गंगा जी को चाहिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ टोलियों का साथ - October 2016
गंगाजी और इसकी बहà¥à¤¤ सारी शाखाà¤à¤ तथा पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤–ाà¤à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की शà¥à¤°à¥‹à¤¤ और संबल हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बड़े हिसà¥à¤¸à¥‡ की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• गतिविधियों की धà¥à¤°à¥€ आज à¤à¥€ गंगाजी ही हैं। वह इस हिसà¥à¤¸à¥‡ की गंदगी à¤à¥€ खà¥à¤¶à¥€ से साफ करती आ रही हैं। जनसंखà¥à¤¯à¤¾ और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• गतिविधियों के बढà¥à¤¨à¥‡ से अब गंदगी का बोठबॠगया है। बà¥à¥‡ बोठको उठाना गंगा की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के बाहर होता जा रहा है। अब बोठउठता नहीं है, उसे उठाने मे उनका अंग अंग दà¥à¤–ता है। वे बड़ी बेचैन हैं। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• उसकी बेचैनी काफी समय से यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से नाप रहे है।
गंदगी का बोठकम न हà¥à¤† तो गंगा जी का जीना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। गंगा तीन तरह की गंदगियों के बोठसे जूठरही हैं: पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤œà¤¨à¥à¤¯ कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पथारà¥à¤¥ जैसे फल, फूल, अकà¥à¤·à¤¤,दूध, या मृत शरीर; मानवजनà¥à¤¯ अकारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• तथा करà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¤“ं का मिशà¥à¤°à¤£ जैसे मलमूतà¥à¤°, कारखानों का उतà¥à¤¸à¤°à¥à¤œà¤¨; मानवजनà¥à¤¯ करà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पथारà¥à¤¥ जैसे पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤•, पैकिंग सामागà¥à¤°à¥€à¥¤
गंगाजी केवल पà¥à¤°à¤¥à¤® तरह की गंदगी से निपटने के लिठसकà¥à¤·à¤® थी और हैं पर इस तरह गंदगी की मातà¥à¤°à¤¾ काफी कम करनी पड़ेगी इसके लिठकमà¥à¤ªà¥‹à¤¸à¥à¤Ÿ यंतà¥à¤° हर घाट में लगाना पड़ेगा। दूसरी तरह की गंदगी के छोटे à¤à¤¾à¤— को ही गंगाजी साफ कर सकती हैं, बचे हà¥à¤¯à¥‡ बड़े à¤à¤¾à¤— की सफाई उनके वश की बात नहीं उसे तो मानवों को सफाई संयंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से साफ करना पड़ेगा। तीसरी तरह की गंदगी की सफाई न मानवों के वश मे है और न गंगाजी के, उसे पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध लगा कर रोकना होगा।
गंगाजी के साथ साथ उनकी की शाखाà¤à¤ तथा पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤–ाà¤à¤ को à¤à¥€ गंदगी से बचाना होगा। वे सà¤à¥€ गंगाजी मे ही मिलती हैं । इसके अतिरिकà¥à¤¤, गंगाजी की गंदगी की सफाई कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ को à¤à¥€ बà¥à¤¾à¤¨à¥€ होगी। इसके लिठजल पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ अविरल करना होगा - किनारों और तलहटी की मिटà¥à¤Ÿà¥€ हटा कर-, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ होगा जिससे सूरà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मिले, गंदगी हजम करनेवाले बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤ किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ की खोज करनी होगी और गंगा के इकोसिसà¥à¤Ÿà¤® को समà¤à¤¨à¤¾ होगा। अंतिम दो कारà¥à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के लिठहैं, वे मूल समसà¥à¤¯à¤¾ को समà¤à¥‡à¤‚ और उसका सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ हल ढूà¤à¤¢à¥‡à¤‚। यह सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ संà¤à¤µ हैं पर à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° सबसे बड़ी बाधा है। à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° से निपटने के लिठसरकारी नियमों और निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के पालन की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ छोटे छोटे इलाकों मे गंगाà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की टोलियों को à¤à¤• à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ लिठदेना चाहिà¤à¥¤ केवल टोलियाठकी लगन और सà¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾ ही à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° से निपट सकती है सरकारी अफसर नहीं।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सबसे महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ नदी गंगा, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ और बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ में मिलाकर २,५१० किमी की दूरी तय करती हà¥à¤ˆ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सà¥à¤‚दरवन तक विशाल à¤à¥‚ à¤à¤¾à¤— को सींचती है, देश की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संपदा ही नहीं, जन जन की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ का आधार à¤à¥€ है। २,०à¥à¥§ कि.मी तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ तथा उसके बाद बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ में अपनी लंबी यातà¥à¤°à¤¾ करते हà¥à¤ यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वरà¥à¤— किलोमीटर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहितà¥à¤¯à¤¿à¤•, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंखà¥à¤¯à¤¾ के कारण à¤à¥€ जाना जाता है।
१०० फीट (३१ मी) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पवितà¥à¤° मानी जाती है तथा इसकी उपासना माठऔर देवी के रूप में की जाती है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£ और साहितà¥à¤¯ में अपने सौंदरà¥à¤¯ और महतà¥à¤µ के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विदेशी साहितà¥à¤¯ में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा और à¤à¤¾à¤µà¥à¤•à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वरà¥à¤£à¤¨ किठगठहैं।
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