धरा का धà¥à¤µà¤‚स
शà¥à¤°à¥€ विजय कà¥à¤®à¤¾à¤° मिशà¥à¤°
सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय विजय कà¥à¤®à¤¾à¤° मिशà¥à¤° की यह लघॠकथा समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• कहानी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ पदक से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¥ƒà¤¤ की गयी थी और पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ शाखा सूचना विà¤à¤¾à¤— उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ १९५८ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ à¤à¥€ की गयी थी। पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ में ही इसकी ५००० पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ छपी थीं । ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ सूचना निदेशक à¤à¤—वतीशरण सिंह ने इसका पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤•à¤¥à¤¨ लिखा था। लेखक वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनेक हिंदी उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, कहानियां à¤à¤µà¤‚ निबंध आदि à¤à¥€ लिखे थे । इस कहानी से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग, जल वायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ व उसके दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ का सटीक पूरà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤¸ लेखक ने १९५८ में ही कर लिया था जब विशà¥à¤µ में किसी à¤à¥€ अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ने इसकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ तक नहीं की थी (यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• तथà¥à¤¯ है)।
डा चंदà¥à¤° शेखर से मेरा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ परिचय है। उनके पिता सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• शासà¥à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° थे और हमारी कोठी के पड़ोस में ही रहते थे। पांच वरà¥à¤· की वय में ही शेखर से मेरी मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ हà¥à¤¯à¥€, जो बाईस वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ में विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ छोड़ने तक पà¥à¤°à¤—ाà¥à¤¤à¤® बनी रही। उसके उपरांत शेखर तो सरकारी छातà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ पाकर à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठविदेश चले गठऔर मैं à¤à¤• विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ पतà¥à¤° के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ विà¤à¤¾à¤— में सहकारी हो गया। पहले कà¥à¤› दिनों तक हम लोगों में नियमित रूप से पतà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° होता रहा, किनà¥à¤¤à¥ कालांतर में पारिवारिक à¤à¤‚à¤à¤Ÿà¥‹à¤‚ तथा अनà¥à¤¯ कारणों से इस उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ में शिथिलता पड़ने लगी और इधर पैंतीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से तो हम दोनों ने à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के विषय में केवल समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही जाना सà¥à¤¨à¤¾ है, परसà¥à¤ªà¤° दरà¥à¤¶à¤¨ का सà¥à¤¯à¥‹à¤— अथवा पतà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का अवसर ही नहीं मिला। इस बीच à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से मैं देश के à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤‚त ही पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ पतà¥à¤° का पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• हो गया और शेखर ने à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में अनेक रहसà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ करके अपनी अदà¥à¤à¥à¤¤ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ से समसà¥à¤¤ जगत को चमतà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कर दिया।
पैंतीस वरà¥à¤· के दीरà¥à¤˜ काल के उपरांत à¤à¤• दिन मà¥à¤à¥‡ अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤ ही शेखर का à¤à¤• तार मिला की मैं जैसे à¤à¥€ हो समय निकाल कर उनके पास पहà¥à¤‚चूं और उनका आतिथà¥à¤¯ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करूà¤à¥¤ देश की ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ राजनीतिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ तथा अंतराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कूटनीतिक अखाड़े के दांव पेंच इस तीवà¥à¤°à¤—ति से बदल रहे थे कि पतà¥à¤° का कारà¥à¤¯ किसी अनà¥à¤¯ पर छोड़कर इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बाहर जा सकना उन दिनों मेरे लिठअसंà¤à¤µ सा ही था। फिर à¤à¥€ पैंतीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से बिà¤à¥œà¥ˆ हà¥à¤ अपने इस महान वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• मितà¥à¤° के आगà¥à¤°à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤£ अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को टाल सकना à¤à¥€ मेरे लिठसंà¤à¤µ न हà¥à¤† और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ ही दिन विमान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मैं शेखर के नगर को रवाना हो गया।
यहाठयह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में मà¥à¤à¥‡ लजà¥à¤œà¤¾ नहीं है कि शेखर को देखकर मैं उसे पहचान ही न सका। परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ ततà¥à¤•à¤¾à¤² पहचान लिया। वय के अंतर ने मेरे शरीर की गठन में कोई विशेष परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं किया था, किनà¥à¤¤à¥ पहले का कांतिमान मà¥à¤– वाला मोटाताजा शेखर इन दिनों बड़े बड़े बालों और लमà¥à¤¬à¥€ दाà¥à¥€ वाला दà¥à¤¬à¤²à¤¾ पतला वृदà¥à¤§ हो चला था। मैंने मन ही मन कहा कि इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ने अपनी अनवरत साधना से जगत का चाहे जितना उपकार किया हो, अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ के साथ तो उसने नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं किया है। à¤à¥‹à¤œà¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ शेखर ने à¤à¤• मोटा सा सिगार मेरी ओर बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा ‘जब मेरा तार तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ मिला था, उस समय तà¥à¤® बरà¥à¤®à¥€ राजदूत के साथ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ राजनीतिक विषयों पर कà¥à¤› गोपनीय चरà¥à¤šà¤¾ कर रहे थे।’
अपार विसà¥à¤®à¤¯ से मेरे नेतà¥à¤° कपार तक फैल गये। उकà¥à¤¤ राजदूत से मैं जो चरà¥à¤šà¤¾ कर रहा था, उसे मेरे कमरे की दीवारें à¤à¥€ न सà¥à¤¨ सकी होंगी। तब वहां से ८०० मील दूर बैठे हà¥à¤ इस महावà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ साधनारत वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• को उसका पता कैसे चला ? मैं अचकचा कर शेखर के मà¥à¤– की ओर देखने लगा।
‘मैं तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤²à¤œà¥à¤ž हो गया हूं, तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤²à¤œà¥à¤ž,’ शेखर ने हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा, ‘अब मैं सहज ही पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ कर सकता हूठकि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषियों के तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤²à¤œà¥à¤ž होने की कहानिया कपोल कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ नहीं और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को उसी अवसà¥à¤¥à¤¾ में पहà¥à¤‚चा सकता है। मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसीलिठबà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ है, सà¥à¤¬à¥‹à¤§, कि तà¥à¤® अपने विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ पतà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संसार में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ की इस गौरवशाली परंपरा का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करो ---’ ‘परंपरा ?’ मैंने बीच ही में टोक कर पूछा, ‘कà¥à¤¯à¤¾ यह परंपरा अà¤à¥€ जीवित है?’ ‘मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ ही तà¥à¤®à¤¨à¥‡ उस शकà¥à¤¤à¤¿ का आà¤à¤¾à¤¸ देखा है ,’ शेखर ने कहा , ‘किनà¥à¤¤à¥ मेरी शकà¥à¤¤à¤¿ तो अà¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› सीमित है। वह कà¥à¤› सà¥à¤¥à¥‚ल यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚, कà¥à¤› मानसिक पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं तथा कà¥à¤› कà¥à¤› आतà¥à¤®à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ अथवा इचà¥à¤›à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ के आधार पर कारà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होती है, परनà¥à¤¤à¥ मेरा दृढ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अब à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ योगी महातà¥à¤®à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं जो केवल सूकà¥à¤·à¥à¤® आतà¥à¤®à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सहारे ही तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤² का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेते हैं और मेरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि किसी न किसी दिन मैं उनमे से अनेक को खोज लूà¤à¤—ा।’
मैं खà¥à¤²à¥‡ नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से शेखर की ओर देखता ही रह गया। मेरी ओर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• देखते हà¥à¤ शेखर ने कहा, ‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ संशय हो रहा है सà¥à¤¬à¥‹à¤§ परनà¥à¤¤à¥ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤‚ के à¤à¤• साधारण सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के आधार पर ही तो मैंने इस अलौकिक विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ खडी की है।’ ‘विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤• साधारण सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त है कि विशà¥à¤µ में कोई पदारà¥à¤¥ नषà¥à¤Ÿ नहीं होता, वह केवल रूप बदलता है,’ शेखर कहते गये, ‘पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पदारà¥à¤¥ किसी न किसी परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ रूप में कहीं न कहीं विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहता है। संसार में जो कà¥à¤› हà¥à¤† है, होता है अथवा होगा, वह à¤à¥€ इसी सीमाà¤à¤ महाशूनà¥à¤¯ की अनंत नीलिमा में कहीं न कहीं अंकित है। उसके इस अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¹à¤¿à¤¤ रूप का नाम है समय अथवा काल। काल के रूप में विशà¥à¤µ के आदि से लेकर अंत तक की घटनाà¤à¤‚ -- पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शान की à¤à¤• à¤à¤• घटना -- महाकाश से नीलपत पर कहीं न कहीं चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ अवशà¥à¤¯ हैं। जो घटना जितनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ अथवा सà¥à¤¦à¥‚र à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में है, वह हमसे उतनी ही डोर है। इस दूरी को मैं गति कहता हूà¤-- समय अथवा काल की गति।’ ‘अब इतना समठलेना तो सà¥à¤¬à¥‹à¤§ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ लिठà¤à¥€ सहज है,’ शेखर ने कहा, ‘कि यदि हम समय की गति से à¤à¥€ तीवà¥à¤° गति का अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ कर लें तो निःसंदेह à¤à¥‚त और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की निकटवरà¥à¤¤à¥€ अथवा सà¥à¤¦à¥‚रतम घटनाओं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ततà¥à¤•à¤¾à¤² पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ रह जाता है कि समय की गति से à¤à¥€ अधिक तीवà¥à¤°à¤—ामी शकà¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है ? मैंने सà¥à¤¥à¤¿à¤° किया कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ का मन सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• तीवà¥à¤°à¤—ामी है और यदि उसे किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया जा सके और साथ ही महाविदà¥à¤¯à¥à¤¤ की चरमशकà¥à¤¤à¤¿ का à¤à¥€ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤•à¤°à¤£ करके उसे सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• संचालित किया जा सके तो समय कि गति को पार कर सकना असंà¤à¤µ न होगा। मैंने इसी सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को लेकर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कर दिठऔर ईशà¥à¤µà¤° की दया से मà¥à¤à¥‡ सफलता à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गयी। मैं अब किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपना माधà¥à¤¯à¤® बनाकर उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥‚त और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का हाल जान सकता हूठतथा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ को à¤à¥€ पढता रह सकता हूà¤à¥¤
‘यह तो ठीक वैसा ही है जैसा कि हिपà¥à¤¨à¥‰à¤Ÿà¤¿à¤œà¥à¤® जानने वाले किया करते हैं। वे à¤à¥€ तो अपने माधà¥à¤¯à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¤¾ अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ हाल बता देतें हैं,’ मैंने शंका की। ‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सोचना अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं है,’ शेखर ने समाधान किया, ‘किनà¥à¤¤à¥ हिपà¥à¤¨à¥‹à¤Ÿà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ केवल वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ का ही अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ हाल बता सकता है। उसका माधà¥à¤¯à¤® केवल उसी वासà¥à¤¤à¥ तक पहà¥à¤à¤š सकता है जो सà¥à¤¥à¥‚ल असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ रखती हैं। सूकà¥à¤·à¥à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ उनकी गति से परे है। सूकà¥à¤·à¥à¤® जगत में पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठमà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› विशेष पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने पड़े हैं। अचà¥à¤›à¤¾ चलो , मेरी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—शाला में चलो, जहाठमैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में कà¥à¤› नमूने दिखलाऊंगा।’ शेखर के साथ मैं उसकी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—शाला में पहà¥à¤‚चा। वे मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• बड़े से कमरे में ले गये जिसमें अनेक दà¥à¤µà¤¾à¤° थे। इनमें से à¤à¤• दà¥à¤µà¤¾à¤° पर वे ठहर गये। उस दà¥à¤µà¤¾à¤° के खोले जाते ही जिस अलौकिक दृशà¥à¤¯ पर मेरी नजर पड़ी, वह मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¤¿à¤¤ कर देने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ थी।
à¤à¤• कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बैठा हà¥à¤† था । उसके नेतà¥à¤° बंद थे, उसका शरीर इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शिथिल था मानों वह सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो, किनà¥à¤¤à¥ उसे देखकर मà¥à¤à¥‡ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं हà¥à¤† था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह तो मैं देखते ही समठगया था कि यही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस अपूरà¥à¤µ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• का माधà¥à¤¯à¤® है। इसके पूरà¥à¤µ à¤à¥€ मैं अनेक à¤à¤¸à¥‡ ही माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ को हिपà¥à¤¨à¥‰à¤Ÿà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ किये जाते देख चà¥à¤•à¤¾ था । मà¥à¤à¥‡ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो उस कमरे की बनावट और सजावट देखकर हà¥à¤† था। इस कमरे में à¤à¤• à¤à¥€ खिड़की नहीं थी, छत के पास à¤à¤• छोटा सा रोशनदान अवशà¥à¤¯ था, समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और शà¥à¤¦à¥à¤§ वायॠके लिà¤à¥¤ जिस कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर शेखर का माधà¥à¤¯à¤® बैठा था , उसके अतरिकà¥à¤¤ कमरे में अनà¥à¤¯ कोई फरà¥à¤¨à¥€à¤šà¤° न था । à¤à¤• माइकà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‹à¤¨ माधà¥à¤¯à¤® के सामने रखा था जिसका माउथपीस माधà¥à¤¯à¤® के मà¥à¤– से लगà¤à¤— तीन इंच की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था । माधà¥à¤¯à¤® के सिर पर à¤à¤• ईरफोन ( जैसा टेलीफोन ऑपरेटर पहना करते हैं ) कैसा हà¥à¤† था। इसे à¤à¥€ अधिक आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात यह थी कि कमरे की छत दीवारों तथा फरà¥à¤¶ पर à¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शà¥à¤µà¥‡à¤¤ धातॠका आवरण चà¥à¤¾ हà¥à¤† था। मà¥à¤à¥‡ इस धातॠकी ओर विसà¥à¤®à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखते हà¥à¤ पाकर शेखर ने बताया कि वह शà¥à¤µà¥‡à¤¤ शीशा है जो विचार तरंगों का सबसे कम संचालक है और माधà¥à¤¯à¤® को वाहà¥à¤¯ विचारों के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से अधिकाधिक मà¥à¤•à¥à¤¤ रखने में सहायक होता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° माधà¥à¤¯à¤® जब अपने सामने लगे हà¥à¤ माइक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शेखर के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¤à¤° देता है तो वाहà¥à¤¯ विचारों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ नहीं तो अधिकाधिक मà¥à¤•à¥à¤¤ रहने के कारण वह सतà¥à¤¯ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ कà¥à¤› नहीं बताता।
मेरे यह पूछने पर कि शेखर धà¥à¤µà¤¨à¤¿ संचार यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही माधà¥à¤¯à¤® से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बात करता है, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होकर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं करता , उस वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ने उतà¥à¤¤à¤° दिया कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहने में आशंका हो सकती है कि माधà¥à¤¯à¤® उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कि विचार तरंगों को गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर ले और ये विचार तरंगे उनके मन को दूषित कर बैठें। ‘पर यह रोशनदान तो खà¥à¤²à¤¾ है,’ मैंने उसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया, ‘कà¥à¤¯à¤¾ इससे बाहर खड़े वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की विचार तरंगे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ माधà¥à¤¯à¤® को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं कर सकतीं?’ ‘किनà¥à¤¤à¥ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त है कि ये तरंगे सदा ऊपर तथा अनà¥à¤¯ दिशाओं में चलती हैं, नीचे की दिशा में उनकी गति अतà¥à¤¯à¤‚त मंद तथा शिथिल रहती है,’ शेखर ने उतà¥à¤¤à¤° दिया। शेखर ने उस कमरे से निकल कर उसमें ताला लगा दिया और à¤à¤• अनà¥à¤¯ कमरे में आ बैठे, जिसके à¤à¤• कोने में à¤à¤• छोटी सी गोल मेज पर à¤à¤• लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° रखा था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि इस लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हरीश (उनका माधà¥à¤¯à¤®) के समकà¥à¤· सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ माइक से है और इसी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसकी धà¥à¤µà¤¨à¤¿ यहाठपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ होगी। शेखर जिस कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर बैठे, उसके सामने à¤à¥€ à¤à¤• माइक था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि इस माइक का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हरीश के कानों में लगे हà¥à¤ इयरफोन से है और इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मेरी आवाज उसे सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥€ देगी।
इतना कहकर शेखर उस यंतà¥à¤° के समकà¥à¤· मà¥à¤– कर के बोले, ‘हरीश, तà¥à¤® मेरी आवाज सà¥à¤¨ रहे हो ?’ ‘जीहां‘, ततà¥à¤•à¤¾à¤² उतà¥à¤¤à¤° आया, मानों कोई घोर नींद में सोया वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बोल रहा हो। ‘ देखो, तà¥à¤® सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदिकाल के उस à¤à¤¾à¤— में हो जब धारा पर वानसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤• उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ हो चà¥à¤•à¤¾ है और सचल जीवधारी à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। तà¥à¤® कà¥à¤¯à¤¾ देखते हो?’ कà¥à¤› देर निसà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§à¤¤à¤¾ रही। फिर महाशूनà¥à¤¯ के किसी सà¥à¤¦à¥‚रवरà¥à¤¤à¥€ à¤à¤¾à¤— से आता हà¥à¤† विचितà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ धीमा किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤° सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥€ दिया। शबà¥à¤¦ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ थे किनà¥à¤¤à¥ उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ अदà¥à¤à¥à¤¤ था। शेखर ने धीरे से बताया कि माधà¥à¤¯à¤® की à¤à¤¾à¤·à¤¾ पर ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¹à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ रहा है। ‘विचितà¥à¤° दृशà¥à¤¯ है,’ सà¥à¤µà¤° कहता गया, ‘धरा à¤à¤• घोर जंगल है जहाठउरà¥à¤µà¤° मैदान में घनी वृकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और लमà¥à¤¬à¥€ घासें जमीं हà¥à¤ˆà¤‚ हैं और सूखे मरà¥à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में कटीले à¤à¤‚खाड़ उग रहे हैं। समà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ के किनारे तथा नदियों के तट के निकटवरà¥à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में जलचरों का राजà¥à¤¯ है और अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में वनचरों का। मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का वनचर ही है और अà¤à¥€ अनà¥à¤¯ वनचरों पर उसका पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¯ नहीं सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हà¥à¤† है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह निरà¥à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ है और बल में अनà¥à¤¯ वनचरों का सामना नहीं कर सकता। वह वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के पतà¥à¤¤à¥‡, पौदे की जड़ें तथा मछलियां और अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के छोटे मोटे जीव जंतॠमार कर खाता और नंगा घूमता है।
‘अचà¥à¤›à¤¾ , अब तà¥à¤® उस काल में हो हरीश जिसे कलियà¥à¤— कहते हैं, शेखर ने माधà¥à¤¯à¤® को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ कहा, ‘इस यà¥à¤— के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ ढाई सहसà¥à¤¤à¥à¤° वरà¥à¤· बीत चà¥à¤•à¥‡ हैं । सिकंदर ने à¤à¥‡à¤²à¤® पार कर लिया है और पà¥à¤°à¥‚ की सेनाओं से उसका संघरà¥à¤· हो गया है। कà¥à¤¯à¤¾ देख रहे हो ?’ ‘पà¥à¤°à¥‚ की सेनाओं कि मार से गà¥à¤°à¥€à¤• सेना की दकà¥à¤·à¤¿à¤£ पंकà¥à¤¤à¤¿ धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ हो गयी है और उसी के पारà¥à¤¶à¥à¤µ में सिकंदर अपने अशà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को, अपने à¤à¤¾à¤—ते सैनिकों को घेर कर à¤à¤•à¤¤à¥à¤° करने का आदेश दे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ कर रहा है।‘ ‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€à¤‚ तो सिकंदर हो, à¤à¤¾à¤·à¤£ दो , शेखर ने जलà¥à¤¦à¥€ से कहा और माधà¥à¤¯à¤® का सà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¤¬à¤¾à¤°à¤—ी ही लड़खड़ा गया। फिर à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥€ दी जैसे उसे कोई कषà¥à¤Ÿ हà¥à¤† हो। उसके उपरांत लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° से à¤à¤• विचितà¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अदà¥à¤à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤°à¤²à¤¹à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होने लगी जिसका à¤à¤• अंश à¤à¥€ मैं न समठपाया किनà¥à¤¤à¥ जिसकी उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤•à¤¾à¤°à¥€ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ वकà¥à¤¤à¤¾ के शौरà¥à¤¯ और सहस का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• थी।
तà¤à¥€ शेखर ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा ‘चलो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• और तमाशा दिखाऊं‘। दोनों शीघà¥à¤°à¤¤à¤¾ से बाहर आये। माधà¥à¤¯à¤® के कमरे के दà¥à¤µà¤¾à¤° के पारà¥à¤¶à¥à¤µ में à¤à¤• गà¥à¤ªà¥à¤¤ खिड़की थी, जो à¤à¤• सà¥à¤µà¤¿à¤š दबाते ही खà¥à¤² गयी, फिर à¤à¥€ खिड़की शà¥à¤µà¥‡à¤¤ शीशे के ही à¤à¤• पारदरà¥à¤¶à¤• से ढंकी रही ताकि खिड़की खà¥à¤²à¤¨à¥‡ पर à¤à¥€ बाहर की विचार तरंगे à¤à¥€à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ न हो सकें। मैंने पारदरà¥à¤¶à¤• से देखा कि जिस कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर हरीश बैठा हà¥à¤† था उसपर à¤à¤• अनà¥à¤¯ ही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विराजमान है जिसके मà¥à¤– की आकृति पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ वैसी ही थी जैसी इतिहास की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ यूनानियों की मिलती है। उसकी ऊंचाई सात फà¥à¤Ÿ से कम न होगी और उसके मà¥à¤– के सामने रखा हà¥à¤† माइक काफी नीचा पड़ जाने से ही उस कमरे में उसकी धà¥à¤µà¤¨à¤¿ कà¥à¤› असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ सी सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥€ पड़ रही थी। उसके बाल लमà¥à¤¬à¥‡ तथा अतà¥à¤¯à¤‚त घà¥à¤‚घराले थे और नाक काफी लमà¥à¤¬à¥€ तथा नà¥à¤•à¥€à¤²à¥€ थी। नेतà¥à¤° बड़े बड़े थे और शरीर की गठन अतà¥à¤¯à¤‚त शकà¥à¤¤à¤¿ संपनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती थी।
‘हे ईशà¥à¤µà¤° !’ मेरे मà¥à¤– से निकला और मैंने वà¥à¤¯à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ से पूछा, ‘और हरीश को कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† ?’
‘यह हरीश ही है,’ शेखर बोले, ‘किनà¥à¤¤à¥ विचार तरंगों का उसपर इतना अधिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा है कि उसका मसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤· उसे सिकंदर के अतिरिकà¥à¤¤ कà¥à¤› नहीं समà¤à¤¤à¤¾à¥¤ मसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾ पर विजय पा लेना ही तो मेरे पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की सफलता है। जिस समय इसने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदिकाल का वरà¥à¤£à¤¨ किया था, उस समय तà¥à¤® इसे देखते । असà¥à¤¤à¥, इसके अतिरिकà¥à¤¤ तो तà¥à¤® देख ही सकते हो कि यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सिकंदर हो या तैमूर, इसके शरीर पर वसà¥à¤¤à¥à¤° तो हरीश के ही हैं।’ हम पà¥à¤¨à¤ƒ उस कमरे में लौट आये । लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ तथा धीमी हो गयी थी। उसको लकà¥à¤·à¥à¤¯ कर शेखर ने कहा कि माधà¥à¤¯à¤® अब थक गया है , अपार विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¤¬à¤²à¤¬à¥‹à¤‚ के संघरà¥à¤·à¤£ से वह शिथिलपà¥à¤°à¤¾à¤¯ हो रहा है। उसे कà¥à¤› काल के लिठविशà¥à¤°à¤¾à¤® देना आवशà¥à¤¯à¤• है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ १० मिनट बाद शेखर ने पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया, ‘हरीश तà¥à¤® मेरी आवाज सà¥à¤¨ रहे हो ?’ ‘जीहां‘ सà¥à¤µà¤° इस बार सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ और ताजा था। ‘अब तà¥à¤® कलियà¥à¤— के तृतीय चरण में हो। कà¥à¤¯à¤¾ देख रहे हो तà¥à¤® ?’ ‘पृथà¥à¤µà¥€ का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª अतà¥à¤¯à¤‚त परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो गया है,’ माधà¥à¤¯à¤® ने बताया, ‘उसका आकार यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ अà¤à¥€ à¤à¥€ गोल है, किनà¥à¤¤à¥ समà¥à¤¦à¥à¤° तथा à¤à¥‚मि का नकà¥à¤¶à¤¾ बहà¥à¤¤ बदल गया है धà¥à¤°à¥à¤µà¥‹à¤‚ का केंदà¥à¤° अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से खिसक गया है और उतà¥à¤¤à¤°à¥€ धà¥à¤°à¥à¤µ उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आ गया है जहाठतà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ समय का अलासà¥à¤•à¤¾ था। जिसे तà¥à¤® साइबेरिया, मंगोलिया और चीन कहते थे, उसका अधिकांश à¤à¤¾à¤— à¤à¤• महासमà¥à¤¦à¥à¤° में विलीन हो चà¥à¤•à¤¾ है। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ देश का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª बदल गया है। उसका आकार अब à¤à¤• डमरू सरीखा है जिसके दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ पूरà¥à¤µà¥€ कोण पर सà¤
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