लॉकडाउन काल में लिठगठपà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ घातक निरà¥à¤£à¤¯?
à¤à¤•à¥‡ सिंह
अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤² बाघ रिजरà¥à¤µ के मधà¥à¤¯ से सड़क, गोवा में à¤à¤• राजमारà¥à¤— के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को हरी à¤à¤‚डी जो मोलà¥à¤²à¥‡à¤® वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ अà¤à¤¯à¤¾à¤°à¤£à¥à¤¯ से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ है, नागपà¥à¤°-मà¥à¤‚बई सà¥à¤ªà¤° हाइवे के लिठ32,000 से अधिक पेड़ गिराने की मंजूरी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसकी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ डिजाइन के दायरे में 48 गांव आ जायेंगे और इनकी हरियाली को खतà¥à¤® करना आवशà¥à¤¯à¤• हो जाà¤à¤—ा, और मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और तेलंगाना के बीच कवाल बाघ कॉरिडोर के मधà¥à¤¯ से होकर जाता à¤à¤• रेलवे पà¥à¤² - कà¥à¤¯à¤¾ नेशनल बोरà¥à¤¡ फॉर वाइलà¥à¤¡à¤²à¤¾à¤‡à¤« के लिठइनका रासà¥à¤¤à¤¾ साफ करना à¤à¤• आवशà¥à¤¯à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ है? यहाठबता दें कि नेशनल बोरà¥à¤¡ फॉर वाइलà¥à¤¡à¤²à¤¾à¤‡à¤« (à¤à¤¨à¤¬à¥€à¤¡à¤¬à¥à¤²à¥‚à¤à¤² ) की à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ समिति है जो नीतिगत निरà¥à¤£à¤¯ और मंजूरी जारी करती है। à¤à¤¨à¤¬à¥€à¤¡à¤¬à¥à¤²à¥‚à¤à¤² पिछले छह वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से नहीं मिला। फिर, अपà¥à¤°à¥ˆà¤² की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में, उकà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ समिति ने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ मंतà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जावड़ेकर की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में अपने पहले-वीडियो समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ की मेजबानी करने का फैसला किया। और जब देश लॉकडाउन मोड में था तब à¤à¥€ देश à¤à¤° में ‘विकासातà¥à¤®à¤•’ परियोजनाओं के लिठवनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ की मंजूरी देने के लिठबैठक आयोजित की गई। यहाठसवाल उठता है कि वैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ आपातकाल के दौरान इतनी जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¥€ की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ थी?
à¤à¤• विशेषजà¥à¤ž ने, जो कि इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का हिसà¥à¤¸à¤¾ थे, नाम न छापने की शरà¥à¤¤ पर बताया कि वीडियो कॉल पर मानचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ की जांच करना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² होता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ परियोजनाओं के सटीक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को नहीं दिखाया जा सकता। विशेषजà¥à¤ž कहते हैं, ‘‘सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤•à¤°à¤£ के लिठअधिकारियों के सवाल पूछने का कोई अवसर नहीं था‘‘। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पूरी पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ केवल दिखावा थी, सà¤à¥€ परियोजनाओं को मंजूरी देने का मन तो पहले ही बना लिया गया था। और अब, सà¤à¥€ की निगाहें अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤² पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की दिबांग घाटी में à¤à¤Ÿà¤²à¤¿à¤¨ जलविदà¥à¤¯à¥à¤¤ परियोजना पर हैं। अà¤à¥€ इसे परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ की फॉरेसà¥à¤Ÿ à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤°à¥€ कमेटी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मंजूरी दी जानी है पर यहाठबताते चलें कि इस परियोजना के लिठ2,50,000 से अधिक पेड़ों को उखाड़ फेकने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होगी। जब से 2008 में मनमोहन सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परियोजना की आधारशिला रखी गई, तà¤à¥€ से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ विदà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चेताया जा रहा है कि इससे कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को फायदे से अधिक नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चेगा। 2014 की à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ की माने तो असम में बाॠको नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने का दावा करने वाली इस परियोजना के लिठउस राजà¥à¤¯ में à¤à¤• à¤à¥€ सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• बैठक नहीं की गयी और न ही मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ की परामरà¥à¤¶ की मांग को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया गया। डिबà¥à¤°à¥‚ साईखोवा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पर पड़ने वाले पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ के बारे में मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ अपनी चिंता जाहिर कर चà¥à¤•à¤¾ है। यह सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की लागत पर बड़ी परियोजनाओं को आगे बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठउठाये गठकदमों की à¤à¤• शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला में à¤à¤• है। अब यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि à¤à¥‚मि के इस विशाल पथ को साफ करने और गंà¤à¥€à¤° रूप से लà¥à¤ªà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को खतरे में डालने के अलावा, इस बांध से डूबने के लिठतैयार है कई हजार हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° वन à¤à¥‚मि।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ कानूनों को घà¥à¤®à¤¾ कर मन मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• बनाने के लिठलायी गई है परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ आंकलन (ईआईà¤) अधिसूचना २०२०, जो कि ईआईठअधिसूचना 2006 को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ लेने के लिठतैयार है। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£, वन और जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जारी इस अधिसूचना के तहत आम नागरिक 60 दिनों के à¤à¥€à¤¤à¤° अपना विरोध या विचार रख सकता है, परनà¥à¤¤à¥ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ तालाबंदी के दौरान लायी गयी इस अधिसूचना में जनता को मौका ही नहीं मिल पाया है कि वह इसे समà¤à¥‡ व पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ दे। इसमें कई खतरनाक खामियां हैंः सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ अब कई परियोजनाओं के लिठअनिवारà¥à¤¯ नहीं है, परियोजना विसà¥à¤¤à¤¾à¤° नियमों में ढील दी गई है, सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• परामरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कमजोर है, और यह उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों के लिठगलत कामों को वैध करता है।
मारà¥à¤š 2017 में मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ ने उन परियोजनाओं को मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कित करने के लिठà¤à¤• अधिसूचना जारी की, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 2006 ईआईठअधिसूचना के पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के संदरà¥à¤ में पूरà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ मंजूरी के बिना काम शà¥à¤°à¥‚ कर दिया है। यह à¤à¤• अपवाद माना जाता था, लेकिन तब से à¤à¤• आदरà¥à¤¶ बन गया है। इसे à¤à¤• कदम आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤, 2020 की अधिसूचना में कहा गया है कि इस तरह के उलà¥à¤²à¤‚घन बहà¥à¤¤ अधिक हो रहे हैं और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में नियामक पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन या निगरानी या निरीकà¥à¤·à¤£ की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के दौरान नोटिस में आ सकते हैं, इसलिठमंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ ने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के हित में à¤à¤¸à¥€ परियोजनाओं को नियमों के तहत लाने के लिठपà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करना आवशà¥à¤¯à¤• समà¤à¤¾ न कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अनियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ छोड़ कर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को और अधिक हानि पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¤¾à¥¤ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से, सरकार डॉटà¥à¤¸ कनेकà¥à¤Ÿ करने में सकà¥à¤·à¤® नहीं है। या इससे à¤à¥€ बदतर, यह परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ आपदाओं और विकास के नाम पर पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसाधनों के बीच लिंक को अनदेखा करना चà¥à¤¨ रही है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में लोग सामानà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को बहाल करने के लिठसरकारी योजनाओं की जानकारी का इंतजार करते हैं। लेकिन हमें इस बात का अहसास नहीं है कि सामानà¥à¤¯ ही तो समसà¥à¤¯à¤¾ थीः पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हवा और पानी, नई बीमारियों और लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रहे वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ का कारण था पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की अनदेखी। और यह तब तक चलेगा जब तक हमारे नेता कदम नहीं उठाते। यदि à¤à¤®à¤“ईà¤à¤«à¤¸à¥€à¤¸à¥€ और à¤à¤¨à¤¬à¥€à¤¡à¤¬à¥à¤²à¥à¤¯à¥‚à¤à¤² दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस तरह के निरà¥à¤£à¤¯ लिठजाते हैं, तो कà¥à¤¯à¤¾ वासà¥à¤¤à¤µ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ पोसà¥à¤Ÿ-कोविद परिदृशà¥à¤¯ के लिठसजग है सजग है?
कोयला खनन के लिठ‘नो-गो’ जंगल साफ किठगà¤
2015 से, कोयला खनन के लिठ49 बà¥à¤²à¥‰à¤•à¥‹à¤‚ को मंजूरी दे दी गई थी, नौ 49 नो-गो ’कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में थे, या à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° जो कà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और वन और जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤—ीकृत किठगठथे, जिनमें बहà¥à¤¤ घने जंगल थे और इसलिठकोयला खनन के लिठबंद थे। 2020 में, नीलामी के लिठलगाठगठ41 बà¥à¤²à¥‰à¤•à¥‹à¤‚ में से 21 ओरà¥à¤œà¤¿à¤¨à¤² नो-गो सूची में से हैं। यह जानकारी सेंटर फॉर साइंस à¤à¤‚ड à¤à¤¨à¤µà¤¾à¤¯à¤°à¤¨à¤®à¥‡à¤‚ट (सीà¤à¤¸à¤ˆ) ने à¤à¤• वेबिनार में दी जिसमें कोयला बà¥à¤²à¥‰à¤• की नीलामी की जांच के परिणाम पेश किये गà¤à¥¤ 18 जून को पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मंतà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी ने वीडियो-समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ के माधà¥à¤¯à¤® से वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• खनन के लिठ41 कोयला बà¥à¤²à¥‰à¤•à¥‹à¤‚ की नीलामी शà¥à¤°à¥‚ की। खानों के आवंटन के लिठदो चरण की ई-नीलामी को अपनाया जा रहा है। यह निरà¥à¤£à¤¯ केंदà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ‘आतà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨‘ के तहत की गई घोषणाओं का हिसà¥à¤¸à¤¾ था। हालांकि नठबà¥à¤²à¥‰à¤•à¥‹à¤‚ की नीलामी की जा रही थी, संगठन के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤µ वाली पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ डाउन टू अरà¥à¤¥ (डीटीई) में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सीà¤à¤¸à¤ˆ जांच में बताया गया कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ अपनी मौजूदा कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर रहा और केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ कोयला मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ ने à¤à¤• आरटीआई के जवाब में बताया गया कि 2015 से नीलाम की गई 67 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ खदानें अà¤à¥€ तक चालू नहीं हà¥à¤ˆ हैं। 2015 से 2020 तक, सरकार ने 112 खानों की नीलामी करने की कोशिश की, लेकिन केवल 42 मामलों में ही सफल रही।कई संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कोयला à¤à¤‚डार, विशेष रूप से छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ॠऔर मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में, घने जंगलों में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। सरकार ने निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया कि उनमें से कौन बहà¥à¤¤ अछूता छोड़ने के लिठपारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤• रूप से महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ था और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ मापदंडों पर वन à¤à¥‚मि का मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन करने वाले डिसिशन सपोरà¥à¤Ÿ सिसà¥à¤Ÿà¤® सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° का उपयोग करके कौन सा वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° खनन के लिठखोला जा सकता है। कà¥à¤› मामलों की जांच में पाया गया कि सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन के परिणामों को ‘नो-गो फॉरेसà¥à¤Ÿ‘ को गो फारेसà¥à¤Ÿ बनाने के लिठ‘टà¥à¤µà¥€à¤•‘ किया गया। यह à¤à¥€ पाया गया कि कोयला मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯- लाà¤à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ संगठन- के अधिकारियों को खनन के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ के वन सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ के साथ मिलकर काम करने के आदेश ने इन जंगलों के लिठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ और à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल कर दी। डीटीई की संपादक और सीà¤à¤¸à¤ˆ की महानिदेशक सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ नारायण ने बतायाः “हमारे जंगल वे हैं जहां हमारे कोयला à¤à¤‚डार हैं - à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वन और कोयला आंतरिक रूप से जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ हैं। और हमारे सबसे गरीब लोग इन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में रहते हैं जो हमारे सबसे पà¥à¤°à¤šà¥à¤° जलकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ रखते हैं। अगर हमें कोयला खनन करना है, जिससे वैसे ही गंà¤à¥€à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण होता है, तो हमें सावधानीपूरà¥à¤µà¤• विचार करने के बाद à¤à¤¸à¤¾ करना चाहिà¤, कि हमने जंगलों को अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से नषà¥à¤Ÿ न करने के लिठअतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सावधानी तो बरती है, और इसका मतलब यह है कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ खानों पर नियंतà¥à¤°à¤£ करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है न कि और अधिक खनन करने की ”।
ओजोन का सà¥à¤¤à¤° बà¥à¤¾ है
अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² ओजोन गैस (ओ3) पृथà¥à¤µà¥€ के समताप मंडल में होने पर जीवन की रकà¥à¤·à¤¾ करने में मदद करती है। वहां, यह ओजोन परत बनाती है, जो सूरà¥à¤¯ से पराबैंगनी विकिरण को फिलà¥à¤Ÿà¤° करता है। कà¥à¤·à¥‹à¤à¤®à¤‚डल (जमीन-सà¥à¤¤à¤° पर अरà¥à¤¥) में, हालांकि, ओजोन à¤à¤• पà¥à¤°à¤¦à¥‚षक के रूप में कारà¥à¤¯ करता है जो कमजोर समूहों के बीच कई सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को टà¥à¤°à¤¿à¤—र कर सकता है, और शà¥à¤µà¤¸à¤¨ और हृदय रोगों से जà¥à¥œà¤¾ होने के लिठजाना जाता है, नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ डाइऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ (à¤à¤¨à¤“ 2) और पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥à¤²à¥‡à¤Ÿ मैटर (पीà¤à¤®à¥ 2.5 और पीà¤à¤®à¥ 10) के साथ, टà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‹à¤¸à¥à¤«à¥‡à¤°à¤¿à¤• ओजोन बाहरी वायॠपà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के कारण होने वाले कई दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है। सीà¤à¤¸à¤ˆ ने चार पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¥‚षकों- पीà¤à¤®à¥ 2.५, पी à¤à¤®à¥à¥§à¥¦, à¤à¤¨à¤“2 और ओजोन के लिठ1 जनवरी, 2019 से 31 मई, 2020 के बीच दिलà¥à¤²à¥€-à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤° (फरीदाबाद, गाजियाबाद, गà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® और नोà¤à¤¡à¤¾) सहित कोलकाता के रà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ किया। चेनà¥à¤¨à¤ˆ, मà¥à¤‚बई, अहमदाबाद, उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨, बेंगलà¥à¤°à¥, हैदराबाद, जयपà¥à¤°, जोधपà¥à¤°, पटना, विशाखापतà¥à¤¤à¤¨à¤®, अमृतसर, हावड़ा, पà¥à¤£à¥‡, गà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥€, लखनऊ और कोचà¥à¤šà¤¿ आदि चयनित शहरों में ओजोन के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ शामिल थे। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, लॉकडाउन के दौरान कई आरà¥à¤¥à¤¿à¤• गतिविधियां ठप हो गईं, जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° शहरों में पीà¤à¤® 2.5 और à¤à¤¨à¤“2 का सà¥à¤¤à¤° गिर गया और इसने लोगों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ खींचा। हालाà¤à¤•à¤¿, अदृशà¥à¤¯ ओजोन पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण का अधिकतम मानक औसत इन शहरों में कई दिनों तक मानक सà¥à¤¤à¤° से अधिक था। अहमदाबाद में, अधिकतम औसत 43 दिन, उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ 38 दिन, गà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® 26 दिन, गाजियाबाद 15 दिन, और नोà¤à¤¡à¤¾ 12 दिन मानक से अधिक रहा। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में, ओजोन पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को गरà¥à¤® महीनों के दौरान बà¥à¤¨à¥‡ के लिठजाना जाता है। यह कà¥à¤²à¥€à¤¨à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ बनाता है। सीà¤à¤¸à¤ˆ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, à¤à¤¸à¤¾ इसलिठहोता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ओजोन सीधे किसी à¤à¥€ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ से उतà¥à¤¸à¤°à¥à¤œà¤¿à¤¤ नहीं होता है, लेकिन नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ और अनà¥à¤¯ वाषà¥à¤ªà¤¶à¥€à¤² कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• यौगिकों (वीओसी) और सूरज की रोशनी और गरà¥à¤®à¥€ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ में गैसों के बीच फोटोकैमिकल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनता है। à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°à¤ƒ “à¤à¤• उचà¥à¤š à¤à¤¨à¤“ सà¥à¤¤à¤° फिर से ओजोन के साथ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कर सकता है और इसे सोख सकता है। ओजोन जो कà¥à¤²à¥€à¤¨à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में चला जाता है, उसे आगे नरà¤à¤•à¥à¤·à¤£ करने के लिठकोई à¤à¤¨à¤“ नहीं मिलता है - और परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प, इन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ओजोन à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। ओजोन को केवल तà¤à¥€ नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया जा सकता है जब सà¤à¥€ सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से गैसों को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया जाता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में, जैसे ही गरà¥à¤®à¥€ के महीनों में लॉकडाउन लागू किया गया, यह पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ और à¤à¥€ बॠगया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पहले से ही उचà¥à¤š तापमान पर सामानà¥à¤¯ से कम सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¤¨à¤“ था।‘‘
गà¥à¤°à¥€à¤¨ कवर हमेशा वन कवर नहीं होता है
जबकि à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैव विविधता पर विकासातà¥à¤®à¤• परियोजनाओं के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के बारे में बात करता है, à¤à¤• सà¥à¤‚दर फूलों की विदेशी पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ ने उसके जंगलों पर कबà¥à¤œà¤¾ ही कर लिया है। यह पौधा, लैंटाना कैमारा, उषà¥à¤£à¤•à¤Ÿà¤¿à¤¬à¤‚धीय अमेरिका की à¤à¤• à¤à¤¾à¥œà¥€ है। 1800 के दशक की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में à¤à¤• सजावटी पौधे के रूप में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आने के बाद, लैंटाना बगीचों से निकल गया और पूरे पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤• तंतà¥à¤° पर कबà¥à¤œà¤¾ कर लिया। अब अकेले à¤à¤¾à¤°à¤¤ की बाघ सीमा के 40 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ हिसà¥à¤¸à¥‡ पर यह छाया है। लैंटाना की कई हाइबà¥à¤°à¤¿à¤¡ किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में लाई गईं और इसके 200 साल से अधिक पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ होने पर, किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ ने संकरण किया और à¤à¤• जटिल किसà¥à¤® का गठन किया। यह पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ अब à¤à¤• लकड़ी की बेल के रूप में चंदवा पर चà¥à¤¨à¥‡ में सकà¥à¤·à¤® है, घने घने रूप में अनà¥à¤¯ पौधों को उलà¤à¤¾à¤¤à¥€ है, और जंगल के फरà¥à¤¶ पर à¤à¤• सà¥à¤•à¥à¤°à¤¬à¤¿à¤‚ग à¤à¤¾à¥œà¥€ के रूप में फैलती है। लैंटाना दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की दस सबसे खराब आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है और à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठउचà¥à¤š चिंता की पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ है। यह अंतरिकà¥à¤· और संसाधनों के लिठदेशी पौधों के साथ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾ करता है, और मिटà¥à¤Ÿà¥€ में पोषक चकà¥à¤° को à¤à¥€ बदल देता है। इसके आकà¥à¤°à¤®à¤£ के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प जंगली जड़ी-बूटियों और देशी चारा पौधों की कमी हà¥à¤ˆ है। यदि जानवर इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ खा लें तो बीमार हो सकते है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€ à¤à¥€ हो सकती हैं। कà¥à¤› मामलों में, लैंटाना को वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• रूप से खिलाने से दसà¥à¤¤, यकृत की विफलता और यहां तक कि जानवर की मृतà¥à¤¯à¥ हो गई है। लैंटाना लंबे समय से à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मैनीकà¥à¤¯à¥‹à¤° उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से बच गया है और देश की लंबाई और चैड़ाई में फैल गया है, जिसमें सड़क के किनारे, परती à¤à¥‚खंड, कृषि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°, और जंगल शामिल हैं। गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² इकोलॉजी à¤à¤‚ड कंजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ रिपोरà¥à¤Ÿ में हाल ही में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में कहा गया है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की बाघ सीमा में लैंटाना 154,000 वरà¥à¤— किमी (कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से 40 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ अधिक) कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में है। जंगलों के बीच, उतà¥à¤¤à¤° में शिवालिक हिलà¥à¤¸, मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के खंडित परà¥à¤£à¤ªà¤¾à¤¤à¥€ वन और दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ घाट इसके आकà¥à¤°à¤®à¤£ से सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हैं। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ ने मलà¥à¤Ÿà¥€-लैंडसà¥à¤•à¥‡à¤ª पैमाने पर आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पौधों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन के लिठकिठगठसबसे वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• डेटा का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ किया है। ये सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ बाघ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ परियोजना का हिसà¥à¤¸à¤¾ थे। वे संबंधित राजà¥à¤¯ वन विà¤à¤¾à¤—ों के वन रकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ और वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ जीवविजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अंदर और बाहर दोनों जगह संचालित किठगठथे। सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ के दौरान, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के 18 बाघ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वनों को 25 वरà¥à¤— किमी में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ किया गया था। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• इकाई को देशी और आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पौधों और मानव अशांति को रिकॉरà¥à¤¡ करने के लिठनमूना लिया गया था। इस तरह, वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के 200,000 वरà¥à¤— किमी में 117,104 à¤à¥‚खंडों का नमूना लिया गया। इस जानकारी के साथ, इनवेसिव पौधों (जैसे मिटà¥à¤Ÿà¥€ की उरà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾, जल की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾, जलवायà¥, आग, सड़कों और अनà¥à¤¯ मानव संशोधनों) के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° को सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• बनाने के लिठजाने जाने वाले कारकों पर डेटा का उपयोग à¤à¤• मॉडल में किया गया था, जिसका उपयोग लैंटाना के इन जंगलो में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ करने के लिठकिया गया था। इस शोध से पता चलता है कि मानव पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ के कारण वनों का कà¥à¤·à¤¯ हà¥à¤† है और गरà¥à¤® और आरà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में होने वाले सबसे अधिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हैं। मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सबसे अधिक रिपोरà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡ फॉरेसà¥à¤Ÿ कवर है, में पाया गया कि इसके जंगलों का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया गया था। इसी तरह, बांदीपà¥à¤° टाइगर रिजरà¥à¤µ, जिसे à¤à¤• अनà¥à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ‘हरियाली‘ दिखाया गया था, को लैंटाना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ रूप से आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया गया था। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में यह à¤à¥€ कहा गया है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में लैंटाना मधà¥à¤¯ अमेरिका में अपनी मूल जलवायॠसे काफी अलग जलवायॠपरिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में बॠरहा है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के शोधकरà¥à¤¤à¤¾ और इस अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– लेखक निनाद मà¥à¤‚गी कहते हैं, ‘‘लगà¤à¤— ६० पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ लैंटाना अपने मूल जलवायॠकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के बाहर फैल गया है।‘‘ “लैंटाना अपने मूल कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में गरà¥à¤® तापमान और अधिक नमी (à¤à¤¾à¤°à¤¤ में) सहन कर सकता है। यह बदलती जलवायॠका उपयोग करने में मदद कर सकता है, जहां अधिकांश देशी पौधे विफल हो रहे हैं,” उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा। मॉडल के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° में 3,00,000 वरà¥à¤— किमी वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° (वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का अतिरिकà¥à¤¤ ४४ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤) को लैंटन आकà¥à¤°à¤®à¤£ से à¤
Leave a comment