बà¥à¤¤à¤¾ तापमान पिघलते हिमखंड
रमेष गोयल
लेखक परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ जल संरकà¥à¤·à¤£ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· तथा जल सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° व अनेक पà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ हैं
गत कà¥à¤› दषकों में वैषà¥à¤µà¤¿à¤• तापमान निरनà¥à¤¤à¤° बॠरहा है। बà¥à¤¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¦à¥‚शण के कारण तापमान पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो रहा है। जिसके कारण तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ से जलवायू परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो रहा है। जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2016 गत वरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• गरà¥à¤® मास रहा वहीं वरà¥à¤¶ 2016 सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• गरà¥à¤® वरà¥à¤· और यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नहीं बलà¥à¤•à¤¿ विषà¥à¤µ के लगà¤à¤— सà¤à¥€ देष इससे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ व परेषान हैं। वरà¥à¤¶ 2017 के आरमà¥à¤ में जनवरी में बहà¥à¤¤ कम सरà¥à¤¦à¥€ रही और फरवरी में अपà¥à¤°à¥ˆà¤² जैसा मौसम। 18 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को 40 से 46 तक का तापमान बहà¥à¤¤ चिंतनीय है। 18 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2017 को दौसा में 46 डिगà¥à¤°à¥€ तापमान à¤à¤µà¤¿à¤¶à¤¯ के खतरे का सà¥à¤ªà¤¶à¥à¤Ÿ संकेत है। कहीं अति वरà¥à¤·à¤¾, कहीं बरà¥à¤«à¥€à¤²à¤¾ तà¥à¤«à¤¾à¤¨, कहीं कोई और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आपदा यह सब जलवायू परिवरà¥à¤¤à¤¨ का ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ है। तापमान के निरनà¥à¤¤à¤° बà¥à¤¨à¥‡ के कारण हो रहे जलवायू परिवरà¥à¤¤à¤¨ से वरà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो रही है और समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° व सामानà¥à¤¯ वरà¥à¤·à¤¾ की बजाय असामयिक व असामानà¥à¤¯ (अति या कम) वरà¥à¤¶à¤¾ हो रही है। अति वरà¥à¤¶à¤¾ से बाॠआती है और विनाश का कारण बनती है वहीं कम वरà¥à¤·à¤¾ से पानी की कमी होती है जो अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ और दैनिक परेशानी का कारण बनती है। जल की आपूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठà¤à¥‚जल दोहन किया जाता है और इसी कारण देश à¤à¤° में 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¤¤ से अधिक à¤à¥‚जल बà¥à¤²à¤¾à¤• डारà¥à¤• जोन (खतरनाक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿) में चले गठहैं और यह संखà¥à¤¯à¤¾ निरनà¥à¤¤à¤° बà¥à¤¤à¥€ जा रही है।
तापमान को नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ में रखने और गरà¥à¤®à¥€ के मौसम में नदियों में जल आपूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठपहाड़ों पर हिमखंड (गलेशियर) का बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ रहा है। बरà¥à¤« से à¥à¤•à¥‡ बहà¥à¤¤ बड़े परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤— को हिमखंड (गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤°) कहते हैं और सरà¥à¤¦à¥€ में पहाड़ों पर जमने वाली बरà¥à¤« इसका विसà¥à¤¤à¤¾à¤° करती है। विशà¥à¤µ के à¤à¥‚ूà¤à¤¾à¤— का 150 लाख वरà¥à¤— कि.मी. लगà¤à¤— 10 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° हिमखंड हैं। à¤à¤• समय था जब 32 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ à¤à¥‚ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° व 30 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° हिमखंड (गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤°) था और उसे बरà¥à¤« यà¥à¤— कहा जाता था। कà¥à¤² हिमखंड का à¤à¤¨à¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤•à¤¿à¥à¤Ÿà¤• (दकà¥à¤·à¥€à¤£à¥€ धà¥à¤°à¥à¤µ) में 84.5 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ व गà¥à¤°à¥€à¤¨à¤²à¥ˆà¤‚ड में 12ः हिमखंड है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सबसे बड़े गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° सियाचिन के अलावा गंगोतà¥à¤°à¥€, पिंडारी, जेमà¥, मिलम, नमीक, काफनी, दरांग-रà¥à¤¦à¤—ं, हरी परà¥à¤µà¤¤, शीमà¥à¤®à¥‡, रोहतांग, बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ कà¥à¤‚ड, चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾, सोनापानी, ढाका, à¤à¤¾à¤—ा, पारà¥à¤¬à¤¤à¥€, शीरवाली, चीता काठा, कांगतो, ननà¥à¤¦à¤¾ देवी शà¥à¤°à¤‚खला, पंचचà¥à¤²à¥€, जैका आदि अनेक हिमखंड हैं। जमà¥à¤®à¥ कशमीर, अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤², सिकà¥à¤•à¤¿à¤®, उतराखंड व हिमाचल में गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¥‡ मौसम का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ इन हिमखंडों को मिलता रहा है। 1995 व 1996 में अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के समय में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अनेक हिमखंड देखे थे और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों को उन पर à¤à¤¸à¥‡ ही चलते देखा जैसे सड़क पर चलते हों। बà¥à¤¤à¥‡ तापमान का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ मैदानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ पर नहीं परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है और हिमखंडों की शà¥à¤°à¤‚खला व कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° निरनà¥à¤¤à¤° घटता जा रहा है जो à¤à¤• और चिनà¥à¤¤à¤¾ का विशाय है।
पहाडों पर जहां अपà¥à¤°à¥ˆà¤² में सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ 4-ं6 डिगà¥à¤°à¥€ तक तापमान रहता है वह गौमà¥à¤– कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में गत सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ 14 डिगà¥à¤°à¥€ तक हो चà¥à¤•à¤¾ है। चारों ओर बरà¥à¤« हीं बरà¥à¤« दिखने वाले पहाड़ी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ कहीं .कहीं बरà¥à¤« दिखती है। मौसम विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ केनà¥à¤¦à¥à¤° देहरादून के निदेषक विकà¥à¤°à¤® सिंह अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस बार अपà¥à¤°à¥ˆà¤² में सामानà¥à¤¯ से 4 से 7 डिगà¥à¤°à¥€ तापमान अधिक है। हिमखंडों के à¤à¤¸à¥‡ पिघलने से पानी की कमी और बà¥à¥‡à¤—ी कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ आवषà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ से पूरà¥à¤µ व अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में पानी नदियों के माधà¥à¤¯à¤® से समà¥à¤¦à¥à¤° में चला जायेगा जिससे तापमान नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होगा। आवषà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है पृथà¥à¤µà¥€ दिवस पर हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जल-ंउरà¥à¤œà¤¾ तथा पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसाधनों का संरकà¥à¤·à¤£ करने का संकलà¥à¤ª करे तथा हर वरà¥à¤¶ कम से कम à¤à¤• वृकà¥à¤· ंअवषà¥à¤¯ लगाये।
March-April 2017
रमेश गोयल
लेखक परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ जल संरकà¥à¤·à¤£ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ तथा जल सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° व अनेक पà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ है
22 मारà¥à¤š ‘‘विशà¥à¤µ जल दिवस’’ है। हर दिन का अपना à¤à¤• विशेष महतà¥à¤µ होता है ओर उस दिन हम अपने जीवन के उस पकà¥à¤· को मजबूत करने हेतॠकारà¥à¤¯ करते हैं। वासà¥à¤¤à¤µ में जल के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ à¤à¤‚डार समà¥à¤¦à¥à¤° का पानी जीवनोपयोगी नहीं है। उसे पीने योगà¥à¤¯ बनाना आसान नहीं है। धरातल पर 71 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ पानी होते हà¥à¤ à¤à¥€ वासà¥à¤¤à¤µ में कà¥à¤² उपलबà¥à¤§ पानी का लगà¤à¤— à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ पानी ही जीवन रकà¥à¤·à¤• है इसलिठपानी का महतà¥à¤µ और बॠजाता है। पानी के बिना मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही नहीं वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿, जीव जनà¥à¤¤à¥ कोई à¤à¥€ जीवित नहीं रह सकेगा। पानी की महतà¥à¤¤à¤¾ वासà¥à¤¤à¤µ में उस समय पता चलती है जब हमें बहà¥à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगी हो और पीने का पानी आस पास उपलबà¥à¤§ न हो। तब हम दो घूंट पानी के लिठही छटपटाने लगते हैं और à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि यदि तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ पानी न मिला तो हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤£ संकट में पड़ जायेंगे। आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ व बढती जनसंखà¥à¤¯à¤¾ के कारण जंगल कम होते जा रहे हैं। मशीनीकरण से पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण व तापमान बॠरहा है। जलवायू परिरà¥à¤µà¤¤à¤¨ के कारण वरà¥à¤·à¤¾ कम हो रही है जिससे नदियों में जल घटता जा रहा है। फिर à¤à¥€ नदियों में कूड़ा-करà¥à¤•à¤Ÿ, गनà¥à¤¦à¤—ी व जहरीला कचरा डाला जा रहा है। जल आपूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठनलकूपों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अधिक à¤à¥‚जल दोहन के कारण à¤à¥‚-जल सà¥à¤¤à¤° गिरता जा रहा है। देश के 5723 जल बà¥à¤²à¤¾à¤• में अधिकांश तेजी से डारà¥à¤• जोन में होते जा रहे हैं और सनॠ2025 तक 60 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक बà¥à¤²à¤¾à¤• डारà¥à¤• जोन में चले जाने का खतरा है। पूरे विशà¥à¤µ में घोर पेय जल संकट उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ रहा है और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ का जीवन खतरे में पड़ रहा है।
पृथà¥à¤µà¥€, जो चारों ओर पानी से घिरी है, वही अब पानी के अà¤à¤¾à¤µ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होती जा रही है। अब तक वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने जिन गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की खोज की है, वहां पानी नहीं है। विशà¥à¤µ के सबसे धनी खाड़ी के देश आजकल अपने यहां दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सबसे ससà¥à¤¤à¥€ व सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ वसà¥à¤¤à¥ पानी के लिठसंघरà¥à¤· कर रहे हैं। यहां तेल तो हर जगह है लेकिन पानी की कीमतें जिस तेजी से बॠरही हैं उसका कोइà¥à¤° अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ नहीं लगा सकता। इन देशों के आस पास समà¥à¤¦à¥à¤° तो है लेकिन उसका पानी न तो पिया जा सकता है और न ही उससे खेती हो सकती है। ने आधà¥à¤¨à¤¿à¤• तकनीक अपनाई है जो केवल 20 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ पानी खेतीबाड़ी के लिठउपयोग करता है। किस फसल को कितना पानी देना चाहिठउसकी बूंदों तक का हिसाब रखा जाता है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤¯ देश जहां पानी की कमी है, वे इस तकनीक को इसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¯à¤² से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने à¤à¥€ इस मामले में इसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¯à¤² को अपना आदरà¥à¤¶ बनाया है। दजला और फà¥à¤°à¤¾à¤¤ नदी पर तà¥à¤°à¥à¤•à¥€ ने तीन, सिरिया और इराक ने दो बांध बनाकर अपनी समसà¥à¤¯à¤¾ हल की है लेकिन इनमें किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का आपसी विवाद खाड़ी के देशों को पानी के लिठमहायà¥à¤¦à¥à¤µ की ओर धकेल देगा। जापान के कà¥à¤¯à¥‹à¤Ÿà¥‹ शहर में समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ विशà¥à¤µ जल फोरम की बैठक में जल समसà¥à¤¯à¤¾ के हल हेतॠलगà¤à¤— 100 संकलà¥à¤ª पारित किठगये जिसमें 182 देशों के लगà¤à¤— 24000 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¾à¤— लिया था।
सनॠ2025 तक हमारी जल खपत 1530 अरब घन मीटर हो जाà¤à¤—ी परनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤·à¤¾ के बिना हमारे पास कोई दूसरी जल समà¥à¤ªà¤¦à¤¾ नहीं है इसलिठवरà¥à¤·à¤¾ की à¤à¤• à¤à¤• बूंद को बचाना और धरती में रिचारà¥à¤œ करना ही सबसे जरूरी कारà¥à¤¯ हो जाता है। वरà¥à¤· 2005 में अलीगॠमें पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ समाचार अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में पानी के अà¤à¤¾à¤µ में हजारों पकà¥à¤·à¥€ मर गठथे। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ शमà¥à¤à¥‚नाथ शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ ने इसका संजà¥à¤žà¤¾à¤¨ लेते हà¥à¤ सरकार से जानकारी ली तब यह तथà¥à¤¯ सामने आया कि उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में 1952 में 392000 हैकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° à¤à¥‚मि में तालाब थे जिनमें से अब अधिकांश à¤à¤µà¤¨, कल कारखाने या खेती में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ हो चूके हैं। कृषि में पानी की खपत बहà¥à¤¤ अधिक होती है। खारे व कà¥à¤·à¤¾à¤°à¥€à¤¯ पानी के कारण उपजाऊ à¤à¥‚मि à¤à¥€ बंजर बन जाती है। खेती के लिठकम पानी से अधिक सिंचाई ही à¤à¤• मातà¥à¤° हल है और इसके लिठसूकà¥à¤·à¥à¤® सिचाई पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ व फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ बहà¥à¤¤ कारगर सिदà¥à¤µ हà¥à¤ˆ है। पानी की बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ न करते हà¥à¤, वरà¥à¤·à¤¾ जल संगà¥à¤°à¤¹à¤£, वाटर हारवैसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग व रिरà¥à¤šà¤¾à¤œà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पानी की कमी को कà¥à¤› कम किया जा सकता है। अधिक पानी की खपत वाली फसलों धान व गनà¥à¤¨à¤¾ की खेती कम की जाये तथा तिलहन व दलहन की ओर अधिक धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाये तो पानी à¤à¥€ बचेगा और देश को à¤à¥€ लाठहोगा।
पीने के पानी का यह संकट दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ गहराता जा रहा है। छोटे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की अपेकà¥à¤·à¤¾ महानगरों में बहà¥à¤¤ विकट परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं। दिलà¥à¤²à¥€ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ 1950 मिलियन गैलन पानी चाहिठकिनà¥à¤¤à¥ दिलà¥à¤²à¥€ जल बोरà¥à¤¡ 850 मिलियन गैलन पानी ही उपलबà¥à¤§ करा पाता है। दिलà¥à¤²à¥€ में 6000 लीटर पानी निशà¥à¤²à¥à¤• दिया जाता था जिसे पà¥à¤°à¤¥à¤® जनवरी 2010 से शà¥à¤¨à¥à¤¯ कर दिया गया तथा पानी दर पहले से 3 गà¥à¤£à¤¾ कर दी गई और 31 जनवरी तक पानी मीटर लगवाने अनिवारà¥à¤¯ कर दिठगà¤à¥¤ पाईप लगाकर कार धोने पर जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ à¤à¥€ किया गया है। मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ में अकà¥à¤¤à¥‚बर-नवमà¥à¤¬à¤° 2009 में पानी सपà¥à¤²à¤¾à¤ˆ में 30 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ कटौती की गई थी जो समय समय पर बà¥à¤¾à¤ˆ à¤à¥€ जाती है। हरियाणा सरकार ने à¤à¥€ गत दिनों शहरी व गाà¥à¤°à¤®à¥€à¤£ जल नीति अधीन सà¤à¥€ कनैकà¥à¤¶à¤¨ धारकों के लिठमीटर अनिवारà¥à¤¯ कर दिठहैं।à¤à¤²à¥‡ ही ‘आप’ सरकार ने दिलà¥à¤²à¥€ में 20 हजार लीटर पानी मà¥à¤«à¥à¤¤ देने की घोषणा की हो परनà¥à¤¤à¥ यह वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• नहीं है और जल बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ मिलगा जिससे पानी की कमी और बà¥à¥‡à¤—ी। à¤à¤• अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अगले 20 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में देश में जल की मांग 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ बॠजायेगी जबकि 1947 में देश में मीठे जल की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ 6000 घनमीटर थी जो 2000 में घटकर मातà¥à¤° 2300 घनमीटर रह गई और 2025 तक 16000 घन मीटर हो जाने का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वरà¥à¤·à¤¾ जल का मातà¥à¤° 15 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ जल ही उपयोग होता है, शेष समà¥à¤¦à¥à¤° में चला जाता है।
सà¥à¤µà¤šà¥à¤› जल की अनà¥à¤ªà¤²à¤¬à¥à¤§à¤¤à¤¾ कई कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में तनाव उतà¥à¤ªà¤¨ कर रही है। उतरी अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ गमà¥à¤à¥€à¤° हो चà¥à¤•à¥€ है। संसार की लगà¤à¤— दो तिहाई आबादी उन देशों में रह रही है जहां पानी की बहà¥à¤¤ कमी है। गली मोहलà¥à¤²à¥‹à¤‚ के सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• नलों पर पानी के लिठà¤à¤—डे़ सामानà¥à¤¯ बात है परनà¥à¤¤à¥ यह सब यहीं तक सीमित नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ हरियाणा-पंजाब का à¤à¤¾à¤–ड़ा-बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जल बंटवारे के लिठजल विवाद, दिलà¥à¤²à¥€-हरियाणा का यमà¥à¤¨à¤¾ जल विवाद, करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤•-तामिलनाडू का कावेरी जल विवाद वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ पाक समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥‹à¤‚ में आतंकवाद जैसे विषयों के अतिरिकà¥à¤¤ जल बंटवारा à¤à¥€ à¤à¤• विवादित विषय है और पाक योजना आयोग के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° रावी जल बंटवारा सही नहीं किया तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ पाक के बीच यà¥à¤¦à¥à¤µ हो सकता है। यà¥à¤¦à¥à¤µ की यह बात à¤à¥€ नई नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जल-वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की चेतावनीपूरà¥à¤£ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यदि तीसरा विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† तो वह पानी के नाम पर होगा। विशà¥à¤µ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ संगठन के वरà¥à¤· 2004 के à¤à¤• सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के à¤à¤• अरब से अधिक लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है और यह संखà¥à¤¯à¤¾ दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ बà¥à¤¤à¥€ जा रही है । 2031 तक वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ से चार गà¥à¤£à¤¾ अघिक पानी की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होगी। बहà¥à¤¤ से लोग यह नहीं जानते कि वे अनजाने में बहà¥à¤¤ पानी बरबाद करते हैं। विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ जल विशेषजà¥à¤ž पà¥à¤°à¥‹0 असित बिसà¥à¤µà¤¾à¤¸ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ‘बीते दो सौ वरà¥à¤·à¤¾à¤‚े के मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ आने वाले 20 वरà¥à¤·à¤¾à¤‚े में जल पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ अधिक होगी।
जल बहà¥à¤¤ रोगों में दवा का काम à¤à¥€ करता है। ठंडे ओर गरà¥à¤® जल में अलग अलग औषधिय गà¥à¤£ हैं। गरà¥à¤® पानी का लाठवात रोगों जैसे जोड़ों का दरà¥à¤¦, घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ का दरà¥à¤¦, गठिया, कंधे की जकड़न में होता है। पानी का कोई विकलà¥à¤ª नहीं। पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगने पर पानी ही पीà¤à¤‚ कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚कà¥à¤¸ आदि नहीं । अगर हम पानी की बचत नहीं करेंगे तो ‘बिन पानी सब सून‘ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• दिन à¤à¤¸à¤¾ आà¤à¤—ा कि पानी के बिना हम तड़फने लगेंगे। पानी के महतà¥à¤µ को न समठपाने और इसके अनियमित व अधिक दोहन à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के चलते ही आज सà¤à¥€ देशों को पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। यदि सब लोग मिलकर यह संकलà¥à¤ª कर लें कि हम पानी को बरबाद नहीं होने देंगे तो वहां कà¤à¥€ à¤à¥€ पानी की कमी नहीं होगीे अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ आने वाली पीà¥à¥€ की कà¥à¤¯à¤¾ दशा होगी, हमें सोचना होगा। पानी की बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूकता के लिठही संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने वरà¥à¤· 2013 को अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ जल संरकà¥à¤·à¤£ वरà¥à¤· घोषित किया था और हर वरà¥à¤· 22 मारà¥à¤š को ‘‘विशà¥à¤µ जल दिवस’’ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• रूप में याद किया जाता है।
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