾ मेधा फूल केकड़े जैसा लगता है। कैने के पौधे की तरह इसका à¤à¤• पेड़ à¤à¤• ही फूल देता है। वैसे जमीन के अनà¥à¤¦à¤° से इसका बलà¥à¤¬ नठकलà¥à¤²à¥‡ देता रहता है। इसका मौसम जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से नवमà¥à¤¬à¤° होता है।
मà¥à¤°à¥à¤—केश या सेलोसियाः इसके सरसों जैसे बीज जमीन में ऊपर ही छींट दिठजाते हैं, जो बरसात में अपने आप ही उग जाते हैं। यह कतà¥à¤¥à¤ˆ, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ और पीले रंगों में पाठजाते हैं, जो की सितमà¥à¤¬à¤° से मारà¥à¤š तक मà¥à¤°à¥à¤—े की कलगी जैसे मखमली फूल देते हैं। इसीलिठइसे मà¥à¤°à¥à¤— केश कहते हैं। इसके फूल लगà¤à¤— à¤à¤• महीने तक डाल पर ताजे बने रहते हैं।
गेंदाः इसे साल में तीन बार लगा सकते हैं। नवमà¥à¤¬à¤°, जनवरी और मई-जून। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पूरे साल गेंदा का फूल मिल सकता है। यह कीड़ों से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है। थोड़ी सी देखà¤à¤¾à¤² से गेंदा की कई किसà¥à¤®à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की जा सकती हैं। जैसे हजारा गेंदा, मेरी गोलà¥à¤¡, बनारसी या जाफरानी जो की बहà¥à¤¤ छोटे फूल देता है। इकहरी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाला फूल तो अपने आप ही बà¥à¤¤à¤¾ रहता है। इसके फूलों को सà¥à¤–ा कर रख लेने से अगले साल के लिठबीज मिल जाते हैं।
डहेलियाः डहेलिया लाल, पीला, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, बैंगनी, दोहरे रंगों में मिलता है। इसके फूल कई दिन तक डाल पर बने रहते हैं और काफी बड़े होते हैं। ये जड़ों का फूल है। इसको केवल संà¤à¤² कर पानी देना पड़ता है और बीच में नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨-पोटाश-सोडियम खाद देनी चाहिà¤à¥¤
गà¥à¥à¤¾à¤²à¤¦à¤¾à¤‰à¤¦à¥€à¤ƒ वैसे तो इसके पौधे पिछले साल की जड़ों, जो की समà¥à¤à¤¾à¤² कर रख ली जाती है, से लगाये जा सकते हैं, पर उचित यही है की नठपौधे लगाये जाà¤à¤ ताकि किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के इनà¥à¤«à¥‡à¤•à¥à¤¶à¤¨ का डर न रहे। à¤à¤• गमले में चार पाà¤à¤š पौधे लगाने चाहिठताकि गमला à¤à¤°à¤¾ रहे। यह कम सितमà¥à¤¬à¤° में किया जाना चाहिà¤à¥¤ पौधे की फà¥à¤¨à¤—ी को नोच देना चाहिà¤à¥¤ यह बहà¥à¤¤ से रंगों में पाया जाता है जैसे लाल, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥à¤¨à¥€, पीला, बैंगनी और मिले जà¥à¤²à¥‡ रंग।
सनायः यह à¤à¤• जड़ी है जो की हरà¥à¤¬à¤² चाय में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होती है। इसके फूल पीले होते हैं। इसे पूरे साल में कà¤à¥€ à¤à¥€ लगाया जा सकता है। इसके आस पास पानी रà¥à¤•à¤¨à¤¾ नहीं चाहिà¤à¥¤ इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और बीजों में सनासिड बवउचवनदक होता है जो की औषधि में काम आता है। इसके बीजों को फांक कर पानी पीने से पेट साफ होता है।
जेरेनियमः यह à¤à¥€ औषधीय पौधा है। इसके फूल नीले बैंगनी और खà¥à¤¶à¤¬à¥‚दार होते हैं। ये पहाड़ी पौधा है। यह पूरे साल का पौधा है। गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में इसे अधिक पानी चाहिà¤à¥¤ जड़ों में इसे वरà¥à¤·à¤¾ से बचाना चाहिà¤à¥¤
गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¤ƒ बगिया का राजा तो गà¥à¤²à¤¾à¤¬ ही है। गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बटन से लेकर गोà¤à¥€ तक के आकार में मिलता है। इसकी à¤à¤• हजार किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ होती हैं। चलिठदेखते हैं हम अपनी बगिया में गà¥à¤²à¤¾à¤¬ का कितना आनंद उठा सकते हैं, चाहे गमले में हो या जमीन में। गà¥à¤²à¤¾à¤¬ लगते समय कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बातें धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखनी होती हैं। बाकी तो आपकी अपनी रूचि और तजà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾ है। गà¥à¤²à¤¾à¤¬ की नयी कलम लगाने या नया पौधा रोपने के लिठअकà¥à¤Ÿà¥‚बर से नवमà¥à¤¬à¤° का समय सबसे अचà¥à¤›à¤¾ होता है। दिसमà¥à¤¬à¤° से जनवरी तक कलियाठआना शà¥à¤°à¥‚ हो जाती हैं। यदि गà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग करना हो तो, पौधे से à¤à¤• कली काट कर देशी गà¥à¤²à¤¾à¤¬ के साथ गà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ करनी चाहिà¤à¥¤ इसमें पानी नहीं à¤à¤°à¤¨à¤¾ चाहिठबलà¥à¤•à¤¿ केवल मिटटी गीली करनी चाहिà¤à¥¤ अचà¥à¤›à¥‡ फूलों के लिठतेज धूप चाहिà¤à¥¤ शीत ऋतू में गमले को छाया में रखने चाहिà¤à¥¤ यदि पेड़ जमीन में लगा है तो गहरी सिंचाई करनी चाहिठजिससे काफी हद तक पाले से बचा जा सकता है।
लिलीः यूरोपियन पौधा लिली, ठनà¥à¤¡à¥‡ देशों का पौधा है। लेकिन पता नहीं कैसे इसने अपà¥à¤°à¥ˆà¤² दृ मई के ४० डिगà¥à¤°à¥€ तापमान में खिलना सीख लिया। इसके बलà¥à¤¬ मारà¥à¤š-अपà¥à¤°à¥ˆà¤² में रोपना चाहिà¤à¥¤ निरंतर पानी देने और गमले को नाम रखने से ही इसमें पतà¤à¤° तक फूल आने लगते हैं। ये लाल और सफेद रंग में मिलते हैं। सफेद फूलों वाली लिली में बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ आती है।
अलीमà¥à¤‚डाः इसे बरसात के मौसम में लगाया जाता है। इसके बड़े पीले फूल इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ होता है। इसे छाया में à¤à¥€ रखा जा सकता है। इसमें नियमित पानी जरूर देना चाहिà¤à¥¤
गà¥à¥œà¤¹à¤²à¤ƒ इसे सितमà¥à¤¬à¤°-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर में लगाना चाहिà¤à¥¤ गà¥à¥œà¤¹à¤² कई रंगों में मिलता है जैसे लाल, गहरा लाल, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, बैंगनी, नीला आदि। समय समय पर इसमें खाद डालते रहनी चाहिà¤à¥¤ नियमित सिंचाई जरूरी है। इसका औषधीय पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¥€ होता है। फूल का रस हà¥à¤°à¤¦à¤¯ के रोगों में लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। यह खून का जमने से बचाव करता है और हà¥à¤°à¤¦à¤¯ को शकà¥à¤¤à¤¿ देता है।
कंटीली चंपाः जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से सितमà¥à¤¬à¤° तक इसे लगाया जा सकता है। इसके लाल फूलों में बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ होती है।
काठचंपा या शमशान चंपाः ये बड़े वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से लेकर पांच छह फीट के पेड़ होते हैं। मोटे पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ और मोटे ताने वाले पेड़ गमलों में à¤à¥€ फूल देते हैं। सफेद, पीले और लाल रंग के गजब की खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ देने वाले फूलों का जवाब नहीं होता।
लेडी लकà¥à¤¸à¤ƒ ये शीत ऋतू का पौधा है जो कई रंगों के फूल देता है। नवमà¥à¤¬à¤°-दिसमà¥à¤¬à¤° इसको लगाने के लिठआदरà¥à¤¶ समय है। नियमित दपजतवहमद की खाद इसके लिठजरूरी है।
बेलाः सितमà¥à¤¬à¤°-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर इसको लगाने के लिठआदरà¥à¤¶ समय है। बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ वाले सफेद फूलों वाला पौधा।
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