A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

Support Us
   
Magazine Subcription

Saumya Misra

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

Saumya Misra

Saumya Misra

Saumya Misra
Edit अवैध निर्माण पर बातें होती हैं कार्यवाही क्यों नहीं राज्य सरकार का भू माफिया और अवैध निर्माण को लेकर तेवर कड़ा है पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा यह भी एक चिंता का विषय है। जगह जगह नियमों के उल्लंघन करते निर्माण हो रहे हैं या हो चुके हैं। कहीं भू माफिया ने रिहायशी इलाकों में गगनचुम्बी इमारतें बना डाली हैं तो कहीं रिहायशी मकानों को खरीद कर उनमें गोदाम बना दिए हैं। कॉर्पोरेटर पुलिस व अन्य सम्बंधित विभागीय अफसरों की मिली भगत के कारण ये तत्व निडर होकर मनमानी कर रहे हैं और इन्हे कानून या नियमों का कोई डर नहीं क्योंकि सरकार स्वयं आकर इनका पालन नहीं करवा सकती और अधिकारियों को तो इनके अनुसार यह अपनी जेब में रखते हैं। इस कारण न केवल प्रदूषण बढ़ रहा है अपितु शहरी हरियाली को भी बहुत क्षति पहुँच रही है। ये उचित नक्शे के अनुसार बने रिहायशी कॉलोनियों के मकान खरीद कर जब उन्हें कमर्शियल करते हैं तो आगे लॉन एरिया पक्का करवा देतें हैं और इस प्रकार सारे पेड़ पौधे मार डालते हैं व पक्षिओं को बेघर कर देते हैं । अधिकतर सभी कॉलोनीज में घर के बाहर एक कच्चा लॉन छोड़ना अनिवार्य होता है और उसपर कंस्ट्रक्शन नहीं करवाया जा सकता पर हो तो ऐसा ही रहा है। कई लोग तो रिहायशी मकान का भी लॉन एरिया पक्का करवा लेते है सफाई की दुहाई देकर पर वो भी अवैध है। गिरते भूजल स्तर का एक मुख्य कारण यह भी है। यह कहना कि चेतना की कमी है गलत होगा, सब जानते बूझते होता है। अब क्या यह इलाके के कॉर्पोरेटर, पुलिस व सोसाइटी का दायित्व नहीं कि वे हस्तक्षेप करें और ऐसा होने से रोकें। पर उस इलाके के जिम्मेदार नागरिक कुछ कहें भी तो सुनता कोई नहीं, न कॉर्पोरेटर न पुलिस। सरकारी जनसुनवाई पोर्टल भी बहुत मनोयोग से आरम्भ हुआ था परन्तु वह भी मात्र वाद दर्ज करने तक सीमित रह गया है और खानापूर्ति ही कर रहा है। कोई ठोस कारवाही न की जाती है न कोई फॉलोअप एक्शन होता है। देख कर अनदेखा करने की रीत चल गयी है। तो जब कुछ कर ही नहीं सकते तो स्तीफा दो और लायक ईमानदार और जिम्मेदार लोगों को आने दो। केवल भृष्टाचार विरोधी नारे लगाने, नदियों के लिए एसएमएस भेजने और पर्यावरण बचाने के कार्यक्रम आयोजित करने से कुछ नहीं होगा जब तक पर्यावरण, पेड़ों और पशु पक्षियों के अधिकारों के हरण करने वालों के विरूद्ध उचित दण्डनात्मक कार्यवाही नहीं होती।

Leave a comment